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27 December, 2020

दर्द लिखे बूटे | आंसू बूंद चुए | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत संग्रह

Dr (Miss) Sharad Singh


 






दर्द लिखे बूटे

   - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


मन के रूमाल पर

दर्द लिखे बूटे।


रिक्शे का पहिया

गिने

तीली के दिन

पैडल पर पैर चलें

तकधिन-तकधिन


भूख करे तांडव

थकी देह टूटे।


अनब्याही बिटिया

सुने

बेबस रुनझुन

अहिवाती कंगन को

खाते हैं घुन


ड्योढ़ी का दर्पण

इंच-इंच फूटे।


चिल्लर की दुनिया

बुने

सपनों के घर

झुग्गी के तले उगे

रिश्ते जर्जर


दारू की बोतल

शेष भाग लूटे।

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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)


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Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah