सुनी कभी क्या मौन कि भाषा .... स्वत: स्फुरित मधुर - मधुर , बिन बोले ही सब कुछ बोले , भेद जिया के खोल दे ! समझ सको तो समझ लो इसको , ये तो दिल कि भाषा है , कुछ - कुछ में ही है सब कुछ , प्रेममयी जीवन रस धरा है ! सुनी कभी क्या मौन कि भाषा ... स्वत: स्फुरित ये मौन की भाषा ... शब्द रहित ये मौन की भाषा .....!!
दुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें ! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है- http://seawave-babli.blogspot.com http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
waah... aur aap to kam shabdon mei dher gadhne ki kala mei maahir... waah... jab bhi yaha aati hu, aur aisa kuch padhti hu, to lagta hai jaise mere vichaar yaha likh diye gae ho...
aaderniya sharad ji...main bhi maun hoon aapki yah kavita padhkar..isliye sirf likh raha hoon..aapke kavitayein abhi tak kam bolti thin ab maun rakh liya..aap ke is hunar ka main kayal hoon ..sadar pranam ke sath
har cheez ko nahi hoti zaroorat zuba(n) ki khamoshi bhi hai naam ek zuba(n) ka....
pehli baar apke blog per aana hua...bahut sunder blog hai or rachna bhi...aapki likhne kee vidha dekh ker bihari ki yaad aa gayi...thode mei sab kuch..."gaagar mei sagar"... mei to aapsae jud rahi hoon...or aap?
aaderneeya sharadji...main aapki is khoobsurat bhavon se saji is rachna ke nishay me bahut kuch kah deta hai .par kahoonga nahin..kyonki sach hai kabhi kabhi ek maun hee sab kuch kah deta hai dhwani aaur shabdon ke badle..aap ki nayi kriti ka intezaar hai ..sadar badhayee aaur amantran ke sath
# मुझे अच्छी तरह स्मरण है कि मैं एक और कमेंट लिख कर गया था … पता नहीं क्या हुआ मेरे उस कमेंट का ?!
आदरणीया डॉ.शरद सिंह जी सादर प्रणाम !
आशा है , ईश्वर-कृपा से आप सपरिवार स्वस्थ-सानंद हैं बहुत समय हो गया है इस बार पोस्ट बदले हुए … आपको बहुत याद कर रहे हैं :) आपकी नई रचनाओं का बहुत इंतज़ार है …
aap kaesi hain?asha hai aap achchhi hongi .aap ki kavitayen sada hi bahut mohak hoti hain . aap sada hi aese likhti rahiye rahi ishvar se prarthna hai rachana
aaderneeya sharad jee,,,,bahut dino se lagataar aapke lekhon kee prateeksha kar rahe hain sabhi,,,aapki choti choti behtarin kavitaon ka bhee intezaar hai,,,aakhir kya karan hai aapke is maun ka,,sadar pranaam ke sath रंग बिरंगी है रंगोली मस्तानो की निकली टोली कहीं अबीर गुलाल कहीं पर चली धडल्ले भंग की गोली पिचकारी से छूटे गोली रहे सलामत कैसे चोली ईना, मीना, डीका, रीना नहीं बचेगी कोई भोली आज अधर खामोश रहेंगे आज रंग हैं सबकी बोली आज नहीं छोड़ेंगे भौजी बुरा न मानो है ये होली
होली पर आप को मेरे और मेरे परिवार की और से हार्दिक शुभकानाएं ...होली के बिबिध रंगों की तरह आपका जीवन रंगबिरंगा बना रहे ....खुशियाँ आपके कदम चूमे ..आपके अंतर का कलुष हटे.......प्रेम का साम्राज्य चहु ओर स्थापित हो ..पुनः इन्ही शुभकामनाओं के साथ
BAS AAPAKI LINES DEKHATA HUN AUR USAKE BHAW SANYOJAN HETU LAGE PHOTO KO DEKHAKAR BHAWWIWHAL HO JATA HUN. EK HI SOCH .SARI BICHH NARI ............ NARI BICH SARI............. CHITRA KE LIYE LINES............. LINES KE LIYE CHITRA............. BAHUT HI SUNDAR SAHSAMBANDH.
बहुत ख़ामोशी से आपने मन की बात कविता में कह दिया |आभार सुन्दर कविता के लिए
ReplyDeleteजयकृष्ण राय तुषार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के मर्म पर अपने विचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत आभार...
जी,मौन भी सम्प्रेषण का एक माध्यम है.
