16 February, 2013

यादों की डिबिया में ...


8 comments:

  1. सुंदर ................सुंदर चित्र के साथ

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  2. बहुत बढ़िया है डाक्टर साहिबा -
    आभार इन पंक्तियों में भरे गूढ़ भावों के लिए -
    सादर

    डिबिया में सिंदूर सम, रखते पावन भाव |
    बड़े चाव से मन करे, अपना नित्य अघाव |

    अपना नित्य अघाव, प्रेम ही मूल-मन्त्र है |
    सब बंधन से परे, हमेशा ही स्वतंत्र है |

    शब्द लिखे उन्नीस, भाव पर बीस दिखा है |
    जीने का अंदाज, पुन: तू गई सिखा है ||

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  3. बहुत खुबसूरत .दिल को छू लेने वाली

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  4. लाजवाब, बहुत खूबसूरत.


    रामराम.

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  5. जिसका प्रेम छुपाया है उसकी खातिर इतना तो करना बनता ही है ...

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  6. ये तो है.....दर्दभरी मुस्कुान हो या प्रेम भरी..मुस्कान तो उसके नाम पर आएगी ही

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