अपनी ही एक कविता की कुछ पंक्तियां इस याद पर समर्पित करता हूं ..
मौसम में फिर रूप तुम्हारा सिमट-सिमट कर आया। बूंद-बूंद भारी होता मन दर्द बहुत गहराया। सुरभि तुम्हारी तिरे चतुर्दिक् परसे पुरवाई। सावन के इस मौसम में फिर तेरी याद आई।
यह छायाचित्र तो बहुत ही वाचाल है शरदजी! आपके सौन्दर्यबोध के विषय में क्या कहूँ ? किसी शायर की दो पंक्तियाँ याद आती हैं- काँटों से गुजरना तो बड़ी बात है लेकिन फूलों पे भी चलना कोई आसान नहीं है।
तेरी आँखों के सिवाय दुनिया में रख्खा क्या है,तुम मेरे पास होते हो गोया ,जब कोई दूसरा नहीं होता ,याद न जाए बीते दिनों की ,......वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आगई ....यादों से बावस्ता तमाम स्मृतियाँ कुरेद उकेर दीं इन पंक्तियों ने - "उसकी यादों से बढ़कर मधुर ,और कुछ भी तो नहीं .."..जलते हैं जिसके लिए तेरी आँखों के दिए ,ढूंढ लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिए ....,भूली हुई यादों मुझे इतना न सताओ ,अब चैन से रहने दो मेरे पास न आवो .....दामन में लिए बैठा हूँ टूटे हुए तारे ,का तक मैं जियूँगा यूँ ही खाबों के सहारे ,दीवाना हूँ अब और न दीवाना बनाओ .....शरद जी इतना सान्द्र केलोरी डेंस भाव जगत की ये पंक्तियाँ संभाले नहीं संभल रहीं ...... ram ram bhai
शनिवार, २० अगस्त २०११ कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार .... स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब । क्योंकि इन दिनों - "राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी , मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी . http://veerubhai1947.blogspot.com/ Saturday, August 20, 2011 प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
यादें हँसाती हैं, यादें रुलाती हैं, यादें प्रेरित करती हैं, यादें दुःख भी देती हैं फिर भी यादें ही ज़िंदगी हैं, इनके बिना ज़िंदगी बेमज़ा है। इसलिए इनकी सँभाल ज़रूरी है। भावनात्मक एहसास हैं यादें।
aadrniya sharad singh ji bhut sundr bhav hai satya hai yadon ki gati hi intni aadhik hoti hai ki insan isse itr kuch soch nahi pata. sachmuch bhavnao ka shabdo ma yatharth niropan hai apko bhadhaye...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
"उसकी यादों से बढ़कर मधुर और कुछ भी तो नहीं " memoirs are sip of sweat coffee ,a nebula of unlimited wait....../ your few words open a book of ,thousands of dialogues. Miraculous ,thanks.
वाकई,भावपूर्ण कविता के साथ भावपूर्ण चित्र... बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति है| शरद जी,आप मेरे ब्लॉग पर आए इसके लिए आभारी हूँ|आशा है आत्मीयता बनाए रखेंगी... सादर ऋता
ise rooh se mehshoos karo...kuch aisa hi lagta hai..kuch panktiyan aaur bhavon ko sarthak karti hui chuninda taswir..har dil mein ek nayi kavita bankar utar jaati hai jise badi siddat ke sath mahshoos kiya ja sakta hai...wakai gagar mein sagar.sadar pranam ke sath
बहुत सुंदर चित्र के साथ पूरे भाव को बताती अनोखी रचना /बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती हुई शानदार प्रस्तुति /बधाई आपको /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद /मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /आभार /
please visit my blog.thanks. http://prernaargal.blogspot.com/
मेरे ब्लॉग पर आप जैसी व्यस्त, प्रतिभाशाली व संवेदनशील रचनाकार का आगमन सुखद है और टिप्पणी करना प्रेरणादायक व उत्साहवर्धक है. अत्यंत आभार. यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
सिर्फ एक पंक्ति लिख देने से खूबसूरती कितनी कातिल हो जाती है! इसका एहसास यहीं आ कर होता है। काव्य और तूलिका के सम्मिश्रण से एक अनूठी धारा आपके ब्लॉग पर निरंतर बहती रहती है। जिसके सभी कायल हैं।
aapki rachnayen bahut achhi lagi .......... bahut bahut abhar mere blog tak aane ka...........mere us lekh par aapne apna samay diya aur use sarthak btate hue meri asmanjsta ko दूर kiya kyonki मेरे इसी lekh को loksangharsh ne असहमति jatayi hai..