ReplyDeleteसुन्दर लिखा आपने.
vidushee sharad ji
ReplyDeletesatya rachaa aapne
jab maun boltaa hai.
fir kaun boltaa hai ,
भाव संप्रेषण का मौन से सशक्त अन्य कोई माध्यम नही है, परमात्मा भी मौन में उतरने पर ही अपनी जह्लकियां दिखलाता है. बहुत खूबसूरत.
ReplyDeleteरामराम.
भूल सुधार :-
ReplyDeleteजह्लकियां = झलकियां पढा जाये.
रामराम.
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
बहुत बढ़िया ||
ReplyDeleteबधाई ||.
जिस तरह ये चंद शब्द सब कुछ कह रहे है.... बहुत ही खुबसूरत.....
ReplyDeleteध्वनन,
ReplyDeleteध्वन और
ध्वन्य से
प्रभावी अव्यक्ति |
ध्वंसक के लिए
असहनीय
मौनित्व की शक्ति ||
ध्वनन=अव्यक्त शब्द
ध्वन= शब्द
ध्वन्य=व्यंगार्थ
लाजवाब,
ReplyDeleteचित्र और कविता दोनों।
------
मनुष्य के लिए खतरा।
...खींच लो जुबान उसकी।
मौन को प्रभावी करने के लिये भावों की सांध्रता चाहिये।
ReplyDeleteसच लिखा आपने.
ReplyDeleteमौन बहुत कुछ कह जाता है
मौन भाषा की लिपि शायद आँखों में बसी है . सुँदर पंक्तियाँ .
ReplyDeleteकुंवर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteआभारी हूं मेरी कविता पर आपके विचारों के लिए...इसी तरह प्रोत्साहन देते रहें.
वीरेन्द्र जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता रुचिकर लगी, यह जानकर मन प्रसन्न हो गया. आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए.
ताऊ रामपुरिया जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व्यख्या की है आपने मेरी कविता के मर्म की. अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक आभार.
यशवन्त माथुर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को सराहने के लिए हार्दिक आभार. इसी तरह संवाद बनाए रखें....
रविकर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये हार्दिक आभार....
मन उत्साहित हुआ...
सुषमा आहुति जी,
ReplyDeleteआपका स्नेह मेरी कविता को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार.
रविकर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के तारतम्य में आपकी ध्वनि को व्याख्यायित करती रचना अत्यंत सारगर्भित है. आभारी हूं.
डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
प्रवीण पाण्डेय जी,
ReplyDeleteआपकी सटीक टिप्पणी से मेरी कविता की सार्थकता रेखांकित हुई. आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
विशाल जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार. कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें...
आशीष जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर गहराई से विचार करने तथा अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत आभार..हार्दिक धन्यवाद...
मौन की भाषा सबसे मुखर होती है. सुंदर रचना बन पड़ी है.
ReplyDeleteभूषण जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के मर्म को रेखांकित करती आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार एवं धन्यवाद...
मौन ...मेरा प्रिय विषय ... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकम शब्दों में गहरी बात की आपने।
ReplyDeleteआभार...........
संगीता स्वरुप जी,
ReplyDeleteआपका स्नेह मेरी कविता को मिला..यह मेरा सौभाग्य है. आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं.... कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें....
अतुल श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
फालोवर्स का आप्शन ही नदारद है इस ब्लाग से......
ReplyDeleteअतुल श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteफालोवर्स का आप्शन खुला है. संभवतः किसी तकनीकी कारण से नहीं दिखा होगा. कृपया री-लोड कर लें.
मेरे सभी ब्लॉग्स पर आपका हार्दिक स्वागत है.
जब आँखें बोल रहीं हों तो शब्दों की क्या ज़रूरत...कविता के साथ जो फोटो है उससे तो ये ही लगता है...
ReplyDeleteमौन क्या कुछ नहीं कह सकता.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
ये वो भाषा है जो कहाना तो सबको आता है, पढना सबको नहीं आता।
ReplyDeleteमौन का सम्प्रेषण अधिक प्रभावशाली रहता है शरद जी !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
बहुत खूब ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमौन एक प्रभावशाली हथियार है और नरसिंघा राव जी ने पी एम रहते इसका बखूबी इस्तेमाल किया है।
ReplyDeleteएक अनकहा लफ्ज़ मैं एक तुम .... चलो शब्द बनकर कुछ कह लें
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत लिखा है आपने! मौन बहुत कुछ कह जाता है और ये बात बिल्कुल सही है!
ReplyDeleteवाणभट्ट जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के प्रति अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए अत्यंत आभारी हूं. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
राकेश कुमार जी,
ReplyDeleteयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई. हार्दिक आभार !
