08 August, 2017

वह प्रेम है ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

वह प्रेम है
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वह
इतना हल्का भी नहीं
कि उड़ जाए हवा में
इतना भारी भी नहीं
कि पैंठ जाए तलछठ में
वह
भटकता नहीं
चाहे लोग उसे भटकाव ही मानें
वह जलता नहीं
चाहे उसे आग का दरिया ही मानें
वह
एक अहसास है
कोमल, पवित्र
मानो धूप और चांदनी

वह
प्रेम है
मत उछालो उसे फ़िकरे-सा
यहां-वहां
प्रेम की अवमानना से बड़ा अपराध
कोई नहीं।

- डॉ शरद सिंह

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