आपकी इन चंद पक्तियों पर ऋग्वेद क्या सहस्त्रों महाकाव्य की रचना हो सकती है । इस भाव- प्रवण प्रस्तुति के लिए आपको तहे - दिल से शुक्रिया अदा करता हूं । मेरे पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका विशेष आभार ।
कैसे बतलाएं कहो नींद और ख्वाब की बातों का सिलसिला खुलकर होगी रुसवाई यहाँ .......... नींद आती नहीं, सपने दिखते नहीं .. ख्वाब आते हैं फिर, अपने होते क्यूँ नहीं..
शरद सिंह जी , इस पोस्ट पर मैं अपनी प्रतिक्रिया दे चुका हूं । आपका मेरे पोस्ट पर आगमन मेरे मनोबल को बढ़ाता है । इसलिए अनुरोध है कि मेरे नए पोस्ट "कबीर" पर आकर मुझे प्रोत्साहित करें । धन्यवाद ।
बहुत बढि़या।
ReplyDeleteवाह...अद्भुत पंक्तियाँ हैं...बधाई स्वीकारें...
ReplyDeleteनीरज
वाह, बहुत खूब है..
ReplyDeletewah..bahut behtareen! sundar chitra..
ReplyDeleteपसीने को संस्कृत में
ReplyDeleteपंडितजी स्वेद लिखते हैं.
मगर मन की 'निराशा' को
मौलवी खेद लिखते हैं.
@ मुझे मालूम है कि मैंने 'अभिधा शब्दशक्ति' का प्रयोग किया है, लेकिन आपने शायद 'तात्पर्य शब्दशक्ति' का सुन्दर प्रयोग किया है?
ये जो ऋग्वेद दिखता है
ReplyDeleteअलसाई-सी आंखों में
फलें-फूलें सभी सपने
ऋचा बन-बन के जीवन में!
behtareen!
ReplyDeletewaah! bhaut khub....
ReplyDeleteलाजवाब.............
ReplyDeleteये हाइकू तो नहीं...पर जो भी विधा है...लाजवाब है...
ReplyDelete'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक।
ReplyDeleteइस लघु/आशु कविता में इस एक बिम्ब से महाकाव्य समाया है।
वाह !!!!! लाजबाब प्रस्तुति,....
ReplyDeleteamazing!!!!!
ReplyDeleteअसाधारण....चार पंक्तियों मे पूरा सागर भर दिया है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
आपकी इन चंद पक्तियों पर ऋग्वेद क्या सहस्त्रों महाकाव्य की रचना हो सकती है । इस भाव- प्रवण प्रस्तुति के लिए आपको तहे - दिल से शुक्रिया अदा करता हूं । मेरे पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका विशेष आभार ।
ReplyDeleteकैसे बतलाएं कहो नींद और ख्वाब की बातों का सिलसिला खुलकर होगी रुसवाई यहाँ ..........
ReplyDeleteनींद आती नहीं, सपने दिखते नहीं ..
ख्वाब आते हैं फिर, अपने होते क्यूँ नहीं..
bahot badiya
ReplyDeleteHindiXpress Blog
ek alag rigved.....naayaab...
ReplyDeleteशरद सिंह जी , इस पोस्ट पर मैं अपनी प्रतिक्रिया दे चुका हूं । आपका मेरे पोस्ट पर आगमन मेरे मनोबल को बढ़ाता है । इसलिए अनुरोध है कि मेरे नए पोस्ट "कबीर" पर आकर मुझे प्रोत्साहित करें । धन्यवाद ।
ReplyDeleteडॉ शरद सिंह जी नयी विधा ...बहुत सुन्दर गहन भाव
ReplyDeleteभ्रमर ५
जितना संक्षिप्त उतना ही अधिक प्रभावी लेखन
ReplyDelete