मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
रंगों की कथा कहती होली की रवानी है देखो तो हंसी मौसम पर छाई जवानी है मिलते हैं सभी खिलकर फूलों की तरह देखो उल्लास भरी चाहत होती ही सुहानी है
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