ग़ज़ल
उसकी यादें
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
उसकी यादें दरवाज़े पर दस्तक बन टकराती हैं।
दिल की चौखट रो पड़ती है, आंखें भर-भर आती हैं।
ज़िन्दा रहना कमिट किया है, सांसें तो लेनी होंगी
वरना अब तो इच्छाएं भी, मुझसे ही कतराती हैं।
मुस्कानों का मास्क लगा कर, दर्द छिपाना बहुत कठिन
आंसू की बूंदें तो अकसर आंखों में उतराती हैं।
कभी-कभी ऐसा लगता है, मौन साध लें दुनिया से
अपनेपन की मृगतृष्णा भी राहों में भटकाती है।
जब तक हिम्मत साथ दे रही, लोहा लेंगे क़िस्मत से
देखें क़िस्मत हमको कितने, कैसे खेल खिलाती है।
वर्षा के बिन 'शरद' आएगी, कब तक आखिर ऋतुओं में
बदल रहे मौसम के क्रम अब, बात यही उलझाती है।
-------------------------
#अर्ज़कियाहै
#डॉसुश्रीशरदसिंह #DrMissSharadSingh
#ग़ज़ल #शायरी #यादें #दरवाज़े #दिल