वाह, मुझे तो यहाँ पर "हेलो" शब्द ही कविता लगने लगा.किसी एक शब्द को पूरी कविता का दर्जा बड़ी खूबी से दिला दिया आपने. इस शब्द ने तो रूमानियत की बरसात कर दी है. आपकी सोच और क़लम को सलाम.
जी... आपने बहुत बेहतरीन कहा सिर्फ एक 'हैलो !.... में।
सच् है किसी मनचाहे हैलो की आवाज भले ही कानों में उतरती हो, लेकिन एक झटके में ही सदृश्य सब कुछ सामने उतर आता है, जब शब्दों के तार दिल से जुड़ते हैं। आपकी लिखी पंक्तियां भी यही यकीन दिलाती हैं...।
आपकी पंक्तियों के बहाने कामना है कि हर किसी के जीवन में यह पहली दस्तक भी हो और दरीचे भी खुलें?
बहुत ही मधुर सा एहसास है यह.....कभी कानों में गुँजी ये "हेल्लो" की आवाज...आज भी बस एक इंतजार बन पुकारती रहती है अपने प्रियतम को....बहुत ही सुंदर एहसासों से रची आपकी कम शब्दों की सटीक रचना मेरे तो दिल को छु गयी.......
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (2.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/ चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
मनोज कुमार जी, मेरी कविता तथा मेरी प्रस्तुति पर आप जैसे कलाविद की अमूल्य टिप्पणी पा कर मन गदगद हो गया... हार्दिक धन्यवाद... इसी तरह संवाद बनाए रखें....
waah... itni chhoti si lino me aapne to payr ki puri parivasha hi baykat kar di hai...main aapki fan no.1 ban chuki hu....aapke rachnao ko padh ke bahut protshahan milta hai..badhai
वन्दना जी, आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... आप जैसी प्रबुद्ध कवयित्री के विचार मेरे लिए बहुत महत्व रखते हैं... हार्दिक आभार...
hello ke liye number ka hona anivarya hai...mobile ke yug main hello ka mahatva bakhubi bayan kiya hai...kabhi vaanbhatt.blogspot.com se bhi gujariye...
माफ़ी चाहिती हूँ शरद जी बहुत देर से आपके ब्लॉग पर पहुँचने के लिए. बहुत सुंदर कविता कम शब्दों में ही इतनी सुंदर अभिव्यक्ति. अब इसकी अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी. कृपया जल्द ही प्रस्तुत करें.
कवियों की रचनाओं का अनमोल संग्रह का संपादन मैं पुनः कर रही हूँ , सबकी तरफ से एक निश्चित धनराशि का योगदान है ... क्या शामिल होना चाहेंगे ?
1) इस पुस्तक में 25-30 कवियों/कवयित्रियों की प्रतिनिधि कविताओं को संकलित की जायेंगी। 2) इस पुस्तक का संपादन रश्मि प्रभा करेंगी। 3) एक कवि को लगभग 6 पृष्ठ दिया जायेगा 4) सहयोग राशि के बदले में पुस्तक की 25 प्रतियाँ दी जायेंगी। 5) सभी पुस्तकें हार्ड-बाइंड (सजिल्द) होंगी और उनमें विशेष तरह कागज इस्तेमाल किया जायेगा। 6) यदि कोई कवि 6 से अधिक पृष्ठ की माँग करता है या उसकी कविताएँ 6 से अधिक पृष्ठ घेरती हैं तो उसे प्रति पृष्ठ रु 500 के हिसाब से अतिरिक्त सहयोग देना होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी कवि को 10 पृष्ठ चाहिए तो 4 अतिरिक्त पृष्ठों के लिए रु 500 X 4= रु 2000 अतिरिक्त देना होगा 7) यदि कोई कवि 25 से अधिक प्रतियाँ चाहता है तो उसे अभी ही कुल प्रतियों की संख्या बतानी होगी। अतिरिक्त प्रतियाँ उसे अधिकतम मूल्य (जो कि रु 300 होगा) पर 50 प्रतिशत छूट (यानी रु 150 प्रति पुस्तक) पर दी जायेंगी। 8) यदि किसी कवि ने अतिरिक्त कॉपियों का ऑर्डर पहले से बुक नहीं किया है तो बाद में अतिरिक्त कॉपियों की आपूर्ति की गारंटी हिन्द-युग्म या रश्मि प्रभा की नहीं होगी। यदि प्रतियाँ उपलब्ध होंगी तो 33 प्रतिशत छूट के बाद यानी रु 200 में दी जायेंगी। 9) कविता-संग्रह की कविताओं पर संबंधित कवियों का कॉपीराइट होगा। 10) सभी कवियों और संपादक को 20 प्रतिशत की रॉयल्टी दी जायेगी (बराबर-बराबर)
"सुगना फाऊंडेशन जोधपुर" "हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम" "ब्लॉग की ख़बरें" और"आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को " "भगवान महावीर जयन्ति"" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
सिर्फ एक हेलो ..... सच मन में बस जाती है..... पोर-पोर में समा जाती है....
