28 September, 2018

चाहत का हरा पत्ता - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr Sharad Singh
आज मैंने
सूरज को रखा
अपनी हथेली पर
हथेली जली नहीं
जानते हो क्यों?

कल शाम ही तो
रखा था तुमने
अपनी चाहत का हरा पत्ता
मेरी हथेली पर
एक स्पर्श के रूप में।
- डॉ शरद सिंह

 
#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

इक उम्र से तनहा हूं - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr Sharad Singh

इक उम्र से तनहा हूं
ये दिल ने कहा मुझसे
मैंने भी कहा उससे,
अब झूठ नहीं बोलो
तनहाई तो साथी है।
- डॉ शरद सिंह 


दिल के इक शोर ने - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr Sharad Singh
रात
ख़ामोशी के आगोश में
सो जाती पर
दिल के इक शोर ने
सोने न दिया।
- डॉ शरद सिंह



14 September, 2018

हिन्दी कहां खो रही ... - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr Sharad Singh
हिन्दी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं ....और एक चिन्तन...

सोचती हूं कि हिन्दी कहां खो रही
बढ़ रहा आंग्ल का ही है खाता-बही
एक पर एक ग्यारह नहीं है पता
आज बच्चे ‘इलेवन’ को जानें सही
‘इंडिया’ जो कहें आधुनिक-सा लगे
नाम ‘भारत’ तो मानो पुरातन वही
चाह मन की ये सबसे कहूं आज मैं
काश! दुनिया की भाषा हो हिन्दी कभी
- डॉ शरद सिंह


#हिन्दी_दिवस
#हिन्दीदिवस

12 September, 2018

ज़िन्दगी चढ़ाव है, उतार है - डॉ. शरद सिंह

Shayari of Dr Sharad Singh
ज़िन्दगी  चढ़ाव है,   उतार है
रंज़िश के बीच छुपा  प्यार है
मंदिर की सीढ़ियां सिखाती हैं
मिथ्या  हर जीत और  हार है
- डॉ. शरद सिंह


अपने शहर से दूर - डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr Sharad Singh
अपने शहर से दूर
गुज़ारे जो चंद रोज़
लगता है मुद्दतों से
घर ही नहीं गए हैं
- डॉ शरद सिंह