24 April, 2014

छोड़ी हुई वृद्धा विधवा ...

A poem of Dr Sharad Singh
Abandoned old widow ...

Where am I
Mathura, Vrindavan or Varanasi?
This is what makes the difference
Be anywhere
Away from my loved ones
With identity
An abandoned old widow
What stops from having widow?
Time speed or the moon, the stars, the sun walking
No!
Then, why have my life imprisoned

Like moss in a puddle...
- Dr Sharad Singh

7 comments:

  1. काई की तरह सब उस से परहेज करते हैं ...बहुत दुखद पहलु है ये ...इस कविता से मुझे बँगाल से वृन्दावन आश्रम पहुंची गईं विधवाओं की याद आई ...उन सबका ' हरे रामा , हरे कृष्णा ' गाते हुए संकीर्तन याद आया ...उनलोगों का कातर निगाहों से हमें देखना याद आया ...ये भी याद आया कि आश्रम में भी पॉलिटिक्स चलती है ...उफ्फ इंसान के पास जैसे दिल ही नहीं है ..

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    1. आपने सही कहा शारदा अरोरा जी....

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  2. बेहद संवेदनशील..

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    1. हार्दिक आभार अंकुर जैन जी ...

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  3. समाज के मुंह पे करार चमाचा है ... ये शब्द शब्द नहीं आग हैं ...

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  4. हार्दिक आभार राजेंद्र कुमार जी ...

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  5. हार्दिक आभार दिगम्बर नास्वा जी ...

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