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A Poem of Dr Sharad Singh |
Cataract …
Came off in my eyes
Cataract of the neglect of loved ones
Relationships are dim
Even dim future
Does not appear on
Currently there are no loved ones
Is any doctor who could remove
The cataract in my eyes…
- Dr Sharad Singh
बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!
ReplyDeleteRECENT POST आम बस तुम आम हो
धन्यवाद धीरेन्द्र सिंह भदौरिया जी ....
Deleteरिश्ते धुधलाते हैं जब हम किसी काम के नही रहते। स्वार्थों की इस दुनिया में कोई नाता क्या और रिश्ता क्या।
ReplyDeleteआभारी हूं आशा जोगळेकर जी ...
Deleteहार्दिक आभार शिवम् मिश्रा जी ...
ReplyDeleteमोतीयाबिंदु उनके आँखों में है जो माँ की आँखों में खुद को देख नहीं पाते...
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