![]() |
Ve the mere Pita... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh on Father's Day |
बचपन में ही छूट गई थी उंगली जिनकी
वे थे मेरे पिता, याद आती है उनकी
धुंधली-सी स्मृतियां ही हैं थाती अब तो
मैंने अनुभव की है पीड़ा मां के मन की
- डॉ शरद सिंह
#FathersDay
![]() |
Ve the mere Pita... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh on Father's Day |