27 July, 2023

शायरी | वो न आए तो | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

वो न आए तो ये उसकी मर्ज़ी
हम तो ख़्वाबों में उसे पाते हैं।
है गिला और ना शिकवा कोई
अपनी  तनहाई  जिए जाते हैं।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #मर्ज़ी #ख़्वाबों #गिला #शिकवा #तनहाई #जिएजातेहैं  

21 July, 2023

शायरी | इंसा बिकते हैं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह


अर्ज़ है -
चौपड़ बिछी हुई है, पासे फिंकते हैं।
राजनीति के हाथों,  इंसा बिकते हैं।
चीरहरण पर धर्मराज की ख़ामोशी
नग्न देह पर भी,स्वारथ ही दिखते हैं।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
 
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #चौपड़ #पासे #राजनीति #हाथों #इंसा #बिकते #चीरहरण  #धर्मराज #ख़ामोशी #नग्न #देह #स्वारथ 

18 July, 2023

शायरी | कभी सोचा न था | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कभी सोचा न था, ये ज़िन्दगी, 
यूं ट्रेजडी बन जाएगी ।
सभी हो जाएंगे रुख़सत, 
हमें इक मौत भी न आएगी ।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #कभी #सोचा #ज़िन्दगी #ट्रेजडी #रुख़सत #मौत 

12 July, 2023

कविता | छीलन | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

छीलन
     - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
पेंसिल की छीलन से
बनाया करती थी
सुंदर-सुंदर फूल
पर
अब
क्या करूं
अपने मन की 
छीलन का ?
-----------
#poetry #poetrylovers  #poetryloving  #mypoetry  #डॉसुश्रीशरदसिंह  #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh  #DrMissSharadSingh  #poetrycommunity #कविता #पेंसिल #छीलन #मन #फूल 

09 July, 2023

कविता | नमक | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

नमक
     - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
मेरे हाथों में थी
एक सादी रोटी
पर
पहले कौर में ही
मैंने जाना
कितना नमक है
मेरे आंसुओं में।
-----------

Salt
       - Dr. (Ms.) Sharad Singh
  was in my hands
  a plain bun
  But
  in the first bite
  I realise
  how much salt
  In my tears

---------------------

#poetry #poetrylovers  #poetryloving  #mypoetry  #डॉसुश्रीशरदसिंह  #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh  #DrMissSharadSingh  #poetrycommunity #कविता #हाथों #रोटी #निवाले #नमक #आंसुओं #मेरे #आंसुओंमें
----------------
Poetry, Namak, Dr (Ms) Sharad Singh

05 July, 2023

कविता | पर हुआ है यही | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पर हुआ है यही
              - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
चौंकाती हैं कुछ यादें
ओह! 
कभी ऐसा भी हुआ था?

देखा था टूटते तारे को
लेट कर
खुले आकाश तले,
थाम लिया था
सावन की पहली बूंद को
अपनी हथेली में,
पीछा किया था
एक गिलहरी का
आंगन के एक छोर से
दूसरे छोर तक।

पढ़ा था 
प्रेमपत्र भी
सहेली के पर्स से
चुरा कर,
फिर
चिढ़ाया था उसे 
पूरे सत्र भर 

प्रेम हुआ करता था तब
लिटरेरी
अब होता है
बायनरी,
शुष्क आभासी प्रेम में
नहीं होते तितलियों के पर
न किताबों में दबे गुलाब,
न दुपट्टे के छोर को
उंगलियों में लपेटना,
न काढ़ना रूमाल पर
नाम का पहला अक्षर

किया नहीं
पर देखा तो था
हवाओं में तैरता इशारा,
डेस्क से टकराता कंकड़,
घर से भागी हुई
लड़की पर बहसें,
घबरा कर
नॉकआउट होते
प्रेमी जोड़े

कितना अजीब था सबकुछ
जितना कि
यह सोचना
कि कोई रह चुका है
मेरे भी ख़यालों में,
कभी न होने की तरह

चौंकती हूं सोचकर
समय की तरह
कोई कैसे बदल सकता है
पूरी तरह,
पर हुआ है यही
कल और आज के बीच
गुज़र गए वक़्त में।
-------------
#poetry #poetrylovers  #poetryloving  #mypoetry  #डॉसुश्रीशरदसिंह  #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh  #DrMissSharadSingh  #poetrycommunity #कविता  #चौंकाती #चौंकती #यादें #रूमाल  #तितली #गुलाब #हवाओं #डेस्क  #नॉटआउट #लिटरेरी #बायनरी #प्रेम #कल  #आज  #वक़्त