उनींदे अतीत को, सन्दर्भ के आसरे जगाने का साहस बहुत कम लोग ही कर पाते हैं? और जब सन्दर्भ जाग जाता है, तब वह अतीत छोड़ वर्तमान हो चलता है? और वर्तमान जब आंखों में स्वप्निले-शर्मीलेपन को गुनता-बुनता है, तो ऐसे में गाल का लजाना स्वाभाविक ही है? फिर चाहे किसी ने कुछ कहा हो या न कहा हो? इतना बेहतरीन कहने का साहस जुटाने के लिये धन्यवाद।
मैने कभी आपसे एक निवेदन किया था कि आप रचना रचकर फिर उस अनुरुप चित्र तलाशती है या चित्र देखकर रचना लिखती है । क्योंकि चित्र और रचना में बहुत ज्यादा साम्य होता है
सुन्दर चित्र और सुन्दर रचना मन को मोह रही है. गालों का यूँ लजाना और उनका कहना तो गहराई की बात है. मन की इतनी गहराई का अनुभव आप ही समझ सकती है. मेरा तो बस दिल खुश हो गया है.
कौन सा सन्दर्भ ,तुमने फिर जगाया है , यूं - लजाये गाल , ऐसा क्या कहा तुमने । यह कविता का चित्रांकन है फिल्मांकन है या चित्र पर कविता है ? दोनों समरस सम -बुद्ध लागतें हैं .दोनों में संवाद है .
प्रिय ब्लोग्गर मित्रो प्रणाम, अब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा!
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वाह ! एक पल को लगता है कि एक काल्पनिक जीवन वास्तव में सच हो गया हो ! आपकी प्रस्तुति में एक विचित्र समन्वय का एहसास होता है- शब्द , अनुभूतियाँ और दिल तो किसी नारी का है परन्तु सौन्दर्य दृष्टि किसी लोभी पुरुष का लगता है। सृश्टि की समग्र पूर्णता का आभास होता है। वाकई यह प्रस्तुति एक अनकही कविता है और प्यार की परिभाशा है ! बधाई स्वीकारें। मैं तो आपके ब्लाग पर देर से आया।
aadeniya dr sahiba..sabse pahle to aapko hardik dhanyawad jo aap apne vastatam chano me se kuch bachakar mere blog tak aayin..mara protsahit kiya..main jab sagar mein rahkar likhna seekh raha tha aap paarangat ho chuki thi..aapki rachnaon per main comment nahin kar pa raha hoon..lambi rachnayein ya to sab kuch kholkar rakh deti hain ya khud sara rahasyo ka jabab de jati hain..aap kam shabdo mein dil ko chuta aisa sawal rakh deti hain ki man soch mein doob jata hai..wakai shandar..punah badhai
शरद जी नमस्ते |बहुत ही कम शब्दों में आपकी कविता बहुत कुछ कह देती है |एक शेर [गजल ]आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार कर रहा है |कुछ भी कहा न तुमने मगर मैं समझ गया /कुछ व्याकरण अजीब तेरी कनखियों में है |
sharad ji rachna aapki tarah hi khoobsurat hai ,ek lambe arse ke baad net par aai hoon shuruaat aapse hi kar hoon padhna bahut achchha lag raha hai .aabhari hoon aapki aap aai .aapke doosre blog par hi jaa rahi hoon .
यह तो राज़ की बात है ... बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteसंगीता स्वरुप जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
इस पर टिप्पणी करना मेरे क्षेत्र से बाहर है. पंक्तियाँ और चित्र एक ही भाव जगाती हैं.
ReplyDeleteयह क्षणिका में जीवन का महाकाव्य समाहित है....
ReplyDeleteaapki kavitaen hoti hi sunder hain.....sadhuwad
ReplyDeleteजितना सुंदर चित्र, उतनि ही सुंदर रचना
ReplyDeleteseemit shabdon main sab kuchh kah diya, in panktiyon ne
ReplyDeleteसांझ, सवेरा, रात, दिन, आंधी, बारिश, धूप
ReplyDeleteइन्द्रधनुष के सात रंग, उसके सौ-सौ रूप
भूषण जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
अरुण चन्द्र रॉय जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
योगेन्द्र मौदगिल जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
सोनू जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
आपका सदा स्वागत है।
संजय कुमार चौरसिया जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया ....