ReplyDeleteवाह!! क्या बात है....
ReplyDeleteसिर्फ एक हैलो बन जाती है दस्तक !वाह !!
ReplyDeleteआदरणीय डॉ. शरद सिंह जी
ReplyDeleteनमस्कार !
सिर्फ एक हेलो
बहुत सुन्दर सन्देश.....शानदार रचना
पूरी रचना शानदार... लेकिन ये पंक्तियाँ डायिरेक्ट अपने दिल में घुस गईं....
ReplyDeleteकोमल अभिव्यक्ति भावों की -
ReplyDeleteमन के आगे किसी का जोर नहीं चलता -
सुंदर रचना -
डॉ.शरद जी,
ReplyDeleteक्या बात है....
वाह!
वाह!बन जाती है दस्तक सिर्फ एक हेलो !!!
प्रेम की
ReplyDeleteपहली दस्तक
बन कर
हाँ किसी मंजिल की शुरुआत एक कदम से होती है ..और जीवन के सफ़र की शुरुआत भी तो हैलो से होती है लेकिन कभी कभी ...कम शब्दों में बहुत गहरी बात
वाह, मुझे तो यहाँ पर "हेलो" शब्द ही कविता लगने लगा.किसी एक शब्द को पूरी कविता का दर्जा बड़ी खूबी से दिला दिया आपने.
ReplyDeleteइस शब्द ने तो रूमानियत की बरसात कर दी है.
आपकी सोच और क़लम को सलाम.
ये हैलो वाकई कानों में मिठास घोल देता है .
ReplyDeleteमज़ा आ गया पढ़ कर.
सादर
हैलो :)
ReplyDeleteहृदय की अद्भुत सौगात है आपकी कविता, शुभकामनाये
ReplyDeleteडॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
समीर लाल जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक धन्यवाद.
रजनीश तिवारी जी,
ReplyDeleteअत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए।
हार्दिक धन्यवाद.
संजय भास्कर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसन्द करने और बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए के लिए हार्दिक धन्यवाद!
संजय भास्कर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के भाव को आत्मसात करने के लिए आभारी हूं आपकी...
अनुपमा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
डॉ. हरदीप संधु जी,
ReplyDeleteअपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
केवल राम जी,
ReplyDeleteआप जैसे चिन्तनशील साहित्यकार के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
हार्दिक धन्यवाद ...
कुंवर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteआभारी हूं...
आप जैसे वरिष्ठ कवि के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
यशवन्त माथुर जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
चैतन्य शर्मा जी,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद...
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
कुश्वंश जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
कहने वाले और सुनने वाले दोनों की कला का सुन्दर विवेचन है यह कविता.
ReplyDeleteबही गहराई से सोंचती हो ...शुभकामनायें हैलो के लिए :-)
ReplyDeleteआदरणीय शरद जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
जी... आपने बहुत बेहतरीन कहा सिर्फ एक 'हैलो !.... में।
सच् है किसी मनचाहे हैलो की आवाज भले ही कानों में उतरती हो, लेकिन एक झटके में ही सदृश्य सब कुछ सामने उतर आता है, जब शब्दों के तार दिल से जुड़ते हैं। आपकी लिखी पंक्तियां भी यही यकीन दिलाती हैं...।
आपकी पंक्तियों के बहाने कामना है कि हर किसी के जीवन में यह पहली दस्तक भी हो और दरीचे भी खुलें?
शुक्रिया।
रविकुमार सिंह
और वही एक हेल्लो वाला पल सारी जिन्दगी से भी जयादा मधुर लगने लगता है....
ReplyDeleteधन्यवाद शरद जी.
विजय माथुर जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
सतीश सक्सेना जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
रविकुमार सिंह बाबुल जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद.
आनन्द द्विवेदी जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
बहुत ही मधुर सा एहसास है यह.....कभी कानों में गुँजी ये "हेल्लो" की आवाज...आज भी बस एक इंतजार बन पुकारती रहती है अपने प्रियतम को....बहुत ही सुंदर एहसासों से रची आपकी कम शब्दों की सटीक रचना मेरे तो दिल को छु गयी.......
