08 May, 2016

मां पर एक बुंदेली ग़ज़ल .... डॉ शरद सिंह


मां सो नोनो  कोऊ नइयां
          - डाॅ शरद सिंह

मां  सो  नोनो  कोऊ नइयां।
मां को अंचरा सीतल  छइयां।

चोट लगे चए जुर चढ़ आए
करे  रतजगा  पाले  मइयां।

खुद भूखी  रै  जावे लेकन
बच्चन खों दे दूध-मलइयां।

गिरहस्ती  में  डूबी  रैती
भूल  बिसारे सबरी गुइयां।

कहो ‘मताई’, ’बऊ’ कह लेओ
पकरे  रइयो  मां की बंइयां ।

मां की  आसीसें  जो होएं
रोक न पाए बिपत, बुरइयां।

मां की लोरी, मां की थपकी
‘शरद’ न भूली मां की कइयां।
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2 comments:

  1. बहुत खूब...मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति

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