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
मनोज कुमार जी,
ReplyDeleteअपने विचारों से अवगत कराने के लिए आभार.
इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।
वाह .. सुन्दर भावमय करते शब्दों के मध्य यह प्रश्न ..बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteवाह सुन्दर !
ReplyDeleteसुंदर चित्र-सुंदर रचना
सदा जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
बहुत-बहुत आभार......
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
रविकर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।
ReplyDeleteजिजीविषा से भरे उदगार ...!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर..
वन्दना जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
हार्दिक धन्यवाद ....
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
अनुपमा त्रिपाठी जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
sundar man, sundar bhav...sub kuchh sundar hi sundar hai. bahut din baad net par lautaa, lekin yahaan aanaachchha lagaa.
ReplyDeleteगिरीश पंकज जी,
ReplyDeleteअपने ब्लॉग पर आपको देख कर सुखद लगा...विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।
बेहद सुन्दर.......ये कैसे सन्दर्भ चुने ..ये कैसे चित्र चुने आपने ..दिल को मेरे गुदगुदाया आपने...उम्दा ...
ReplyDeleteएक पुरानी मगर बेहद सामयिक कालजई कृति बड़े भाई
ReplyDeleteस्त्री प्रेम को समझना पुरुषो के वश में नहीं //
ReplyDeletedonot care for first comment
आज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDeleteमैं समय हूँ ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .
बबन पांडेय जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आपका सदा स्वागत है।
डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
संगीता स्वरुप जी,
ReplyDeleteस्नेहिल सूचना के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
kuch to kaha hai
ReplyDeleteshaam ki laali yun hin to nahi chehre per
इतने सुंदर भाव को कितनी सहजता से कह डाला..शरद जी
ReplyDeleteरश्मि प्रभा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
माहेश्वरी कनेरी जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
प्रेम की गहन अनूभुति....लाजवाब।
ReplyDeleteआदरणीय शरद जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
उनींदे अतीत को, सन्दर्भ के आसरे जगाने का साहस बहुत कम लोग ही कर पाते हैं? और जब सन्दर्भ जाग जाता है, तब वह अतीत छोड़ वर्तमान हो चलता है? और वर्तमान जब आंखों में स्वप्निले-शर्मीलेपन को गुनता-बुनता है, तो ऐसे में गाल का लजाना स्वाभाविक ही है? फिर चाहे किसी ने कुछ कहा हो या न कहा हो?
इतना बेहतरीन कहने का साहस जुटाने के लिये धन्यवाद।
-रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
आपके हृदायिक भाव आपमें एक संवेदनशील कवियत्री को छिपाए हुए है.अंतर्मन को छूते शब्दों के लिए बधाई
ReplyDeleteइन दो पंक्तियों में जीवन के सुखद सन्दर्भों के सारे आयाम समाये हुए हैं !
ReplyDeleteआभार !
शब्द अल्प , हैं भाव समेटे , स्मृतियाँ भरपूर
ReplyDeleteकिसी सुहागन के माथे पर,ज्यों दमके सिन्दूर .
कविता का सौन्दर्य चित्र से दब रहा है.
ReplyDeleteअर्थभरी मुस्कराहट प्रश्न जगा जाती है।
ReplyDeleteये तो बस दिल मुस्कुराया है, कब कुछ कहा किसीने ?
ReplyDeleteEr. सत्यम शिवम जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।
मैने कभी आपसे एक निवेदन किया था कि आप रचना रचकर फिर उस अनुरुप चित्र तलाशती है या चित्र देखकर रचना लिखती है । क्योंकि चित्र और रचना में बहुत ज्यादा साम्य होता है
ReplyDeleteयशवन्त माथुर जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक आभार।
कुश्वंश जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
रविकुमार बाबुल जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक धन्यवाद...
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार !
अरुण कुमार निगम जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
प्रतुल वशिष्ठ जी,
ReplyDeleteअपने विचारों से अवगत कराने के लिए आभार...