This was very much much difficult to say at first time and still it is very critical to decide to me to comment on your any post or line. I FEEL THAT THE LINES ARE COME FROM PHOTOS OR THE PHOTOS ARE SELECTED FOR THESE LINES. THE CORORDINATION BETWEEN PHOTOS AND LINES ARE INCREDIBLE. NO THANKS NO REGARD JUST PRANAM........
अति सुंदर है आपकी ये एक पंक्ति के प्रस्तुति,
ReplyDeleteआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
कोमल।
ReplyDeleteविवेक जैन जी,
ReplyDeleteआभार...मेरी कविता को सराहने के लिए.
प्रवीण पाण्डेय जी,
ReplyDeleteआत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
यादों से बढ़ कर झीना और भीना और क्या हो सकता है.
ReplyDeletesach kaha yaaden agar achchhi hon to, sab kuchh bahut achchha
ReplyDeletebahut achchhi baat kahi aapne
भूषण जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
संजय कुमार चौरसिया जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
आपकी सुधी टिप्पणी के लिए आभारी हूं.
बहुत सुंदर रचना..लाजवाब।
ReplyDeleteभावमय करते शब्द ...।
ReplyDeleteबहुत सच कहा है. बहुत कोमल भाव..
ReplyDeleteसूक्ष्म पर गहन भावों वाली कविता है।
ReplyDeleteसुंदर अतिसुन्दर ........
ReplyDeleteकुछ यादें होती ही अनमोल हैं....
ReplyDeleteसच है, अतीत की यादें अगर अपने प्रिय की हों तो उससे बढकर मधुर कुछ नही हो सकता, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरामराम.
सच में उसकी यादों में बढ़कर कुछ भी नहीं ......बहुत खुबसूरत अहसास है उनकी यादों का ...जिसे सदा संजोये रखना है अपने अंतर्मन में .....!
ReplyDeleteEr. सत्यम शिवम जी,
ReplyDeleteअत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
सदा जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ....
कैलाश सी. शर्मा जी,
ReplyDeleteआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
विजय माथुर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद .
सुनील कुमार जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें.
कुमार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
ताऊ रामपुरिया जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
केवल राम जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद.
बहुत ही खुबसूरत पंक्तिया....
ReplyDeleteसुषमा 'आहुति'जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत आभार.
सच यही है ....
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें !
बहुत कोमल भाव........शुभकामनायें !!!
ReplyDeleteयादों से बढकर मधुर और कुछ भी तो नही ..
ReplyDeleteनिस्संदेह ....सुंदर अभिव्यक्ति
यादें तल्ख़ भी तो होती हैं मधुरता का नसीब सब का कहां होता है?
ReplyDeleteतुम्हारे ब्लाग पर लगी तस्वीरों की भाव भंगिमा का जबाब नहीं.
सागर आज़मी साहब की वर्षों पहले अहमदाबाद में उनके द्वारा कही ग़ज़ल के कुछ शेर याद आ गये-
काँटों से गुज़र जाना, शोलों से निकलजाना.
फूलों की बस्ती में जाना तो सँभल जाना.
मौसम ने परिन्दों को ये बात बतादी है,
उस झील पे ख़तरा है उस झील पे मत जाना.
आज ख़तरे को भांपते हुए भी हम चले आये.
अपनी ही एक कविता की कुछ पंक्तियां इस याद पर समर्पित करता हूं ..
