23 June, 2011

ऐसा क्या कहा तुमने .....


175 comments:

  1. यह तो राज़ की बात है ... बहुत सुन्दर ..

    ReplyDelete
  2. संगीता स्वरुप जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  3. इस पर टिप्पणी करना मेरे क्षेत्र से बाहर है. पंक्तियाँ और चित्र एक ही भाव जगाती हैं.

    ReplyDelete
  4. यह क्षणिका में जीवन का महाकाव्य समाहित है....

    ReplyDelete
  5. जितना सुंदर चित्र, उतनि ही सुंदर रचना

    ReplyDelete
  6. सांझ, सवेरा, रात, दिन, आंधी, बारिश, धूप
    इन्द्रधनुष के सात रंग, उसके सौ-सौ रूप

    ReplyDelete
  7. भूषण जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  8. अरुण चन्द्र रॉय जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....

    ReplyDelete
  9. योगेन्द्र मौदगिल जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  10. सोनू जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
    आपका सदा स्वागत है।

    ReplyDelete
  11. संजय कुमार चौरसिया जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया ....
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....

    ReplyDelete
  12. मनोज कुमार जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए आभार.
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  13. वाह .. सुन्‍दर भावमय करते शब्‍दों के मध्‍य यह प्रश्‍न ..बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  14. वाह सुन्‍दर !
    सुंदर चित्र-सुंदर रचना

    ReplyDelete
  15. सदा जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
    बहुत-बहुत आभार......
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  16. रविकर जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  17. बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।

    ReplyDelete
  18. जिजीविषा से भरे उदगार ...!!
    बहुत सुंदर..

    ReplyDelete
  19. वन्दना जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
    हार्दिक धन्यवाद ....
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  20. अनुपमा त्रिपाठी जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  21. sundar man, sundar bhav...sub kuchh sundar hi sundar hai. bahut din baad net par lautaa, lekin yahaan aanaachchha lagaa.

    ReplyDelete
  22. गिरीश पंकज जी,
    अपने ब्लॉग पर आपको देख कर सुखद लगा...विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  23. बेहद सुन्दर.......ये कैसे सन्दर्भ चुने ..ये कैसे चित्र चुने आपने ..दिल को मेरे गुदगुदाया आपने...उम्दा ...

    ReplyDelete
  24. एक पुरानी मगर बेहद सामयिक कालजई कृति बड़े भाई

    ReplyDelete
  25. स्त्री प्रेम को समझना पुरुषो के वश में नहीं //
    donot care for first comment

    ReplyDelete
  26. बबन पांडेय जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
    आपका सदा स्वागत है।

    ReplyDelete
  27. डॉ. नूतन डिमरी गैरोला जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  28. संगीता स्वरुप जी,
    स्नेहिल सूचना के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    ReplyDelete
  29. kuch to kaha hai
    shaam ki laali yun hin to nahi chehre per

    ReplyDelete
  30. इतने सुंदर भाव को कितनी सहजता से कह डाला..शरद जी

    ReplyDelete
  31. रश्मि प्रभा जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है....
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    ReplyDelete
  32. माहेश्वरी कनेरी जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...

    ReplyDelete
  33. प्रेम की गहन अनूभुति....लाजवाब।

    ReplyDelete
  34. आदरणीय शरद जी,
    यथायोग्य अभिवादन् ।

    उनींदे अतीत को, सन्दर्भ के आसरे जगाने का साहस बहुत कम लोग ही कर पाते हैं? और जब सन्दर्भ जाग जाता है, तब वह अतीत छोड़ वर्तमान हो चलता है? और वर्तमान जब आंखों में स्वप्निले-शर्मीलेपन को गुनता-बुनता है, तो ऐसे में गाल का लजाना स्वाभाविक ही है? फिर चाहे किसी ने कुछ कहा हो या न कहा हो?
    इतना बेहतरीन कहने का साहस जुटाने के लिये धन्यवाद।

    -रविकुमार बाबुल
    ग्वालियर

    ReplyDelete
  35. आपके हृदायिक भाव आपमें एक संवेदनशील कवियत्री को छिपाए हुए है.अंतर्मन को छूते शब्दों के लिए बधाई

    ReplyDelete
  36. इन दो पंक्तियों में जीवन के सुखद सन्दर्भों के सारे आयाम समाये हुए हैं !
    आभार !