प्रवीण पाण्डेय जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
रजनीश तिवारी जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
बृजमोहन श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
बिना कहे बहुत कुछ कह दिया...
ReplyDeleteवाणभट्ट जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक आभार।
बनी रहे यह मुस्कराहट ...बहुत सुंदर
ReplyDeleteमुस्कराहट के साथ प्रश्न भी ..पता नहीं क्या कहा .....!
ReplyDeletemuskrahat bhi sawal ban gayi... kuch to raz hai... bhut hi sunder panktiya,....
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ! चित्र भी लाजवाब! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
चित्र और पंक्तियाँ में गहरा तारतम्य है ... और कुछ शब्द कितना गहरा बी हाव रखते हैं ... बेहद लाजवाब छाया और शब्द-चित्र ...
ReplyDeleteबहुत बढिया .. आपके इस पोस्ट की चर्चा आज की ब्लॉग4वार्ता में की गयी है !!
ReplyDeleteडॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।
केवल राम जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक आभार।
sushma 'आहुति' जी,
ReplyDeleteमेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।
उर्मि जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
दिगम्बर नासवा जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आपका सदा स्वागत है।
संगीता पुरी जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
बहुत बहुत धन्यवाद ब्लॉग4वार्ता में शामिल करने के लिए |
Er. सत्यम शिवम जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
bahut accha kuch to kah rahi hai yah post
ReplyDeleteaapka swagat hai mere blog par my blog link- "samrat bundelkhand"
उपेन्द्र शुक्ल जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक धन्यवाद...
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
कम शब्द, गहरा अर्थ और लाजवाब प्रस्तुतीकरण !
ReplyDeleteकुछ अलग हैं आप !
शुभकामनायें !
वाह :)
ReplyDeleteबड़ी ही कोमल और सारगर्भित कविता, बिलकुल गागर में सागर जैसा। चित्र भी बिलकुल कविता के अनुरूप है। साधुवाद।
ReplyDeleteचित्र में जो भाव है ,शब्द उसे पूरी तरह प्रस्तुत कर रहे हैं
ReplyDeleteप्रेम की गहन अनूभुति....लाजवाब।
ReplyDeleteवाह .. बहुत ही सुन्दर पंक्तियां
ReplyDeleteचित्र कि मानिंद क्षणिका भी लगी प्यारी.
ReplyDeleteप्यार में आँखें लजाती ही हैं बेचारी .
sundar bhav liye rachna
ReplyDeletebadhai
सतीश सक्सेना जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के प्रति आपके आत्मीय विचारों के लिए आभारी हूं.
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
काजल कुमार जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
बहुत बहुत धन्यवाद.
आचार्य परशुराम राय जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
मेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।
अजय कुमार जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
बहुत-बहुत आभार......
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
अमरेन्द्र अमर जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक आभार।
नूतन जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
कुंअर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
पी.सिंह जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक आभार।
bahut sundar lakhni hai mere blog me bhi aaye
ReplyDeletebahut hi meethee.....bhawbheeni.....
ReplyDeleteYe hain rag kee baten aur anurag kee baten. Sunder chitr aur sunder kshanika.
ReplyDeletegreat
ReplyDeleteचित्र कविता के भावों को स्पष्ट करता सा लगता है.
ReplyDeleteशरद जी कम शब्दों में भी अपनी बात को रखने की कला में आप माहिर हैं.
बधाई और शुभकामनायें.
सुन्दर चित्र और सुन्दर रचना मन को मोह रही है.
ReplyDeleteगालों का यूँ लजाना और उनका कहना तो गहराई की बात है. मन की इतनी गहराई का अनुभव आप ही समझ सकती है.
मेरा तो बस दिल खुश हो गया है.
दीपक कुमार जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
बहुत बहुत धन्यवाद.
मृदुला प्रधान जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक धन्यवाद...
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
आशा जोगलेकर जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!
दिलबाग विर्क जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
रचना दीक्षित जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
राकेश कुमार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
वाह, बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब hamare blog me aane ke liye dhanybaad kripya nai post se update rahe yaha se aaye blog meaate rahe
ReplyDeleteसमीर लाल जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
बहुत-बहुत आभार......
