30 January, 2020

वासंती दोहे - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

Vasanti Dohe - Dr Sharad Singh, Yuva Pravartak, 30.01.2020, Vasant Panchami 2020
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 💗

मेरे वासंती दोहों को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 30 जनवरी 2020 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=24739

*वासंती दोहे*
- *डॉ (सुश्री) शरद सिंह*
सपने वासंती हुए, रंगों से भरपूर। ऐसे में कोई रहे, क्यों अपनों से दूर।।
खेतों में सरसों खिले, जंगल खिले पलाश ।
खजुराहो की भांति ऋतु, किसने दिया तराश ।।
दुख के दड़बे से निकल, सुख के दो पग नाप ।
पहले से दूना लगे, खुद को अपना आप ।।
तोता मैना कर रहे 'ऋतुसंहारम्' याद ।
मौसम ने जो कर दिया, पोर-पोर अनुवाद ।।
उसी राह मिलने लगे महके हुए बबूल।
जिस पर चलने से चुभे, विगत वर्ष में शूल।।
कागज कलम दवात का आज नहीं कुछ काम ।
संकेतों से व्यक्त है मन की चाहत तमाम ।।
आशाओं की देहरी जाग रही है आज ।
आहट गुजरी थी अभी देकर इक आवाज़ ।।
बसंती दोहे 'शरद' खोलें दिल के राज़।
अपनापन मिलता रहे, चलते रहें रिवाज़।।
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29 January, 2020

वासंती दोहे - डॉ शरद सिंह

Basanti Dohe of Dr (Miss) Sharad Singh

वासंती दोहे 
- डॉ शरद सिंह

सपने वासंती हुए, रंगों से भरपूर। 
ऐसे में कोई रहे, क्यों अपनों से दूर।। 

खेतों में सरसों खिले, जंगल खिले पलाश ।
खजुराहो की भांति ऋतु, किसने दिया तराश ।।

दुख के दड़बे से निकल, सुख के दो पग नाप ।
पहले से दूना लगे, खुद को अपना आप ।।

तोता मैना कर रहे 'ऋतुसंहारम्' याद ।
 मौसम ने जो कर दिया, पोर-पोर अनुवाद ।।

उसी राह मिलने लगे महके हुए बबूल।
जिस पर चलने से चुभे, विगत वर्ष में शूल।।

कागज कलम दवात का आज नहीं कुछ काम ।
संकेतों से व्यक्त है मन की चाहत तमाम ।।

आशाओं की देहरी जाग रही है आज ।
आहट गुजरी थी अभी देकर इक आवाज़ ।।

बसंती दोहे 'शरद' खोलें दिल के राज़। 
अपनापन मिलता रहे, चलते रहें रिवाज़।।