Dr (Miss) Sharad Singh with Balloons |
धार हवा की सहते हैं ये गुब्बारे
रंगों की ये बांध पोटली कांधे पर
भीतर-भीतर दहते हैं ये गुब्बारे
बंधे हुए हैं पर इनको परवाह नहीं
अपनी रौ में बहते हैं ये गुब्बारे
बच्चे, बूढ़े, युवा कहीं कोई भी हो
सब के मन को गहते हैं ये गुब्बारे
किसी हसीं सपने के जैसे लगते हैं
‘शरद’ धूप मे उड़ते हैं ये गुब्बारे
- डॉ. शरद सिंह