मनोज कुमार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता के मर्म को जिस सुन्दरता से रेखांकित किया है आपने, सुखद लगा. आभारी हूं.
सतीश सक्सेना जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर गहराई से विचार करने तथा अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत आभार..हार्दिक धन्यवाद...
सदा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
विजय माथुर जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....हार्दिक आभार...
रश्मि प्रभा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये बहुत-बहुत आभार.....
उर्मि जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता रुचिकर लगी, यह जानकर मन प्रसन्न हो गया. आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए.
्तभी तो कहा गया है मौन भी मुखर होता है बशर्ते पढने वाली आंखे हों
ReplyDeleteमौन की आवाज़ सबसे तेज होती है ... सीधे आँखों से दिल में उतर्जाती है ...
ReplyDeleteमौन तो होता ही खूबसूरत है.....प्रकृति की तरह...मौन....
ReplyDeleteबेहतरीन अभिवयक्ति.....हम भी मौन हो गये........
ReplyDeleteमौन बहुत मुखर होता है शरद जी ...
ReplyDeleteशरद जी! जरा इस मौन-महिमा को देखिए तो बस हँसिएगा नहीं प्लीज...
ReplyDeletekya baat hai....this is very beautiful...
ReplyDeleteवन्दना जी,
ReplyDeleteआप जैसी विदुषी के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
दिगम्बर नासवा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने तथा अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें.
कुमार जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
अली शोएब सैय्यद जी,
ReplyDeleteआपका स्नेह मेरी कविता को मिला..यह मेरा सौभाग्य है. हार्दिक धन्यवाद ...
सुनील कुमार जी,
ReplyDeleteआपकी सटीक टिप्पणी से मेरी कविता की सार्थकता रेखांकित हुई. आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई.... मेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी,
ReplyDeleteमौन-महिमा को देख कर नहीं हंसूंगी, ये वादा है.
सुरेन्द्र "मुल्हिद" जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें....
Very beautiful words!
ReplyDeleteADBHUT RACHNA...BADHAI SWIIKAREN
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDeletebahut khoob dr.Sharad ji...........me to fan ho gaya apka
ReplyDeleteविवेक जैन जी,
ReplyDeleteआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
Rahul ji,
ReplyDeleteHearty Thanks for your valuable comment.
नीरज गोस्वामी जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
संजय कुमार चौरसिया जी,
ReplyDeleteआपको मेरी कविता रुचिकर लगी, यह जानकर मन प्रसन्न हो गया. आभारी हूं ...
संजय भास्कर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को पसंद करने तथा अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें.
... नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं....
ReplyDeleteआपका जीवन मंगलमयी रहे ..यही माता से प्रार्थना हैं ..
जय माता दी !!!!!!!
सुनी कभी क्या मौन कि भाषा ....
ReplyDeleteस्वत: स्फुरित मधुर - मधुर ,
बिन बोले ही सब कुछ बोले ,
भेद जिया के खोल दे !
समझ सको तो समझ लो इसको ,
ये तो दिल कि भाषा है ,
कुछ - कुछ में ही है सब कुछ ,
प्रेममयी जीवन रस धरा है !
सुनी कभी क्या मौन कि भाषा ...
स्वत: स्फुरित ये मौन की भाषा ...
शब्द रहित ये मौन की भाषा .....!!
bahut khoob...aabhar
बेहद खूबसूरत...चित्र भी और अभिव्यक्ति भी...
ReplyDeleteपाठक-गण ही पञ्च हैं, शोभित चर्चा मंच |
ReplyDeleteआँख-मूँद के क्यूँ गए, कर भंगुर मन-कंच |
कर भंगुर मन-कंच, टिप्पणी करते जाओ |
प्रस्तोता का करम, नरम नुस्खा अपनाओ |
रविकर न्योता देत, द्वार पर सुनिए ठक-ठक |
चलिए रचनाकार, लेखकालोचक-पाठक ||
शुक्रवार
चर्चा - मंच : 653
http://charchamanch.blogspot.com/
आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteकितना खूबसूरत है इस मौन का मुखर होना ।
ReplyDeleteकितना खूबसूरत है इस मौन का मुखर होना ।
ReplyDeleteकितना खूबसूरत है इस मौन का मुखर होना ।
ReplyDeleteकितना खूबसूरत है इस मौन का मुखर होना ।
ReplyDeleteकम शब्दों में गहरी बात .........