    ReplyDelete
  37. शब्द अल्प , हैं भाव समेटे , स्मृतियाँ भरपूर
    किसी सुहागन के माथे पर,ज्यों दमके सिन्दूर .

    ReplyDelete
  38. कविता का सौन्दर्य चित्र से दब रहा है.

    ReplyDelete
  39. अर्थभरी मुस्कराहट प्रश्न जगा जाती है।

    ReplyDelete
  40. ये तो बस दिल मुस्कुराया है, कब कुछ कहा किसीने ?

    ReplyDelete
  41. Er. सत्यम शिवम जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  42. मैने कभी आपसे एक निवेदन किया था कि आप रचना रचकर फिर उस अनुरुप चित्र तलाशती है या चित्र देखकर रचना लिखती है । क्योंकि चित्र और रचना में बहुत ज्यादा साम्य होता है

    ReplyDelete
  43. यशवन्त माथुर जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार।

    ReplyDelete
  44. कुश्वंश जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  45. रविकुमार बाबुल जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक धन्यवाद...
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  46. ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार !

    ReplyDelete
  47. अरुण कुमार निगम जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    ReplyDelete
  48. प्रतुल वशिष्ठ जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए आभार...

    ReplyDelete
  49. प्रवीण पाण्डेय जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    बहुत-बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  50. रजनीश तिवारी जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  51. बृजमोहन श्रीवास्तव जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    बहुत-बहुत धन्यवाद।

    ReplyDelete
  52. बिना कहे बहुत कुछ कह दिया...

    ReplyDelete
  53. वाणभट्ट जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार।

    ReplyDelete
  54. बनी रहे यह मुस्कराहट ...बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  55. मुस्कराहट के साथ प्रश्न भी ..पता नहीं क्या कहा .....!

    ReplyDelete
  56. muskrahat bhi sawal ban gayi... kuch to raz hai... bhut hi sunder panktiya,....

    ReplyDelete
  57. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  58. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! चित्र भी लाजवाब! बेहतरीन प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

    ReplyDelete
  59. चित्र और पंक्तियाँ में गहरा तारतम्य है ... और कुछ शब्द कितना गहरा बी हाव रखते हैं ... बेहद लाजवाब छाया और शब्द-चित्र ...

    ReplyDelete
  60. डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  61. केवल राम जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार।

    ReplyDelete
  62. sushma 'आहुति' जी,
    मेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  63. उर्मि जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  64. दिगम्बर नासवा जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
    आपका सदा स्वागत है।

    ReplyDelete
  65. संगीता पुरी जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    बहुत बहुत धन्यवाद ब्‍लॉग4वार्ता में शामिल करने के लिए |

    ReplyDelete
  66. Er. सत्यम शिवम जी,
    आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है...
    मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

    ReplyDelete
  67. bahut accha kuch to kah rahi hai yah post
    aapka swagat hai mere blog par my blog link- "samrat bundelkhand"

    ReplyDelete
  68. उपेन्द्र शुक्ल जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक धन्यवाद...
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  69. कम शब्द, गहरा अर्थ और लाजवाब प्रस्तुतीकरण !
    कुछ अलग हैं आप !
    शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  70. बड़ी ही कोमल और सारगर्भित कविता, बिलकुल गागर में सागर जैसा। चित्र भी बिलकुल कविता के अनुरूप है। साधुवाद।

    ReplyDelete
  71. चित्र में जो भाव है ,शब्द उसे पूरी तरह प्रस्तुत कर रहे हैं

    ReplyDelete
  72. प्रेम की गहन अनूभुति....लाजवाब।

    ReplyDelete
  73. वाह .. बहुत ही सुन्‍दर पंक्तियां

    ReplyDelete
  74. चित्र कि मानिंद क्षणिका भी लगी प्यारी.
    प्यार में आँखें लजाती ही हैं बेचारी .

