मेरे दो दोहे....
तेरी आंखों से बही, भीगे मेरे गाल।
अश्रु-धार करने लगी, ऐसे विकट कमाल।।1
तेरे-मेरे बीच की दूरी, सौ-सौ मील।
फिर भी किरणें हैं यहां, जले वहां कंदील।।2
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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