ReplyDeleteprem ki pahli dastak .... bahut achhi lagi ye hallo
ReplyDeleteEr. सत्यम शिवम जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
रश्मि प्रभा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद.
इस हेल्लो में हमने भी भावभीनी प्रेम की नगरी में स्नान कर लिया आपकी इस क्षणिका के माध्यम से . आभार .
ReplyDeleteनमस्कार आपको भी।
ReplyDeleteआशीष जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
प्रवीण पाण्डेय जी,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद...
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (2.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
Er. सत्यम शिवम जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल कर उसे सुधी पाठकों तक पहुंचने का मंच प्रदान करने के लिये हार्दिक आभार एवं धन्यवाद!
अख्तर खान अकेला जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आभार...
आपका हार्दिक स्वागत है।
वाह ! अद्भुत !
ReplyDeleteआप कविता और ब्लॉग माध्यम का नायाब, जादुई और कलापूर्ण मिश्रण कर इस मंच को अनूठी सुन्दरता प्रदान कर रही है.
बधाई !
“हलो!”
ReplyDeleteइस ब्लॉग पर आने के बाद जो साज सज्जा देखने को मिलता है वह हमेशा आकर्षक होता है।
संवाद होना चाहिए। चाहे वह कितना भी संक्षिप्त क्यों न हो!
मनोज कुमार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता तथा मेरी प्रस्तुति पर आप जैसे कलाविद की अमूल्य टिप्पणी पा कर मन गदगद हो गया...
हार्दिक धन्यवाद...
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
हैलो.
ReplyDeleteआपने तो इस शब्द को नए मायने दे दिए.
अब जब भी हैलो सुनूंगा तो बरबस आपकी रचना याद हो आयेगी.
यह आपकी कलम की सार्थकता है.
मनोज कुमार जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
आप जैसे मनीषी की आत्मीय टिप्पणी सदा मेरा उत्साहवर्द्धन करती है।
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
विशाल जी,
ReplyDeleteमुझे प्रसन्नता है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई...
आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद...
likhaa aapne hain ,kaid kiyaa hai kshn bhar ke mlan ko ,bhogaa ham sabne bhi hai .
ReplyDeleteveerubhai.
Mii a product of saugor univarsity (1963-67 ).
.
ReplyDeleteHello Dr Sharad , How you doing ?
.
वीरेन्द्र शर्मा जी (veerubhai),
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
डॉ.दिव्या श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteआपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
आपको हार्दिक धन्यवाद.
बहुत अच्छा लगा सूक्ष्म दृष्टि से लिखी पंक्तिया देख कर बधाई
ReplyDeleteआशा
hello
ReplyDeleteगागर में सागर....सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeletewaah... itni chhoti si lino me aapne to payr ki puri parivasha hi baykat kar di hai...main aapki fan no.1 ban chuki hu....aapke rachnao ko padh ke bahut protshahan milta hai..badhai
ReplyDeleteye hello kabhi kabhi kisi anjane ka bhi hota hai na...??:)
ReplyDeletewaise agreed!!
good one .....
ReplyDeleteआशा जी़,
ReplyDeleteआप जैसी विदुषी के विचार मेरे लिए बहुत महत्व रखते हैं...
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
आभारी हूं...
अभिन्न जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
विनोद कुमार पांडेय जी,
ReplyDeleteमुझे प्रसन्नता है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई...
आभारी हूं....
संवाद बनाए रखें...
वाह .... बहुत खूब ...कभी कभी बिना हैलो किये भी दस्तक दे जाती है सुनाई :):)
ReplyDeleteआरती झा जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद ।
मुकेश कुमार सिन्हा जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....आपके आत्मीय विचारों के लिए...
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
निवेदिता जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
संगीता स्वरुप जी,
ReplyDeleteआप जैसी विदुषी कवयित्री के विचार मेरे लिए बहुत महत्व रखते हैं...
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
आभारी हूं...
वाह्………चंद लफ़्ज़ो मे बडी मीठी बात कह दी्।
ReplyDeleteवाह.... चिंतन का शानदार मंथन ।
ReplyDeleteवन्दना जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
आप जैसी प्रबुद्ध कवयित्री के विचार मेरे लिए बहुत महत्व रखते हैं...
हार्दिक आभार...
सुशील बाकलीवाल जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद ।
हैलो जी ।
ReplyDeleteWah-wah, gahree baat !
