27 July, 2021

लड़कियां किसम-किसम की | कविता | डॉ शरद सिंह

लड़कियां किसम-किसम की
               - डॉ शरद सिंह

मूक दर्शक से हम
देखते हैं उन्हें
एक तारीख़
एक दिन
एक समय में -

एक लड़की
रचती है इतिहास
ओलंपिक में

एक लड़की 
जोहती है बाट
सज़ा सुनाए जाने की
अपने बलात्कारी को

एक लड़की
होती है शिकार
बलात्कार का

एक लड़की
करती है सर्फिंग
इंटरनेट पर

एक लड़की
होती है ब्लैकमेल
प्रेम-डूबे वीडियो की
अपलोडिंग पर

एक लड़की
होती है भर्ती 
पुलिस में

एक लड़की
बेचती है देह
रेडलाईट एरिया में

एक लड़की
करती है संघर्ष 
जीने का

एक लड़की
ढूंढती है तरीक़े
आत्महत्या के 

एक लड़की
ख़ुश है अपने
लड़की होने पर

एक लड़की
करती है विलाप-
'अगले जनम मोहे
बिटिया न कीजो'

देखो तो,
इस दुनिया में
कितनी 
किसम-किसम की हैं
लड़कियां,
समाज के सांचे 
और 
ढांचे के अनुरूप

यानी,
लड़कियां 
हमेशा
एक-सी नहीं रह पाती 
हमारे बीच,
एक ही समय में।
     ------------
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#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #HindiPoetry 

13 comments:

  1. बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
    लड़कियों के अनेक रूपों से अवगत कराया ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🙏

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  2. भिन्न भिन्न तरह को लड़कियां,सच कहा आपने हर लड़की इस समाज में अलग है,सबका अलग आसमान,सबकी अलग पहचान,किसी को मान,किसी को अपमान,बहुत खूब ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी 🙏

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  3. मेरी कविता को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार मीना भारद्वाज जी 🙏

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  4. एक लड़की के अनेक पहलुओं को बाखूबी रचना के ज़रिये रक्खा है ...
    बहुत सुन्दर रचना ...

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    1. हार्दिक धन्यवाद दिगंबर नासवा जी 🙏

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  5. लब्‍बोलुआब तो इसी में छुपा है शरद जी क‍ि ---यानी,
    लड़कियां
    हमेशा
    एक-सी नहीं रह पाती
    हमारे बीच,
    एक ही समय में" सत्‍य और कटुसत्‍य

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अलकनंदा सिंह जी 🙏

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  6. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सुमन जी 🙏

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा चौहान जी 🙏

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