चाहने पर भी
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
दिए की लौ हूं
एक दिन बुझ जाऊंगी
बुझने पर
फिर
नज़र नहीं आऊंगी
किसी के
चाहने पर भी।
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