स्वतंत्रता की इस बेला में
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
सदा रहे आंखों में अपनी स्वतंत्रता का सपना।
उस सपने के मूर्त्तरूप में रहे तिरंगा अपना।
हो न कोई भी दुखियारा, न कोई मुश्क़िल में
स्वतंत्रता की इस बेला में शुभ, शुभ, शुभ ही जपना।
राग, द्वेष, विध्वंस रहे न, सिर्फ़ रहे अपनापन
इम्तिहान दे लेंगे चाहे पड़े हमें भी तपना।
बनो आत्मनिर्भर अब ऐसे, चाहे जितना श्रम हो
फैलाना न हाथ, न दूजे आगे कभी कलपना।
लिखदो इक इतिहास नया अब, 'शरद' सफलता का तुम
अपनी आज़ादी को अपने पैमाने से नपना।
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