07 July, 2021

तो फिर... | कविता | डॉ शरद सिंह

तो फिर...
     - डॉ शरदसिंह

जो भी है दिखता 
वह सब लौकिक
जो नहीं दिखता
वह अलौकिक

प्रेम में
लौकिक है देह
और प्रेम अलौकिक 

शत्रुता में
लौकिक है देह
और शत्रुता अलौकिक 

मृत्यु में 
लौकिक है देह
और मृत्यु अलौकिक

किताब में छपे अक्षर
लौकिक हैं
भावनाएं अलौकिक

वे सब हैं आज 
अलौकिक
जो नहीं दिखते
शामिल हैं उनमें
तमाम देवता भी

जो नहीं इस धरती पर
नहीं दिखते
जो गए इस धरती से
वे कभी लौट कर नहीं आते
तो फिर
अलौकिक देवता
कैसे आएंगे भला?
अपने-अपने दुख
हम सब को ढोना है
देवता को नहीं 
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#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #HindiPoetry 

13 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 08 जुलाई 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. मेरी कविता को "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार रविंद्र सिंह यादव जी 🌹🙏🌹

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  2. बहुत सुंदर और सटीक अभिव्यक्ति।

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा चौहान जी🌹🙏🌹

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  3. सुन्दर प्रस्तुति

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ओंंकार जी 🌹🙏🌹

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  4. सही कहा आपने सबको अपने सलीब ढ़ोनें होंगे।
    बहुत गंभीर रचना।

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    1. हार्दिक धन्यवाद कुसुम कोठारी जी🌹🙏🌹

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  5. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी🌹🙏🌹

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  6. बहुत खूबसूरत हकीकत लिखा आपने

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद भारती दास जी 🌹🙏🌹

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  7. जब जीवन में अप्रत्याशित आघात मिलें तो आलौकिक देवताओं की कल्पना पर से भरोसा उठाना स्वाभाविक है। जीवन की कड़वी सच्चाई को सामने रखती रचना प्रिय शरद जी।

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