ReplyDeleteआशा जोगलेकर जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
सम्वाद बनाए रखें....
पी.सी.गोदियाल परचेत जी,
ReplyDeleteआपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
आपको हार्दिक धन्यवाद.
रवीन्द्र रवि जी,
ReplyDeleteमेरे इस ब्लॉग के अनुसरणकर्ता के रूप में आपका हार्दिक स्वागत है।
आभारी हूं....
संवाद बनाए रखें...
hame ye hello behad pasand aaya .sundar .
ReplyDeleteज्योति सिंह जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद ।
choti si bahut pyari hai......सिर्फ एक हेलो .....
ReplyDeleteमृदुला प्रधान जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
हार्दिक आभार...
चिंतन का शानदार मंथन|
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
bahut badiya chintan manthan..
ReplyDeleteshubhkamnayen.
कनक जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आभार...
आपका हार्दिक स्वागत है।
Patali-The-Village,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
निरंजन जी,
ReplyDeleteआपका स्वागत है...
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
dil kee atal gahrayee se nikla hello dil chhune wala hi hota hai..
ReplyDeletebahut badiya
behad sunder....
ReplyDeleteसच :)
ReplyDeletereally, its true.
ReplyDeleteकविता रावत जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....आपके आत्मीय विचारों के लिए...
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
विनोद जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
संवाद बनाए रखें...
काजल कुमार जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
अनामिका जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....आपके आत्मीय विचारों के लिए...
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
वाह!
ReplyDeleteVivek Jain vivj2000.blogspot.com
विवेक जैन जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
संवाद बनाए रखें...
सिर्फ एक हेलो
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सन्देश.....शानदार रचना
अमरेन्द्र ‘अमर’ जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
सम्वाद बनाए रखें....
प्रेम की
ReplyDeleteपहली दस्तक
बन कर
बहुत खूब कहा है ...इन पंक्तियों में ...।
वाह क्या कहना !
ReplyDelete'हैलो' शब्द का प्रयोग चमत्कारी सिद्ध हुआ ..
सदा जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....आपके आत्मीय विचारों के लिए...
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
सुरेन्द्र सिंह झंझट जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
हार्दिक आभार...
नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई ...
ReplyDeleteकुंवर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteआपको भी नव-संवत्सर एवं विश्व-कप विजय
दोनों की हार्दिक बधाई ...
bahut sundar choti magar achhi
ReplyDeletebahut sundar
यकीनन
ReplyDeleteजब सुनने वाले को भी इसका इंतजार हो हेल्लो :)
ReplyDeleteसारा सच,
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत धन्यवाद !
दीप जी,
ReplyDeleteमेरी इस कविता को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार !
एम.वर्मा जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
सम्वाद बनाए रखें....
मीनाक्षी पंत जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद.
डॉ.शरद जी,
ReplyDeleteक्या बात है.
कोमल अभिव्यक्ति भावों की -
मन के आगे किसी का जोर नहीं चलता -
सुंदर रचना !
सिर्फ एक हेलो सुनने के लिए लोग अक्सर तरस जाते हैं |
ReplyDeleteयांत्रिक जिंदगी में यही तो एक आसरा है |
सुनील गज्जाणी जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
सम्वाद बनाए रखें....
गुर्रमकोंडा नीरजा जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....आपके आत्मीय विचारों के लिए...
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
चित्ताकर्षक लगी आपकी रचनाएँ ...आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअमृता तन्मय जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
हार्दिक आभार...
सुधीर जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
संवाद बनाए रखें...
hello ke liye number ka hona anivarya hai...mobile ke yug main hello ka mahatva bakhubi bayan kiya hai...kabhi vaanbhatt.blogspot.com se bhi gujariye...
ReplyDeleteवाणभट्ट जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
सम्वाद बनाए रखें....
बहुत सुन्दर, बहुत अच्छी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteमाफ़ी चाहिती हूँ शरद जी बहुत देर से आपके ब्लॉग पर पहुँचने के लिए. बहुत सुंदर कविता कम शब्दों में ही इतनी सुंदर अभिव्यक्ति. अब इसकी अगली कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी. कृपया जल्द ही प्रस्तुत करें.
ReplyDeletebahut door aanaa pada Tipiyaane
ReplyDeletebahut log pasaMd karate hai aapakaa blaag
badhaai
mujhge kaviaa behat pasand aaI
राधे राधे जी क्या लिखे हो समझ नई आया
ReplyDeleteखैर
आचार्य परशुराम राय जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
सम्वाद बनाए रखें....