ReplyDeleteमौसम में फिर रूप तुम्हारा
सिमट-सिमट कर आया।
बूंद-बूंद भारी होता मन
दर्द बहुत गहराया।
सुरभि तुम्हारी तिरे चतुर्दिक्
परसे पुरवाई।
सावन के इस मौसम में
फिर तेरी याद आई।
यह छायाचित्र तो बहुत ही वाचाल है शरदजी! आपके सौन्दर्यबोध के विषय में क्या कहूँ ? किसी शायर की दो पंक्तियाँ याद आती हैं-
ReplyDeleteकाँटों से गुजरना तो बड़ी बात है लेकिन
फूलों पे भी चलना कोई आसान नहीं है।
...बहुत सुंदर पंक्ति ! मीठी-मीठी यादों की मिठास कभी कम नहीं होती ..
ReplyDeleteयादें सच में अनमोल होती हैं...
ReplyDeleteतेरी आँखों के सिवाय दुनिया में रख्खा क्या है,तुम मेरे पास होते हो गोया ,जब कोई दूसरा नहीं होता ,याद न जाए बीते दिनों की ,......वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आगई ....यादों से बावस्ता तमाम स्मृतियाँ कुरेद उकेर दीं इन पंक्तियों ने - "उसकी यादों से बढ़कर मधुर ,और कुछ भी तो नहीं .."..जलते हैं जिसके लिए तेरी आँखों के दिए ,ढूंढ लाया हूँ वही गीत मैं तेरे लिए ....,भूली हुई यादों मुझे इतना न सताओ ,अब चैन से रहने दो मेरे पास न आवो .....दामन में लिए बैठा हूँ टूटे हुए तारे ,का तक मैं जियूँगा यूँ ही खाबों के सहारे ,दीवाना हूँ अब और न दीवाना बनाओ .....शरद जी इतना सान्द्र केलोरी डेंस भाव जगत की ये पंक्तियाँ संभाले नहीं संभल रहीं ...... ram ram bhai
ReplyDeleteशनिवार, २० अगस्त २०११
कुर्सी के लिए किसी की भी बली ले सकती है सरकार ....
स्टेंडिंग कमेटी में चारा खोर लालू और संसद में पैसा बंटवाने के आरोपी गुब्बारे नुमा चेहरे वाले अमर सिंह को लाकर सरकार ने अपनी मनसा साफ़ कर दी है ,सरकार जन लोकपाल बिल नहीं लायेगी .छल बल से बन्दूक इन दो मूढ़ -धन्य लोगों के कंधे पर रखकर गोली चलायेगी .सेंकडों हज़ारों लोगों की बलि ले सकती है यह सरकार मन मोहनिया ,सोनियावी ,अपनी कुर्सी बचाने की खातिर ,अन्ना मारे जायेंगे सब ।
क्योंकि इन दिनों -
"राष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,महाराष्ट्र की साँसे अन्ना जी ,
मनमोहन दिल हाथ पे रख्खो ,आपकी साँसे अन्नाजी .
http://veerubhai1947.blogspot.com/
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
मन में चित्र उकेरती हुई कविता और साथ का चित्र ऐसा कि मन में कविता का प्रस्फुटन होने लगे।
ReplyDeleteडॉ. शरद!
ReplyDeleteयादें हँसाती हैं, यादें रुलाती हैं, यादें प्रेरित करती हैं, यादें दुःख भी देती हैं फिर भी यादें ही ज़िंदगी हैं, इनके बिना ज़िंदगी बेमज़ा है। इसलिए इनकी सँभाल ज़रूरी है। भावनात्मक एहसास हैं यादें।
bahut khub...
ReplyDeleteaadrniya sharad singh ji bhut sundr bhav hai satya hai yadon ki gati hi intni aadhik hoti hai ki insan isse itr kuch soch nahi pata. sachmuch bhavnao ka shabdo ma yatharth niropan hai apko bhadhaye...
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
अद्भुत...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पंक्तियां |
ReplyDeleteमेरी नई रचना जरुर देखें |
मेरी कविता: उम्मीद
कोमल भाव लिए अति सुंदर प्रस्तुति,
ReplyDeleteआभार,....
"उसकी यादों से बढ़कर मधुर और कुछ भी तो नहीं "
ReplyDeletememoirs are sip of sweat coffee ,a nebula of unlimited wait....../ your few words open a book of ,thousands of dialogues. Miraculous ,thanks.
