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09 August, 2017

तुम और मैं ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

तुम और मैं
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पृथ्वी घूमती है
सूर्य के गिर्द
सूर्य घूमता है अपनी ही धुरी में
आकाशगंगा के दूधिया झुरमुट के बीच
पहचानता हुआ
अपनी पृथ्वी को
पृथ्वी जो डूबी है प्रेम में
सूर्य के ताप से
जल जाने के भय को भुला कर
बिसर जाती हैं सारी बाधाएं, सारे कष्ट
प्रेम में पड़ कर
देख लो, खुद को
तुम और मैं
अपनी-अपनी धुरी में घूमते
सूर्य और पृथ्वी ही तो हैं।
 

- डॉ शरद सिंह