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
दीपक कुमार जी,
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद। मेरे ब्लॉग पर भी आपका सदैव स्वागत है!
काव्य का लालित्य और चित्र का सौंदर्य जहाँ एकाकार हो जायें उस गहनता को क्या विशेषण दें ?
ReplyDeleteप्रतिभा सक्सेना जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
सुंदर चित्रों के साथ सुंदर और सरल शब्दों की यह जुगलबंदी का अंदाज अच्छा लगा।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना और भाव।
ReplyDeleteप्रस्तुति का तो आपका अलग ही अंदाज है।
चेहरा पढूँ,कि चित्र ..
ReplyDeleteदोनों सारगर्भित...
कम शब्दों में राज़ की बात ...लाजवाब !!
ReplyDeleteकौन सा सन्दर्भ ,तुमने फिर जगाया है ,
ReplyDeleteयूं -
लजाये गाल ,
ऐसा क्या कहा तुमने ।
यह कविता का चित्रांकन है फिल्मांकन है या चित्र पर कविता है ?
दोनों समरस सम -बुद्ध लागतें हैं .दोनों में संवाद है .
राजेश उत्साही जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
महेन्द्र श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
अमित श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!
डॉ. हरदीप संधु जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार !
वीरूभाई जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
कहत नटत रीझत खीझत. मिळत खिलत लजियात , याद आ गयी . सुँदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआशीष जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!
सुंदर रचना
ReplyDeleteBahut hi sunder
ReplyDeletebhawpoorn kavita ke liye badhai.
अनुपम अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसुधीर जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!
रवि जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
अनुपम जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
बहुत-बहुत आभार......
नपे तुले शब्दोंमे गहन भाव !
ReplyDeleteबढ़िया !
सुमन जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
gagar me sagar shayad isi ko kahte hain ati uttam
ReplyDeleterachana
रचना जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
गागर में सागर।
ReplyDeleteदेवेन्द्र पाण्डेय जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
ReplyDeleteआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
गज़ब की प्रस्तुति....
ReplyDeleteभाव और चित्र का संयोजन पूर्व की भाँति अपूर्व
प्रिय ब्लोग्गर मित्रो
ReplyDeleteप्रणाम,
अब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा!
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हमारी यह पेशकश आपको पसंद आई?
नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है! मेरा ब्लॉग का लिंक्स दे रहा हूं!
हेल्लो दोस्तों आगामी..
beintha khoobsoorat ehsas hai ise dil se hi jb mhsoos kiya jata hai tb ye udgar prkt hote hai .bhut khoob .
ReplyDeleteविवेक जैन जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
बहुत-बहुत आभार......
सुरेन्द्र सिंह ‘झंझट’ जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
सोनू जी,
ReplyDeleteपेशकश का शुक्रिया....
राजवन्त राज जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
शरद सिंह जी,
ReplyDeleteवन्दे !
आज फ़िर मैं आपके ब्लोग पर ताज़ा रचनाओं से मेहरूम हो कर जा रहा हूं !
फ़िर आऊगा !
तब तक शायद नया शामिल हो जाए !
ओम पुरोहित'कागद' जी,
ReplyDeleteआने के लिए धन्यवाद....
कृपया,मेरे अन्य ब्लॉग्स पर भी भ्रमण करें.
चित्र पर कविता या कविता से चित्र! अद्भुत!
ReplyDeleteअल्पना वर्मा जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
सम्मानिया शरद जी
ReplyDeleteनमस्कार ! बहुत कुछ बया करती है कम शब्द अभिव्यक्ति व्याख्यान जितनी , सुंदर ,
साधुवाद .
सादर !