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteमेरा शौक
http://www.vpsrajput.in
सुंदर / कोमल भाव .
ReplyDelete:) वाह.
ReplyDeleteशरद जी, उसके साथ पर क्या आलम होगा...जब याद में ये मंजर है...
ReplyDeleteउनकी यादों की बारात , माधुर्य लिए रिमझिम बरसात . भावप्रवण .
ReplyDeleteसतीश सक्सेना जी,
ReplyDeleteअत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए।
हार्दिक धन्यवाद.
निवेदिता जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक धन्यवाद.
अंजू जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसन्द करने और बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए के लिए हार्दिक धन्यवाद!
डॉ.सुभाष भदौरिया जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के भाव को आत्मसात करने के लिए आभारी हूं आपकी...
मनोज कुमार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... आपकी कविता बहुत सुन्दर है...हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
हरि शंकर जी,
ReplyDeleteअपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
रजनीश तिवारी जी,
ReplyDeleteआप जैसे चिन्तनशील साहित्यकार के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
वीरूभाई जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
महेन्द्र वर्मा जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
डॉ. दलसिंगार यादव जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
अमरजीत जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
कनक ग्वालियरी जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
विद्या जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने तथा चर्चा मंच में शामिल कर उसे सुधी पाठकों तक पहुंचने का मंच प्रदान करने के लिये हार्दिक आभार एवं धन्यवाद!
एस एम हबीब जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
ईं.प्रदीप कुमार साहनी जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
महेश्वरी कनेरी जी,
ReplyDeleteमुझे प्रसन्नता है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई...
हार्दिक धन्यवाद...
उदयवीर सिंह जी,
ReplyDeleteआपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
आपको हार्दिक धन्यवाद.
विजय प्रताप सिंह राजपूत जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
कुंवर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteआभारी हूं...
आप जैसे वरिष्ठ कवि के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
काजल कुमार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के भाव को आत्मसात करने के लिए आभारी हूं आपकी...
वाणभट्ट जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
हार्दिक आभार...
आशीष जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद ।
सचिन को भारत रत्न क्यों?
ReplyDeletehttp://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/
एक स्वतन्त्र नागरिक जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद...
वाकई,भावपूर्ण कविता के साथ भावपूर्ण चित्र...
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति है|
शरद जी,आप मेरे ब्लॉग पर आए इसके लिए
आभारी हूँ|आशा है आत्मीयता बनाए रखेंगी...
सादर
ऋता
ise rooh se mehshoos karo...kuch aisa hi lagta hai..kuch panktiyan aaur bhavon ko sarthak karti hui chuninda taswir..har dil mein ek nayi kavita bankar utar jaati hai jise badi siddat ke sath mahshoos kiya ja sakta hai...wakai gagar mein sagar.sadar pranam ke sath
ReplyDeleteजब प्यार होता है दिल में ... तो दिलवर की याद ही जीने के लिए काफी होता है ...
ReplyDeleteऋता शेखर 'मधु'जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
हार्दिक आभार...
डॉ आशुतोष मिश्रा आशु जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के भावों को आत्मसात करने के लिए आभारी हूं आपकी...
इन्द्रनील भट्टाचार्य जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें...
Ojaswi Kaushal ji,
ReplyDeleteI am very glad to see your comment on my poem.
Hearty Thanks for offer.
You are always welcome in my blogs.
बहुत सुंदर चित्र के साथ पूरे भाव को बताती अनोखी रचना /बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती हुई शानदार प्रस्तुति /बधाई आपको /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद /मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /आभार /
ReplyDeleteplease visit my blog.thanks.
http://prernaargal.blogspot.com/
प्रेरणा अर्गल जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद ।
बहुत सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप जैसी व्यस्त, प्रतिभाशाली व संवेदनशील रचनाकार का आगमन सुखद है और टिप्पणी करना प्रेरणादायक व उत्साहवर्धक है. अत्यंत आभार.
ReplyDeleteयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
एक पंक्ति में जीवन का सार उंडेल देती हैं आप ।
ReplyDeleteयादें यादें यादें ... यादें जीवन बन जाती हैं ... सार जीवन का ...