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति डॉ. शरद जी
ReplyDeleteआप भी मेरे फेसबुक ब्लाग के मेंबर जरुर बने
mitramadhur@groups.facebook.com
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
MITRA-MADHUR
मौन के नखरों को समझना बड़ा ही दुष्कर होता है शरद जी.....सुन्दर पंक्तिया....बधाई....
ReplyDeleteआग कहते हैं, औरत को,
ReplyDeleteभट्टी में बच्चा पका लो,
चाहे तो रोटियाँ पकवा लो,
चाहे तो अपने को जला लो,
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
संजय भास्कर जी,
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार नवरात्रि पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं.!
प्रियंका राठौर जी,
ReplyDeleteमेरी कविता को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....
ऋता शेखर 'मधु' जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
रविकर जी,
ReplyDeleteयह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपने मेरी कविता का चयन चर्चा मंच हेतु किया . आपको बहुत-बहुत धन्यवाद ! एवं पुनः हार्दिक आभार !
बबली जी,
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
आशा जोगळेकर जी,
ReplyDeleteअत्यन्त आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
निवेदिता जी,
ReplyDeleteइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
नीलकमल जी,
ReplyDeleteयह जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आयी....बहुत-बहुत धन्यवाद !
आपके इस आमन्त्रण के लिए आभार...
मालिनी गौतम जी,
ReplyDeleteअनुगृहीत हूं आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए...
सियाना मस्कीनी जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर काव्यात्मक टिप्पणी देने के लिये आभार....
मेरी ग़ज़ल से एक शेर-
ReplyDeleteखामोशी भी कह देती है सारी बातें,
दिल की बातें कब कोई मुंह से कहता है।
दुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
मौन कहीं ज्यादा प्रभावी होता है मुखर से !
ReplyDeleteसुन्दर चित्र संयोजन
महेन्द्र वर्मा जी,
ReplyDeleteमेरी कविता पर काव्यात्मक टिप्पणी देने के लिये आभार...
बबली जी,
ReplyDeleteदुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
आपके अनुग्रहपूर्ण निमन्त्रण के लिए हृदय से आभारी हूं...
सुरेन्द्र सिंह " झंझट "जी,
ReplyDeleteआत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
अति सुन्दर भाव पूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
waah...
ReplyDeleteaur aap to kam shabdon mei dher gadhne ki kala mei maahir...
waah...
jab bhi yaha aati hu, aur aisa kuch padhti hu, to lagta hai jaise mere vichaar yaha likh diye gae ho...
बहुत सुंदर ...मौन की भाषा भी होती है मुखर....
ReplyDeleteमौन कभी कभी बहुत मुखर होता है, शायद शब्दों से भी ज्यादा.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति. विजयादशमी की शुभकामनायें आपको और आपके परिवार को.
aaderniya sharad ji...main bhi maun hoon aapki yah kavita padhkar..isliye sirf likh raha hoon..aapke kavitayein abhi tak kam bolti thin ab maun rakh liya..aap ke is hunar ka main kayal hoon ..sadar pranam ke sath
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
ReplyDeletehar cheez ko nahi hoti zaroorat zuba(n) ki
ReplyDeletekhamoshi bhi hai naam ek zuba(n) ka....
pehli baar apke blog per aana hua...bahut sunder blog hai or rachna bhi...aapki likhne kee vidha dekh ker bihari ki yaad aa gayi...thode mei sab kuch..."gaagar mei sagar"...
mei to aapsae jud rahi hoon...or aap?
मौन रहकर भी सब आँखों से कहा जा सकता है.चित्र और पन्तियाँ अच्छी लगी..
ReplyDeleteशरद जी नमस्कार, सुन्दर रचना मौन की भाषा शब्दों की भाषा से ज्यादा मुखर होती है।
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
ReplyDeleteकभी-कभी मौन आँखों से कहता है ....बहुत सुंदर पंक्ति
ReplyDeleteमौन का अपना एक संगीत है .सम्प्रेषण है .चितवन मुखर होती है .देह की भी तो एक भाषा है मुख मुद्राओं की भी .
ReplyDeleteसुन्दर सृजन , प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteसमय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
दीपावली केशुभअवसर पर मेरी ओर से भी , कृपया , शुभकामनायें स्वीकार करें
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,डॉ शरद जी.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteहोटों का तबस्सुम समझे हैं आँखों की ज़बा भी जाने हैं.
ReplyDeleteलाखों में तुम्हें अय जाने-ग़ज़ल हम दूर से पहिचाने हैं.
तस्वीर की आँखें, होट,बिदिया कहाँ खामोश हैं ? सब बोलते हैं.