सुनील गज्जाणी जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
bahut kub
ReplyDeleteवाह ! एक पल को लगता है कि एक काल्पनिक जीवन वास्तव में सच हो गया हो ! आपकी प्रस्तुति में एक विचित्र समन्वय का एहसास होता है- शब्द , अनुभूतियाँ और दिल तो किसी नारी का है परन्तु सौन्दर्य दृष्टि किसी लोभी पुरुष का लगता है। सृश्टि की समग्र पूर्णता का आभास होता है। वाकई यह प्रस्तुति एक अनकही कविता है और प्यार की परिभाशा है ! बधाई स्वीकारें। मैं तो आपके ब्लाग पर देर से आया।
ReplyDeleteमहाकाव्य तो कहना मेरे सामर्थ्य से बाहर की बात है. परंतु.. किसी महा काव्य का नवनीत अवश्य है
ReplyDeleteवाह वाह
विद्या जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
हरिशंकर जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
गिरीश ‘मुकुल’ जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
इसी तरह संवाद बनाएं रखें।
आदरणीया डॉ.शरद सिंह जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
क्षमा चाहूंगा … आपकी ख़ूबसूरत रचना अब पढ़ने आया हूं …
यूं लजाए गाल , ऐसा क्या कहा तुमने ?
क्या बात है !
हमेशा की तरह बहुत सुंदर !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
यूं लजाए गाल , ऐसा क्या कहा तुमने ?
ReplyDeleteसुंदरतम, बल्कि बहुत ही श्रेष्ठतम, शुभकामनाएं.
रामराम.
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
ReplyDeleteदेर से सही, आपका आना सुखद लगा .....
मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार.
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
ReplyDeleteआमंत्रण हेतु हार्दिक धन्यवाद ....
ताऊ रामपुरिया जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया .... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
aadeniya dr sahiba..sabse pahle to aapko hardik dhanyawad jo aap apne vastatam chano me se kuch bachakar mere blog tak aayin..mara protsahit kiya..main jab sagar mein rahkar likhna seekh raha tha aap paarangat ho chuki thi..aapki rachnaon per main comment nahin kar pa raha hoon..lambi rachnayein ya to sab kuch kholkar rakh deti hain ya khud sara rahasyo ka jabab de jati hain..aap kam shabdo mein dil ko chuta aisa sawal rakh deti hain ki man soch mein doob jata hai..wakai shandar..punah badhai
ReplyDeleteशरद जी नमस्ते |बहुत ही कम शब्दों में आपकी कविता बहुत कुछ कह देती है |एक शेर [गजल ]आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार कर रहा है |कुछ भी कहा न तुमने मगर मैं समझ गया /कुछ व्याकरण अजीब तेरी कनखियों में है |
ReplyDeleteडॉ आशुतोष मिश्रा आशु जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
जयकृष्ण राय तुषार जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
आमंत्रण हेतु हार्दिक धन्यवाद .
वाह ...बहुत खूब आपकी यह प्रस्तुति अच्छी लगी .. ।
ReplyDeletewah...bahut sundar
ReplyDeletebas... waaaaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhh...
ReplyDeletekya kahu ki kitne ahsaason ko taazgi mil gai...
thank you so much...
यही तो बात है उस कहने में.
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना. बधाई स्वीकारें
सदा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
आंचल जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
हार्दिक धन्यवाद .
पूजा जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
अबनीश सिह चौहान जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
डॉ (मिस) शरद सिंह जी हार्दिक अभिवादन
ReplyDeleteदो लफ्जों की है ये कहानी ... ये सिद्ध कर दिया आप ने शोध कर के खूबसूरत -छवि ने ही सब समझा दिया ..
सुन्दर रचना बधाई
धन्यवाद -शुभ कामनाएं
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का झरोखा दर्द -ए -दिल
भ्रमर का दर्द और दर्पण
sharad ji rachna aapki tarah hi khoobsurat hai ,ek lambe arse ke baad net par aai hoon shuruaat aapse hi kar hoon padhna bahut achchha lag raha hai .aabhari hoon aapki aap aai .aapke doosre blog par hi jaa rahi hoon .
ReplyDeleteBAHUT HI ACHAA LAGA PADHKAR......
ReplyDeleteMUBARAK HO 151 FOLLOWER KE LIYE///
JAI HIND JAI BHARAT
सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
ज्योति सिंह जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
साजन आवारा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
Bahut sundar rachna... Aabhar...
ReplyDeleteBEAUTIFUL EXPRESSION OF LOVE.
ReplyDeleteLOVE LOVE AND PICK OF LOVE.