मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
यह विचारणीय है...सोचने को मजबूर कर गई|
मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
गहन भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति ... आभार
मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद
hum sabhi jaante hain kal kabhi nahin hota
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
कम शब्द..भारी मार...अति सुन्दर...
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....बहुत-बहुत आभार......
kam shabd... gahri baat....
आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद ...
kal to bas ek chhal hai !
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन से भोत ख़ुशी भई
धन्यवाद मुकेश पाण्डेय चन्दन जी...हम सबई को आपस में मेलजोल रखो चाइए....
gahan bhaav ...
कम शब्द और बहूत गहरी बात....विचारणीय पोस्ट...
अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
बहुत सच लिखा आपने.बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी !
SO FAST IT WILL TAKE TIME TO WIRTE COMMENT NO COPY CUT PASTE.......
ye rachna to dil me utar gayee...behtarin
समीचीन प्रश्न ....."मेरा कल कहां है?"
बहुत-बहुत आभार......
.....गहरी बातनई पोस्ट .....मैं लिखता हूँ पर आपका स्वगत है
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार....
विचारणीय, चित्रमय लाजबाब सुंदर सम्प्रेषण,,,, RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत सुन्दर, सार्थक और सामयिक प्रस्तुति , आभार.
वाजिब सवाल ??
डॉ शरद जी ये बड़ा प्रश्न काश कोई समझ जाए ..न झूंठलाये ...जिससे हम उसी को नष्ट किये जा रहे ...भ्रमर
बहुत-बहुत आभार...आपकी पीड़ा प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति की पीड़ा है...आशा हैकि एक दिन यह पीड़ा दूर होगी.
शब्द और चित्र एक दूसरे के प्रेरक है..
अत्यंत सशक्त अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.रामराम.
आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
अजय कुमार झा,आभारी हूं आपकी सहृदयता की....साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस देखने की उत्सुकता रहेगी.
बहुत गहन बात कह दी
आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं.... अनुगृहीत हूं आपकी टिप्पणी के लिए...
हमारी टिप्पणी स्पाम में गयी लगता है...प्लीस निकाल लाएं :-(
chand panktiyon me gahan arth ----Wah---poonam
कल 27/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद! ''आज कुछ बातें कर लें''
अत्यंत आभारी हूं....
सटीकसार्थकसमग्र
यह विचारणीय है...सोचने को मजबूर कर गई|
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
Deleteगहन भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति ... आभार
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद
Deletehum sabhi jaante hain kal kabhi nahin hota
ReplyDeleteअपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
Deleteकम शब्द..भारी मार...अति सुन्दर...
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....बहुत-बहुत आभार......
Deletekam shabd... gahri baat....
ReplyDeleteआपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद ...
Deletekal to bas ek chhal hai !
ReplyDeleteअपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
Deleteमेरे ब्लॉग पर आपके आगमन से भोत ख़ुशी भई
ReplyDeleteधन्यवाद मुकेश पाण्डेय चन्दन जी...
Deleteहम सबई को आपस में मेलजोल रखो चाइए....
gahan bhaav ...
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
Deleteकम शब्द और बहूत गहरी बात....
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट...
अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
Deleteबहुत सच लिखा आपने.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी !
मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
DeleteSO FAST IT WILL TAKE TIME TO WIRTE COMMENT
ReplyDeleteNO COPY CUT PASTE.......
ye rachna to dil me utar gayee...behtarin
ReplyDeleteअपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
Deleteसमीचीन प्रश्न ....."मेरा कल कहां है?"
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार......
Delete.....गहरी बात
ReplyDeleteनई पोस्ट .....मैं लिखता हूँ पर आपका स्वगत है
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार....
Deleteविचारणीय, चित्रमय लाजबाब सुंदर सम्प्रेषण,,,,
ReplyDeleteRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
Deleteबहुत सुन्दर,
ReplyDeleteसार्थक और सामयिक प्रस्तुति , आभार.
मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
Deleteवाजिब सवाल ??
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
Deleteडॉ शरद जी ये बड़ा प्रश्न काश कोई समझ जाए ..न झूंठलाये ...जिससे हम उसी को नष्ट किये जा रहे ...
ReplyDeleteभ्रमर
बहुत-बहुत आभार...
Deleteआपकी पीड़ा प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति की पीड़ा है...आशा हैकि एक दिन यह पीड़ा दूर होगी.
शब्द और चित्र एक दूसरे के प्रेरक है..
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....बहुत-बहुत आभार......
Deleteअत्यंत सशक्त अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
Deleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस के लिए , पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक , यही उद्देश्य है हमारा , उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी , टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें
ReplyDeleteअजय कुमार झा,
Deleteआभारी हूं आपकी सहृदयता की....
साप्ताहिक महाबुलेटिन ,101 लिंक एक्सप्रेस देखने की उत्सुकता रहेगी.
बहुत गहन बात कह दी
ReplyDeleteआपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं.... अनुगृहीत हूं आपकी टिप्पणी के लिए...
Deleteहमारी टिप्पणी स्पाम में गयी लगता है...
ReplyDeleteप्लीस निकाल लाएं :-(
chand panktiyon me gahan arth ----Wah---
ReplyDeletepoonam
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....बहुत-बहुत आभार......
Deleteकल 27/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
ReplyDeleteआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
''आज कुछ बातें कर लें''
अत्यंत आभारी हूं....
Deleteसटीक
ReplyDeleteसार्थक
समग्र