कविता
चल कर वसंत से मिल आएं
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
कमरे में बैठ
नहीं बतियायें !
चलो, ज़रा खेतों में,
बागों में,
अमराई जायें,
चल कर वसंत से
मिल आएं 🌳🌻🌾
खुली हवा
खुली धूप
संग ज़रा गाएं
तनिक गुनगुनाएं
चल कर वसंत से
मिल आएं 🌳🌻🌾
रोज की
उदासी से
कुछ बाहर आएं
ज़रा झूम जाएं
चल कर वसंत से
मिल आएं 🌳🌻🌾
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वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🏵️
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