मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
बढ़िया
अभी......... कुछ समय पहले एक खबर पड़ी थी बेटा सारी जायदाद बेचकर माँ को एयर पोर्ट पर छोड़कर विदेश उद गया माँ को साथ ले जाने का भ्रम देकर ॥ माँ तुम ...... आस छोड़ दो वो नहीं आयेगा । मर्मस्पर्शी कविता
सुन्दर पोस्ट...
ये आस मन की पूरी हो जाये। आपकी सुंदर प्रस्तुती का आभार।
मार्मिक .. माँ तो माँ है इंतज़ार करती रहेगी ... उफ़ न करेगी ...
बढ़िया
ReplyDeleteअभी......... कुछ समय पहले एक खबर पड़ी थी बेटा सारी जायदाद बेचकर माँ को एयर पोर्ट पर छोड़कर विदेश उद गया माँ को साथ ले जाने का भ्रम देकर ॥ माँ तुम ...... आस छोड़ दो वो नहीं आयेगा । मर्मस्पर्शी कविता
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट...
ReplyDeleteये आस मन की पूरी हो जाये। आपकी सुंदर प्रस्तुती का आभार।
ReplyDeleteमार्मिक .. माँ तो माँ है इंतज़ार करती रहेगी ... उफ़ न करेगी ...
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