#विश्व_कविता_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷
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कविता
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
भावनाओं की तरंगों पर
सवार
शब्द-यात्री
है वह,
जिसके चरण पखारते हैं
विचार
और चित्त में बिठाते हैं
रस, छंद, लय, प्रवाह
जिसका अस्तित्व है
मां की लोरी से
मृत्युगान तक
जो है भरती
श्रम में उत्साह
जो दुखों को
कर देती है प्रवाहित
दोने में रखे
दीप के समान
वह है तो वेद हैं
वह है तो महाकाव्य हैं
उसके होने से
मुखर रहते हैं भारतीय चलचित्र,
वह रंगभेद के द्वंद्व में
गायन बन कर
श्रेष्ठता दिलाती है
अश्वेतों को,
वह वैश्विक है
क्योंकि
मानवता है वैश्विक
और वह है उद्घोष
मानवता की।
वह नाद है, निनाद है
प्रेम है, उच्छ्वास है
वह कविता ही तो है
जो प्रेमपत्रों से
युद्ध के मैदानों तक
चलती रही साथ।
जब लगता है खुरदरा गद्य
तब रखती है
शीतल संवेदनाओं का फ़ाहा
कविता ही,
कविता समग्र है
और समग्र कविता है।
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कविता खलु समग्रम् !
ReplyDeleteसमग्रमेव कविता !!
चारु-चिन्तनजात सुकृति !
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