कविता
कॉफी पर चांद
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
आज रात
चांद ने
बजाई
मेरे घर की कॉलबेल
कड़ाके की ठंड में
दरकार थी उसे
एक कप कॉफी की
अधकटे नीम की
शाख पर बैठ कर
पीना चाहता था
सफ़ेद मग में
एक ख़ामोशी तैरती रही
धरती से आकाश तक
चर्चा होती है चाय पर
कॉफी पर नहीं
सिर्फ़ उठता रहा धुआं
हमारे मग से
जैसे हैशटैग हो
कोहरे का।
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Photo by Dr (Ms) Sharad Singh