A Ghazal by Dr (Miss) Sharad Singh |
ज़िंदगी कांटों भरी, दामन बचाना सीख लो
मुश्किलों में भी ज़रा तुम मुस्कुराना सीख लो
क्या पता कब मौत आ जाए चुराने के लिए
दो घड़ी तो साथ अपनों के बिताना सीख लो
- डॉ शरद सिंह
#SharadSingh #Shayari #Zindagi #Muskurana #Mushkilen #Daman #Maut #Seekh
मुश्किलों में भी ज़रा तुम मुस्कुराना सीख लो
क्या पता कब मौत आ जाए चुराने के लिए
दो घड़ी तो साथ अपनों के बिताना सीख लो
- डॉ शरद सिंह
#SharadSingh #Shayari #Zindagi #Muskurana #Mushkilen #Daman #Maut #Seekh
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (01-11-2017) को
ReplyDeleteगुज़रे थे मेरे दिन भी कुछ माँ की इबादत में ...चर्चामंच 2775
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी रचना ‘चर्चा मंच’ में शामिल करने के लिए अत्यंत आभार रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी!
Deleteआपका स्नेह इसी तरह सदा बना रहे!
बहुत ही लाजवाब ... जिंदादिल ... जीवन का सन्देश देता मुक्तक ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार नास्वा जी!
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