जिसे कहते हैं प्रेम
      - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
पनीली भोर में
लौह दरवाज़े के
एक खांचे में बैठी
कलछौंही 
नन्हीं चिड़िया का स्वर
जब लगे
राग आसावरी-सा
उनींदे नेत्रों में
कौंध जाए
सबसे प्यारा पुष्प
या अलसाई देह पर
लिपटती-सी लगें
अपराजिता की बेलें
मानो जल उठे
सहसा
कपूर, गुग्गुल और
लोबान 
एक साथ
और
महक उठे
समूचा कमरा 
किसी पवित्र
पूजा स्थल-सा
खिंच जाए मन में
आकांक्षाओं का 
इन्द्रधनुष
सात रंग नाप लें
धरती को 
अपने सप्तपद से
तो समझो
चल कर दहलान से
खिड़की को फांद कर
साथ रहने आया है
निराकार 
निर्गुण-निर्ब्रह्म
जल और वायु के समान
संवेदनीय अदृश्य
वह
जिसे कहते हैं प्रेम।              
---------------------
#poetryislife #poetrylovers  #poetryloving #mypoetry  #डॉसुश्रीशरदसिंह #काव्य #कविता  #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #DrMissSharadSingh
#प्रेमकविता #lovepoetry
 
बहुत सुंदर
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 07 जुलाई 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDelete