19 January, 2015

खेतों की बात है निराली...

Dr Sharad Singh

खेतों की बात है निराली
धानी-सी चूनर
बिखराए चहुंओर 
सुन्दर-सी प्यारी हरियाली....
   - डॉ शरद सिंह

Dr Sharad Singh

Dr Varsha Singh

Dr Varsha Singh



 अन्न है
जीवन है
हरियाली ही तो 
धन है
प्रकृति का 
दरपन है...
- डॉ शरद सिंह 



 अकुलाया 
मन 
शहर छोड़ 
चला गांव
ढूंढेगा वहीं ठांव...
- डॉ शरद सिंह
यहीं कहीं 
बसना है
खेतों में 
रसना है
चाहत की 
वीणा के
तारों को 
कसना है...
                                                      - डॉ शरद सिंह

6 comments:

  1. खेतों की बात वाकई निराली है...

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हां, वाणभट्ट जी,
      खेतों की हरियाली मन को भी ऊर्जा देती है..
      .आप तो स्वयं यायावर हैं...

      Delete
  2. खेत खालिआनो को बाखूबी शब्दों में रचा है ... फोटो भी कमाल के हैं सभी ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद दिगम्बर जी...
      मुझे प्रकृति की सुन्दरता हमेशा लुभाती है....

      Delete
  3. सच ..
    हरे भरे खेत खलियान देख मन उमंग से भर आता है ..
    बहुत सुन्दर चिंत्रण ,..

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार कविता जी...
      देखिए न, आजकल प्रकृति की सुन्दरता इंसान तेजी से क्षरण करता जा रहा है जिसे देख कर दुख होता है...

      Delete