मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
एक पत्थर
दरक जाती हैं भावनाएं
बिखर जाते हैं शब्द
कांच की तरह
टूट कर,
जब
उस पर फेंकता है कोई
छल-छद्म का एक
पत्थर
मुस्कुराहट के मुखौटे
तले
अपनत्व का लबादा ओढ़ कर
विश्वास की ओट से।
- डाॅ शरद सिंह
बिलकुल सच !
हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🙏
भावनाओं में छद्म के लिए कोई स्थान नहीं बहुत अच्छी प्रस्तुति
हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🙏
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अत्यंत सुखद !!!मेरी रचना को ब्लॉग ‘पांच लिंकों का आनन्द’ में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार पम्मी सिंह ‘तृप्ति’ जी !!!
वाह, बहुत ख़ूब शरद ❤🙏❤
बहुत ही सुंदर सराहना से परे अभिव्यक्ति दी।सादर
हार्दिक धन्यवाद अनिता सैनी जी 🙏
वाह! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
बहुत बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी 🙏
बिलकुल सच !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🙏
Deleteभावनाओं में छद्म के लिए कोई स्थान नहीं
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🙏
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 सितंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अत्यंत सुखद !!!
Deleteमेरी रचना को ब्लॉग ‘पांच लिंकों का आनन्द’ में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार पम्मी सिंह ‘तृप्ति’ जी !!!
वाह, बहुत ख़ूब शरद ❤🙏❤
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सराहना से परे अभिव्यक्ति दी।
ReplyDeleteसादर
हार्दिक धन्यवाद अनिता सैनी जी 🙏
Deleteवाह! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी 🙏
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