रचना दीक्षित जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....आपके आत्मीय विचारों के लिए...
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।
राधे राधे जी (Radhe Radhe Satak Bihari),
ReplyDeleteयह सचमुच दुखद और शर्मनाक प्रसंग है। ऐसे कृत्यों की निन्दा की ही जानी चाहिए।
आपकी जागरूकता प्रशंसनीय है।
गिरीश मुकुल जी,
ReplyDeleteआभारी हूं....
मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद ।
Hello................
ReplyDeletesadhuwaad.....
योगेन्द्र मौदगिल जी,
ReplyDeleteआप जैसे कवि-साहित्यकार के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
हार्दिक धन्यवाद ...
कवियों की रचनाओं का अनमोल संग्रह का संपादन मैं पुनः कर रही हूँ , सबकी तरफ से एक निश्चित धनराशि का योगदान
ReplyDeleteहै ... क्या शामिल होना चाहेंगे ?
1) इस पुस्तक में 25-30 कवियों/कवयित्रियों की प्रतिनिधि कविताओं को संकलित की जायेंगी।
2) इस पुस्तक का संपादन रश्मि प्रभा करेंगी।
3) एक कवि को लगभग 6 पृष्ठ दिया जायेगा
4) सहयोग राशि के बदले में पुस्तक की 25 प्रतियाँ दी जायेंगी।
5) सभी पुस्तकें हार्ड-बाइंड (सजिल्द) होंगी और उनमें विशेष तरह कागज इस्तेमाल किया जायेगा।
6) यदि कोई कवि 6 से अधिक पृष्ठ की माँग करता है या उसकी कविताएँ 6 से अधिक पृष्ठ घेरती हैं तो उसे प्रति पृष्ठ रु 500 के हिसाब
से अतिरिक्त सहयोग देना होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी कवि को 10 पृष्ठ चाहिए तो 4 अतिरिक्त पृष्ठों के लिए रु 500 X 4= रु 2000
अतिरिक्त देना होगा
7) यदि कोई कवि 25 से अधिक प्रतियाँ चाहता है तो उसे अभी ही कुल प्रतियों की संख्या बतानी होगी। अतिरिक्त प्रतियाँ उसे
अधिकतम मूल्य (जो कि रु 300 होगा) पर 50 प्रतिशत छूट (यानी रु 150 प्रति पुस्तक) पर दी जायेंगी।
8) यदि किसी कवि ने अतिरिक्त कॉपियों का ऑर्डर पहले से बुक नहीं किया है तो बाद में अतिरिक्त कॉपियों की आपूर्ति की गारंटी हिन्द-युग्म
या रश्मि प्रभा की नहीं होगी। यदि प्रतियाँ उपलब्ध होंगी तो 33 प्रतिशत छूट के बाद यानी रु 200 में दी जायेंगी।
9) कविता-संग्रह की कविताओं पर संबंधित कवियों का कॉपीराइट होगा।
10) सभी कवियों और संपादक को 20 प्रतिशत की रॉयल्टी दी जायेगी (बराबर-बराबर)
sahaj kintu prbhavi abhivyakti!
ReplyDeleteशहरोज़ जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
हार्दिक आभार...
बहुत ही सुंदर....एक दस्तक जो अक्सर पहचान बता जाती है
ReplyDeleteअरशद अली जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आभार... आपका स्वागत है।
वीना जी,
ReplyDeleteआपका आना सुखद लगा .आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है. हार्दिक धन्यवाद !
मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आभार....
बहुत ही सुन्दर और सरल.....
ReplyDeleteकम शब्दों में प्रेम की ये गहरायी..........
बहुत उम्दा..........