    ReplyDelete
  75. सतीश सक्सेना जी,
    मेरी कविता के प्रति आपके आत्मीय विचारों के लिए आभारी हूं.
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  76. काजल कुमार जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    बहुत बहुत धन्यवाद.

    ReplyDelete
  77. आचार्य परशुराम राय जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    मेरे गीत पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
    इसी तरह स्नेह बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  78. अजय कुमार जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
    बहुत-बहुत आभार......
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  79. अमरेन्द्र अमर जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार।

    ReplyDelete
  80. नूतन जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  81. कुंअर कुसुमेश जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  82. पी.सिंह जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक आभार।

    ReplyDelete
  83. Ye hain rag kee baten aur anurag kee baten. Sunder chitr aur sunder kshanika.

    ReplyDelete
  84. चित्र कविता के भावों को स्पष्ट करता सा लगता है.

    शरद जी कम शब्दों में भी अपनी बात को रखने की कला में आप माहिर हैं.

    बधाई और शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  85. सुन्दर चित्र और सुन्दर रचना मन को मोह रही है.
    गालों का यूँ लजाना और उनका कहना तो गहराई की बात है. मन की इतनी गहराई का अनुभव आप ही समझ सकती है.
    मेरा तो बस दिल खुश हो गया है.

    ReplyDelete
  86. दीपक कुमार जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    बहुत बहुत धन्यवाद.

    ReplyDelete
  87. मृदुला प्रधान जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक धन्यवाद...
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  88. आशा जोगलेकर जी,
    आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!

    ReplyDelete
  89. दिलबाग विर्क जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  90. रचना दीक्षित जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  91. राकेश कुमार जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  92. बहुत खूब hamare blog me aane ke liye dhanybaad kripya nai post se update rahe yaha se aaye blog meaate rahe

    ReplyDelete
  93. समीर लाल जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
    बहुत-बहुत आभार......
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  94. दीपक कुमार जी,
    बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरे ब्लॉग पर भी आपका सदैव स्वागत है!

    ReplyDelete
  95. काव्य का लालित्य और चित्र का सौंदर्य जहाँ एकाकार हो जायें उस गहनता को क्या विशेषण दें ?

    ReplyDelete
  96. प्रतिभा सक्सेना जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  97. सुंदर चित्रों के साथ सुंदर और सरल शब्‍दों की यह जुगलबंदी का अंदाज अच्‍छा लगा।

    ReplyDelete
  98. बहुत सुंदर रचना और भाव।
    प्रस्तुति का तो आपका अलग ही अंदाज है।

    ReplyDelete
  99. चेहरा पढूँ,कि चित्र ..

    दोनों सारगर्भित...

    ReplyDelete
  100. कम शब्दों में राज़ की बात ...लाजवाब !!

    ReplyDelete
  101. कौन सा सन्दर्भ ,तुमने फिर जगाया है ,
    यूं -
    लजाये गाल ,
    ऐसा क्या कहा तुमने ।
    यह कविता का चित्रांकन है फिल्मांकन है या चित्र पर कविता है ?
    दोनों समरस सम -बुद्ध लागतें हैं .दोनों में संवाद है .

    ReplyDelete
  102. राजेश उत्‍साही जी,
    यह मेरे लिए सुखद है कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.आभार.
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  103. महेन्द्र श्रीवास्तव जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  104. अमित श्रीवास्तव जी,
    आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!

    ReplyDelete
  105. डॉ. हरदीप संधु जी,
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवं हार्दिक आभार !

    ReplyDelete
  106. वीरूभाई जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  107. कहत नटत रीझत खीझत. मिळत खिलत लजियात , याद आ गयी . सुँदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  108. आशीष जी,
    आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!

    ReplyDelete
  109. Bahut hi sunder
    bhawpoorn kavita ke liye badhai.

    ReplyDelete
  110. अनुपम अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  111. सुधीर जी,
    आपको मेरी कविता पसन्द आई यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है... हार्दिक धन्यवाद!

    ReplyDelete
  112. रवि जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  113. अनुपम जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
    बहुत-बहुत आभार......

    ReplyDelete
  114. नपे तुले शब्दोंमे गहन भाव !
    बढ़िया !