ReplyDeleteअनमोल यादों की खुबसूरत प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!शुभकामनाएं.
ReplyDeleteसिर्फ एक पंक्ति लिख देने से खूबसूरती कितनी कातिल हो जाती है! इसका एहसास यहीं आ कर होता है।
ReplyDeleteकाव्य और तूलिका के सम्मिश्रण से एक अनूठी धारा आपके ब्लॉग पर निरंतर बहती रहती है। जिसके सभी कायल हैं।
कविता और चित्र दोनों की खूबसूरती मंत्रमुग्ध क्र देने वाली है |
ReplyDeleteये गमले ,बोनसाई छोड़कर आओ तो दिखलायें
कमल के फूल कितने रंग के झीलों में होते है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .
ReplyDeletesunhari yaade hoti hi mithi hai ,sundar
ReplyDeleteजन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.
ReplyDeleteएस एन शुक्ला जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
एक स्वतन्त्र नागरिक जी,
ReplyDeleteयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.
बहुत-बहुत धन्यवाद...
आशा जोगळेकर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....हार्दिक आभार।
दिगम्बर नासवा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
आपकी सुधी टिप्पणी के लिए आभारी हूं.
सुशील बाकलीवाल जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
अंकित पाण्डेय जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
देवेन्द्र पाण्डेय जी,
ReplyDeleteयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.
आपकी सुधी टिप्पणी के लिए आभारी हूं.
अंकित पाण्डेय जी,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद... आपका सदैव स्वागत है.
जयकृष्ण राय तुषार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार.
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
वीरेन्द्र जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!
ज्योति सिंह जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
भूषण जी,
ReplyDeleteआपको भी बहुत-बहुत बधाई.
कोमल भाव से सजी छोटी सी सुन्दर रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteउर्मि जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!
बहुत खूब ।
ReplyDeleteखूबसूरत भावभरी कविता।
ReplyDeletebehad khubsoorat..
ReplyDeleteयादों का झरोखा, मनोहारी और अनोखा
ReplyDeleteनूतन जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
आचार्य परशुराम राय जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार.
अंकुर जैन जी,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद... आपका सदैव स्वागत है.
राकेश कौशिक जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
bahut khub !
ReplyDeleteaapki rachnayen bahut achhi lagi ..........
ReplyDeletebahut bahut abhar mere blog tak aane ka...........mere us lekh par aapne apna samay diya aur use sarthak btate hue meri asmanjsta ko दूर kiya kyonki मेरे इसी lekh को loksangharsh ne असहमति jatayi hai..
Dr.Bhawna ji,
ReplyDeleteI am very glad to see your comment on my poem. Thanks a lot.
रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी,
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
कोमल भाव.... सुन्दर रचना !
ReplyDeleteyaadon ke dard kee dawaa ahsaas bahut khoob
ReplyDeletetasveer men bhee pyaas ka itihaas bahut khoob
padhte huye tasveer teer aa gayeen yaaden
yaadon ke sivaa dard vo bisraa gayeen yaaden
yaadon kee madhurimaa men bheeg , bheeg gayaa man
itnaa karen ki aayen ,srijan ,mere vridaavan .
audaarya ke liye dhanyawaad .
madhurtam...
ReplyDeleteउर्मि जी,
ReplyDeleteआमंत्रण के लिए आभार....
डॉ. हरदीप कौर सन्धु जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
वीरेन्द्र जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार.
पूजा जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!
तुम्हारी याद और नींद में इतनी दुश्मनी है..की ईधर तुम्हारी याद आती है
ReplyDeleteईधर नींद आ जाती है.......
बहरहाल बेहतरीन रचना....साधुवाद आपको......
This was very much much difficult to say at first time and still it is very critical to decide to me to comment on your any post or line.
ReplyDeleteI FEEL THAT THE LINES ARE COME FROM PHOTOS OR THE PHOTOS ARE
SELECTED FOR THESE LINES. THE CORORDINATION BETWEEN PHOTOS AND LINES ARE INCREDIBLE.
NO THANKS NO REGARD JUST PRANAM........