भाव तो भाव हैं ...कहने का ढंग और समझने का ढंग ...बस होना चाहिए.... आपकी ये चंद पंक्तियाँ अथाह समुद्र की गहराई लिए होती हैं...बहुत डीनो बाद आ पाया हूँ आपके ब्लॉग पे...अच्छा लगा..
प्रेम के लड्डू मुंह में ही फूटतें हैं अन्दर -अन्दर .यह अन्दर की बात है .देह की, देहिक मुद्राओं की ,काया की अपनी मुस्कान और अभिव्यक्ति है .बेहतरीन शब्द चित्र प्रेम के अंकुरण का .
बहुत ही सुन्दर । कुछ तस्वीरों की तलाश में आज आपका ब्लॉग हाथ आ गया। पढ़ा। पढ़कर ऐसा लगा कि कुछ ही पंक्तियों में इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति आज तक पढ़ने को नहीं मिली। पर बहुत सुन्दर लगी। आपकी कुछ चित्र पंक्तियां अपने फेसबुक पर लोड कर दी।
बहुत ही सुन्दर । कुछ तस्वीरों की तलाश में आज आपका ब्लॉग हाथ आ गया। पढ़ा। पढ़कर ऐसा लगा कि कुछ ही पंक्तियों में इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति आज तक पढ़ने को नहीं मिली। पर बहुत सुन्दर लगी। आपकी कुछ चित्र पंक्तियां अपने फेसबुक पर लोड कर दी।
बिल्कुल सही कहा ...बहुत ही बढि़या ...
ReplyDeleteचाँद शब्दों मन के भाव बिखेरती मुस्कान ....
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ...
मुस्कराकर शर्माना ।
ReplyDeleteया शर्माकर
मुस्कराना ।
बना देती है दोनों-
दीवाना
मस्ताना ।।
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..............
ReplyDeleteप्यारे भाव.............
सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसही है ..
ReplyDeleteबहुत बड़ा संवाद है यह..
ReplyDeleteबहुत खूब!
ReplyDeleteअति सुन्दर....
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
भाव तो भाव हैं ...कहने का ढंग और समझने का ढंग ...बस होना चाहिए....
ReplyDeleteआपकी ये चंद पंक्तियाँ अथाह समुद्र की गहराई लिए होती हैं...बहुत डीनो बाद आ पाया हूँ आपके ब्लॉग पे...अच्छा लगा..
मुझे भी अन्यों की तरह आपकी रचना ने मुग्ध कर दिया... लेकिन कुछ शरारत भरी टिप्पणी करने के चक्कर में दो व्यंग्य लिख गया...
ReplyDeleteक्षमाभाव के साथ व्यक्त कर रहा हूँ...
फोटो चेपकर
ReplyDeleteलिख देना भी
हो जाता है सब कुछ
अब लेखन में... [१]
लिखकर ...फोटू चेपना
या चेपकर ... लिखना
दोनों ही एक-दूसरे की मदद करते हैं .... कब? ...
जब एक अभिव्यक्ति लूली और दूसरी लंगडी हो... [२]
क्षमाभाव पहले पढ़ा व्यंग्य बाद में:)
Deletehamesha ke tarah lajabab..sadar pranam ke sath
ReplyDeletebilkul sach hai ..............
ReplyDeleteमुझे इश्तहार सी लगतीं हैं...ये मोहब्बतों की कहानियां...
ReplyDeleteजो कहा नहीं वो सुना करो...जो सुना नहीं वो कहा करो...
सब कहना ज़रूरी नहीं...
बिल्कुल सच कहा आपने.
ReplyDeleteयार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....
सुंदर भाव
ReplyDeleteगहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteI AM SPEECHLESS AS IT IS.
ReplyDeleteBUT BEAUTIFUL POST INCLUDING EMOTIONS AND FEELINGS.
bhavpurn
ReplyDeleteजी,और ख़ाली शर्माना भी बहुत कुछ कह जाता है.
ReplyDeleteसमझने वाले को बस
ReplyDeleteसमझ
होनी चाहिए।
प्रेम के लड्डू मुंह में ही फूटतें हैं अन्दर -अन्दर .यह अन्दर की बात है .देह की, देहिक मुद्राओं की ,काया की अपनी मुस्कान और अभिव्यक्ति है .बेहतरीन शब्द चित्र प्रेम के अंकुरण का .
ReplyDeleteशरद जी,यही तो ही स्त्री का स्त्रीत्व. बधाई
ReplyDeleteवो मुस्कुरा दिए बस -
ReplyDeleteऔर सब कुछ कह दिया -
गीत में तेरा बनूंगी ,और गावन -हार भी ,
बीन में तेरी बनूंगी ,बीन की झंकार भी ....
कृपया यहाँ भी आयें -
ram ram bhai
बुधवार, 21 मार्च 2012
गेस्ट आइटम : छंदोबद्ध रचना :दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है .
बहुत ही सुन्दर में आपके ब्लॉग पे पहली बार आया हु
ReplyDeleteलेकिन आगे आता रहूँगा
मेरे ब्लॉग पे भी आप आएंगे तो हमें अच्छा लगेगा
http://vangaydinesh.blogspot.in/
बहुत सुन्दर .. इस मुस्कान के क्या कहने
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर । कुछ तस्वीरों की तलाश में आज आपका ब्लॉग हाथ आ गया। पढ़ा। पढ़कर ऐसा लगा कि कुछ ही पंक्तियों में इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति आज तक पढ़ने को नहीं मिली। पर बहुत सुन्दर लगी। आपकी कुछ चित्र पंक्तियां अपने फेसबुक पर लोड कर दी।
ReplyDeletehttp://writer-den.blogspot.in
sanjay.rajpoot2010@facebook.com
raghunath.singh.7524@facebook.com
बहुत ही सुन्दर । कुछ तस्वीरों की तलाश में आज आपका ब्लॉग हाथ आ गया। पढ़ा। पढ़कर ऐसा लगा कि कुछ ही पंक्तियों में इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति आज तक पढ़ने को नहीं मिली। पर बहुत सुन्दर लगी। आपकी कुछ चित्र पंक्तियां अपने फेसबुक पर लोड कर दी।
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