चाहती हूं सिर्फ़ एक दिन
- डॉ शरद सिंह
मुझे चाहिए
जीवन का सिर्फ़ एक दिन
बिना किसी याद
बिना किसी बात
बिना किसी तारत्म्य
बिना किसी तादात्म्य
मुझे चाहिए
जीवन का सिर्फ़ एक दिन
जिसमें फूल हों
पत्ते हों
पक्षी हों
पहाड़ और झरने हों
लंबी सूनी निचाट सड़कें हों,
दूर तक देखूं
तो दिखाई दे सूरज का चढ़ना
सूरज का उतरना
और एक सुनहरा दिन
धूप खिली हुई
हवा में ठंडक
एक गुनगुनापन
न कोई साथ
न कोई पास
न कोई अपनापन
न कोई बेगानापन
न कोई दोस्ती
न कोई दुश्मनी
न कोई आशा
न कोई निराशा
न कोई नींद
न कोई सपना
न कविता, न कहानी
न प्रहसन, न उपन्यास
न काग़ज़, न लैपटॉप
न पेन, न की-बोर्ड
न शब्द, न अक्षर
कम्प्यूटर की
बाईनरी से दूर
गॉड पार्टिकल से परे
ज़िनोम, सिंड्रोम
कुछ भी नहीं
सूफ़ियाना इश्क़ की
तलाश में
एक एस्टरॉयड की भांति
अनंत अंतरिक्ष में
नक्षत्रों के पास से
गुज़रती हुई
सिर्फ़ एक दिन
जीना चाहती हूं -
निर्विरोध, निश्चेष्ट,
निर्विवाद, नि:शंक
अपने साथ,
अपने अस्तित्व को
बूझने के लिए
और चाहती हूं -
वह दिन हो
मेरा अंतिम दिन,
शून्य में विलीन हो जाने के लिए
प्रस्थान बिंदु।
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बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (26-07-2021 ) को 'अपनी कमजोरी को किस्मत ठहराने वाले सुन!' (चर्चा अंक 4137) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
मेरी कविता को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार रविंद्र सिंह यादव जी 🙏
Deleteमुझे चाहिए
ReplyDeleteजीवन का सिर्फ़ एक दिन
बिना किसी याद
बिना किसी बात
बिना किसी तारत्म्य
बिना किसी तादात्म्य
बहुत ही सुंदर सृजन मैम
बहुत-बहुत धन्यवाद मनीषा गोस्वामी जी 🙏
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteअति सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद विभाग ठाकुर जी
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद संदीप कुमार शर्मा जी🙏
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