दुनिया बहुत स्वार्थी है ................लेकिन आज कल मौन की भाषा समझता कौन है ??
ReplyDeleteसार्थक कविता .......धन्यवाद
बहुत खूब आप मेरी रचना भी देखे ...........
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट में स्वागत है......
ReplyDeleteआपके पोस्ट पर आना सार्थक लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । सादर।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण..
ReplyDeleteमेरा शौक - आज रिश्ता सब का पैसे से
क्या बात है । आपेक पोस्ट ने बहुत ही भाव विभोर कर दिया । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है ।
ReplyDeleteaaderneeya sharadji...main aapki is khoobsurat bhavon se saji is rachna ke nishay me bahut kuch kah deta hai .par kahoonga nahin..kyonki sach hai kabhi kabhi ek maun hee sab kuch kah deta hai dhwani aaur shabdon ke badle..aap ki nayi kriti ka intezaar hai ..sadar badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeletewhere are you?
ReplyDelete
ReplyDelete♥
# मुझे अच्छी तरह स्मरण है कि मैं एक और कमेंट लिख कर गया था … पता नहीं क्या हुआ मेरे उस कमेंट का ?!
आदरणीया डॉ.शरद सिंह जी
सादर प्रणाम !
आशा है , ईश्वर-कृपा से आप सपरिवार स्वस्थ-सानंद हैं
बहुत समय हो गया है इस बार पोस्ट बदले हुए …
आपको बहुत याद कर रहे हैं :)
आपकी नई रचनाओं का बहुत इंतज़ार है …
मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut hi sundar abhivykti badhai sarad ji
ReplyDeleteआपको तीन महीने से अधिक हो गए है नयी पोस्ट लिखने में.
ReplyDeleteआपके कुशल मंगल की आशा करता हूँ.
शीघ्र दर्शन दीजियेगा शरद जी.
मेरे ब्लॉग पर भी आये आपको अरसा हो गया है.
आपका इन्तजार करता रहता हूँ.
Chitra aur shabd- dono ka chayan laazwab.
ReplyDeleteआपने अपनी प्रस्तुति को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया है । सदा सृजनरत रहें ।मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteits really nice post Thanks for sharing this information which is useful for all.
ReplyDeletephp web development
aap kaesi hain?asha hai aap achchhi hongi .aap ki kavitayen sada hi bahut mohak hoti hain .
ReplyDeleteaap sada hi aese likhti rahiye rahi ishvar se prarthna hai
rachana
hmmm maun ki shakti asi hi hoti hai
ReplyDeleteSILENCE SPEAKS.IT WILL BE SO FAST
ReplyDeleteTO COMMENT ON YOUR BEAUTIFUL LINES.
रंगोत्सव पर आपको शुभकामनायें ..
ReplyDeleteaaderneeya sharad jee,,,,bahut dino se lagataar aapke lekhon kee prateeksha kar rahe hain sabhi,,,aapki choti choti behtarin kavitaon ka bhee intezaar hai,,,aakhir kya karan hai aapke is maun ka,,sadar pranaam ke sath
ReplyDeleteरंग बिरंगी है रंगोली
मस्तानो की निकली टोली
कहीं अबीर गुलाल कहीं पर
चली धडल्ले भंग की गोली
पिचकारी से छूटे गोली
रहे सलामत कैसे चोली
ईना, मीना, डीका, रीना
नहीं बचेगी कोई भोली
आज अधर खामोश रहेंगे
आज रंग हैं सबकी बोली
आज नहीं छोड़ेंगे भौजी
बुरा न मानो है ये होली
होली पर आप को मेरे और मेरे परिवार की और से हार्दिक शुभकानाएं ...होली के बिबिध रंगों की तरह आपका जीवन रंगबिरंगा बना रहे ....खुशियाँ आपके कदम चूमे ..आपके अंतर का कलुष हटे.......प्रेम का साम्राज्य चहु ओर स्थापित हो ..पुनः इन्ही शुभकामनाओं के साथ
सुन्दर ..बहुत बहुत बधाई...होली की शुभकामनाएं....
ReplyDeleteBAS AAPAKI LINES DEKHATA HUN AUR USAKE BHAW SANYOJAN HETU LAGE PHOTO KO DEKHAKAR BHAWWIWHAL HO JATA HUN.
ReplyDeleteEK HI SOCH .SARI BICHH NARI ............
NARI BICH SARI.............
CHITRA KE LIYE LINES.............
LINES KE LIYE CHITRA.............
BAHUT HI SUNDAR SAHSAMBANDH.
बहुत बढ़िया
ReplyDelete