23 August, 2021

ग्रैफिटी | कविता | डॉ शरद सिंह

ग्रैफिटी
      - डॉ शरद सिंह

पुरानी
प्लस्तर उधड़ी दीवारों पर
करना चाहती हूं मैं
ग्रैफिटी

स्प्रे करना 
उन रंगों को
जो बहुत गहरे
दबे हैं मेरे मन में,
अच्छा लगेगा मुझे
बना देना
एक बड़ा-सा दिल
हथियारों के ठीक ऊपर

एक कबूतर
एक कलम
एक काग़ज़
एक कविता
एक सुखी इंसान
- इनमें से कुछ भी 
या
ये सभी
एक ही दीवार पर
उकेरना है मुझे

बेशक़,
ग्रैफिटी 
ज़िन्दा कर देती है
मरी हुई दीवारों को
मरी हुई भावनाओं को
मरी हुई बहादुरी को
यदि हम ख़ुद को 
जोड़ पाएं
रंगों और दीवारों से
बेझिझक
जैसे 
मृत्यु की ज़मीन पर
जीवन को जी लेना
जी भर कर।
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2 comments:

  1. बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन आदरणीय शरद दी जी।
    सादर

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  2. मृत्यु की ज़मीन पर
    जीवन को जी लेना
    जी भर कर।
    अद्भुत ...लाजवाब...।

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