    ReplyDelete
  115. सुमन जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

    ReplyDelete
  116. gagar me sagar shayad isi ko kahte hain ati uttam
    rachana

    ReplyDelete
  117. रचना जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  118. देवेन्द्र पाण्डेय जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

    ReplyDelete
  119. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,
    आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    ReplyDelete
  120. गज़ब की प्रस्तुति....
    भाव और चित्र का संयोजन पूर्व की भाँति अपूर्व

    ReplyDelete
  121. प्रिय ब्लोग्गर मित्रो
    प्रणाम,
    अब आपके लिये एक मोका है आप भेजिए अपनी कोई भी रचना जो जन्मदिन या दोस्ती पर लिखी गई हो! रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है! आपकी रचना मुझे 20 जुलाई तक मिल जानी चाहिए! इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी! आप अपनी रचना हमें "यूनिकोड" फांट में ही भेंजें! आप एक से अधिक रचना भी भेजें सकते हो! रचना के साथ आप चाहें तो अपनी फोटो, वेब लिंक(ब्लॉग लिंक), ई-मेल व नाम भी अपनी पोस्ट में लिख सकते है! प्रथम स्थान पर आने वाले रचनाकर को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा! रचना का चयन "स्मस हिन्दी ब्लॉग" द्वारा किया जायेगा! जो सभी को मान्य होगा!

    मेरे इस पते पर अपनी रचना भेजें sonuagra0009@gmail.com या आप मेरे ब्लॉग sms hindi मे टिप्पणि के रूप में भी अपनी रचना भेज सकते हो.

    हमारी यह पेशकश आपको पसंद आई?

    नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है! मेरा ब्लॉग का लिंक्स दे रहा हूं!

    हेल्लो दोस्तों आगामी..

    ReplyDelete
  122. beintha khoobsoorat ehsas hai ise dil se hi jb mhsoos kiya jata hai tb ye udgar prkt hote hai .bhut khoob .

    ReplyDelete
  123. विवेक जैन जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी रचना आपको पसन्द आई....
    बहुत-बहुत आभार......

    ReplyDelete
  124. सुरेन्द्र सिंह ‘झंझट’ जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  125. सोनू जी,
    पेशकश का शुक्रिया....

    ReplyDelete
  126. राजवन्त राज जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

    ReplyDelete
  127. शरद सिंह जी,
    वन्दे !
    आज फ़िर मैं आपके ब्लोग पर ताज़ा रचनाओं से मेहरूम हो कर जा रहा हूं !
    फ़िर आऊगा !
    तब तक शायद नया शामिल हो जाए !

    ReplyDelete
  128. ओम पुरोहित'कागद' जी,
    आने के लिए धन्यवाद....
    कृपया,मेरे अन्य ब्लॉग्स पर भी भ्रमण करें.

    ReplyDelete
  129. चित्र पर कविता या कविता से चित्र! अद्भुत!

    ReplyDelete
  130. अल्पना वर्मा जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  131. सम्मानिया शरद जी
    नमस्कार ! बहुत कुछ बया करती है कम शब्द अभिव्यक्ति व्याख्यान जितनी , सुंदर ,
    साधुवाद .
    सादर !

    ReplyDelete
  132. सुनील गज्जाणी जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

    ReplyDelete
  133. वाह ! एक पल को लगता है कि एक काल्पनिक जीवन वास्तव में सच हो गया हो ! आपकी प्रस्तुति में एक विचित्र समन्वय का एहसास होता है- शब्द , अनुभूतियाँ और दिल तो किसी नारी का है परन्तु सौन्दर्य दृष्टि किसी लोभी पुरुष का लगता है। सृश्टि की समग्र पूर्णता का आभास होता है। वाकई यह प्रस्तुति एक अनकही कविता है और प्यार की परिभाशा है ! बधाई स्वीकारें। मैं तो आपके ब्लाग पर देर से आया।

    ReplyDelete
  134. महाकाव्य तो कहना मेरे सामर्थ्य से बाहर की बात है. परंतु.. किसी महा काव्य का नवनीत अवश्य है
    वाह वाह

    ReplyDelete
  135. विद्या जी,
    आपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
    कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

    ReplyDelete
  136. हरिशंकर जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...

