10 September, 2022

कविता | इन दिनों | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कविता 
इन दिनों 
 - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

बादलों का लिहाफ़ 
ओढ़कर
सोता है चांद
इन दिनों,
घुट रही है चांदनी
 पहर-दर-पहर।    
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