बहुत सुन्दर अहसास
ReplyDeleteਡਾ. ਸਾਹਿਬਾ,
ReplyDeleteਆਪਕੇ ਬਲਾਗ ਪਰ ਆਪਕੀ ਪੋਸਟ ਪੜ੍ਹਨੇ ਆਈ ਥੀ...ਮਗਰ ਆਪਨੇ ਅਭੀ ਅੱਪਡੇਟ ਨਹੀਂ ਕਿਆ....ਖੈਰ ਅਗਲੀ ਬਾਰ ਸਹੀ।ਆਪਕਾ ਲਿਖਾ ਪੜ੍ਹਕਰ ਬਹੁਤ ਅੱਛਾ ਲੱਗਤਾ ਹੈ।
ਆਜ ਮੈਂ ਆਪਕੋ ਮੇਰੇ ਪੰਜਾਬੀ ਬਲਾਗ ਕਾ ਪਤਾ ਬਤਾ ਰਹੀ ਹੂੰ...ਅਗਰ ਸਮਾਂ ਮਿਲੇ ਤੋ ਕਭੀ ਫੇਰੀ ਡਾਲ ਜਾਨਾ।
ਲਿੰਕ ਹੈ....http://punjabivehda.wordpress.com
ਹਰਦੀਪ
बहुत ही सुंदर
ReplyDelete"सुगना फाऊंडेशन जोधपुर" "हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम" "ब्लॉग की ख़बरें" और"आज का आगरा" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को " "भगवान महावीर जयन्ति"" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
सवाई सिंह राजपुरोहित
मानव मेहता जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
शोभना चौरे जी,
ReplyDeleteआप जैसी प्रबुद्ध कवयित्री के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
हार्दिक धन्यवाद ...
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
Dr. Hardeep Kaur Sandhu ji,
ReplyDeleteਮੇਰੀ ਕਵਿਤਾ ਕੋ ਪਸੰਦ ਕਰਨੇ ਕੇ ਲੀਏ ਹਾਰਦਿਕ ਆਭਾਰ.
ਆਪਕਾ ਉਲਾਹਨਾ ਸਿਜ ਆਂਖੋਂ ਪੈ ...ਬਾਕੀ ਮੈਂ ਫੇਰਾ ਦਲ ਆਈ ਹੁਣ.
ਕ੍ਰਿਪ੍ਯਾ ਅਨ੍ਯਥਾ ਨਾ ਲੇੰ .... ਏਕ ਗੁਜ਼ਾਰਿਸ਼ ਹੈ ਕੀ ਆਪ ਆਪਣੇ ਬਲੋਗ punjabivehda ਮੈ ਭੀ e-mail ਕੇ ਬਦਲੇ ਯਦਿ ਟਿੱਪਣੀ ਦੇਣੇ ਕੀ ਸਮਾਨ੍ਯ ਵ੍ਯਵਸ੍ਥਾ ਰਖੇੰ ਤੋ ਤੁਰੰਤ ਟਿੱਪਣੀ ਦੇਣੇ ਮੈ ਸੁਵਿਧ੍ਸ ਹੋਗੀ.
सारा सच,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद.
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
सवाई सिंह जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
हरीश सिंह जी,
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद....
beinghuman,
ReplyDeleteYou most and hearty welcome on my blog.
JAY SHANKER PANDEY JI,
ReplyDeleteI'm thankful to you.
You most and hearty welcome on my blog.
your comments are awaited.
आपकी अभिव्यक्ति मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गयी एवं एक सुखद एहसास की अनुभूति से मन पुलकित हो गया। आपके उदगार
ReplyDeleteवास्तव में प्रशंसनीय हैं।धन्यवाद।
सुन्दर प्रयोग. सिर्फ चार लाईनों की मेहनत से सजी पोस्ट.अनोखा असर.नई कविता में कह सकते हैं पोथी लिख-लिख जग मुआ.. शुभकामनाएं
ReplyDeleteप्रेम सरोवर जी,
ReplyDeleteआपका आना सुखद लगा .आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है.
हार्दिक धन्यवाद !
slumdog,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत-बहुत धन्यवाद...
सम्वाद बनाए रखें....
जय शंकर पाण्डेय जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
आपका स्वागत है!
अपने विचारों से भी अवगत कराते रहें...
महेन्द्र जी,
ReplyDeleteआपका स्वागत है।
मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...
अपने विचारों से भी अवगत कराते रहें...
Agree. By the way very nice post.
ReplyDeleteकितना सुंदर लिखा है एक हेल्लो
ReplyDeleteगागर में भावों का सागर है
सादर
रचना
Rajeev Panchhi ji,
ReplyDeleteI am glad to see your comment.
Hearty Thanks!
रचना श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteआप जैसी प्रबुद्ध साहित्यकार के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....
हार्दिक धन्यवाद ...
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
गौरव शर्मा "भारतीय"जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
आपका स्वागत है!
अपने विचारों से भी अवगत कराते रहें...
http://shayaridays.blogspot.com/
ReplyDeleteRicha P Madhwani ji,
ReplyDeletewelcome in my Blog.
I am waiting for your precious comment on my poem.
bhuat acha likha hai.
ReplyDeleteबहुत अच्छा हृदय को आनंदित करता है
ReplyDeleteहैलो।