    ReplyDelete
  137. गिरीश ‘मुकुल’ जी,
    मेरी कविता पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत एवं आभार।
    इसी तरह संवाद बनाएं रखें।

    ReplyDelete
  138. आदरणीया डॉ.शरद सिंह जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    क्षमा चाहूंगा … आपकी ख़ूबसूरत रचना अब पढ़ने आया हूं …
    यूं लजाए गाल , ऐसा क्या कहा तुमने ?
    क्या बात है !
    हमेशा की तरह बहुत सुंदर !


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  139. यूं लजाए गाल , ऐसा क्या कहा तुमने ?

    सुंदरतम, बल्कि बहुत ही श्रेष्ठतम, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  140. राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
    देर से सही, आपका आना सुखद लगा .....
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार.

    ReplyDelete
  141. राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
    आमंत्रण हेतु हार्दिक धन्यवाद ....

    ReplyDelete
  142. ताऊ रामपुरिया जी,
    मेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया .... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    ReplyDelete
  143. aadeniya dr sahiba..sabse pahle to aapko hardik dhanyawad jo aap apne vastatam chano me se kuch bachakar mere blog tak aayin..mara protsahit kiya..main jab sagar mein rahkar likhna seekh raha tha aap paarangat ho chuki thi..aapki rachnaon per main comment nahin kar pa raha hoon..lambi rachnayein ya to sab kuch kholkar rakh deti hain ya khud sara rahasyo ka jabab de jati hain..aap kam shabdo mein dil ko chuta aisa sawal rakh deti hain ki man soch mein doob jata hai..wakai shandar..punah badhai

    ReplyDelete
  144. शरद जी नमस्ते |बहुत ही कम शब्दों में आपकी कविता बहुत कुछ कह देती है |एक शेर [गजल ]आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार कर रहा है |कुछ भी कहा न तुमने मगर मैं समझ गया /कुछ व्याकरण अजीब तेरी कनखियों में है |

    ReplyDelete
  145. डॉ आशुतोष मिश्रा आशु जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    ReplyDelete
  146. जयकृष्ण राय तुषार जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    आमंत्रण हेतु हार्दिक धन्यवाद .

    ReplyDelete
  147. वाह ...बहुत खूब आपकी यह प्रस्‍तुति अच्‍छी लगी .. ।

    ReplyDelete
  148. bas... waaaaaaaaaaaaaaaaaaaahhhhhh...
    kya kahu ki kitne ahsaason ko taazgi mil gai...
    thank you so much...

    ReplyDelete
  149. यही तो बात है उस कहने में.
    बहुत अच्छी रचना. बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete
  150. सदा जी,
    मेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

    ReplyDelete
  151. आंचल जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    हार्दिक धन्यवाद .

    ReplyDelete
  152. पूजा जी,
    अनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

    ReplyDelete
  153. अबनीश सिह चौहान जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    ReplyDelete
  154. डॉ (मिस) शरद सिंह जी हार्दिक अभिवादन
    दो लफ्जों की है ये कहानी ... ये सिद्ध कर दिया आप ने शोध कर के खूबसूरत -छवि ने ही सब समझा दिया ..
    सुन्दर रचना बधाई

    धन्यवाद -शुभ कामनाएं
    शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर का झरोखा दर्द -ए -दिल
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

    ReplyDelete
  155. sharad ji rachna aapki tarah hi khoobsurat hai ,ek lambe arse ke baad net par aai hoon shuruaat aapse hi kar hoon padhna bahut achchha lag raha hai .aabhari hoon aapki aap aai .aapke doosre blog par hi jaa rahi hoon .

    ReplyDelete
  156. BAHUT HI ACHAA LAGA PADHKAR......
    MUBARAK HO 151 FOLLOWER KE LIYE///
    JAI HIND JAI BHARAT

    ReplyDelete
  157. सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

    ReplyDelete
  158. ज्योति सिंह जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
    मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    ReplyDelete
  159. साजन आवारा जी,
    मेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार।
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....

    ReplyDelete
  160. BEAUTIFUL EXPRESSION OF LOVE.
    LOVE LOVE AND PICK OF LOVE.

    ReplyDelete