Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
ठीक वहीं से
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शब्द खो देते हैं
जब अपनी ध्वनियां
ठीक वहीं से
शुरु होता है
अंतर्मन का कोलाहल
और गूंज उठता है
प्रेम का अनहद नाद
बहने लगता है
अनुभूतियों का लावा
धमनियों में
रक्त की तरह।
- डॉ शरद सिंह
#शरदसिंह #मेरीकविता #SharadSingh #Poetry #MyPoetry #World_Of_Emotions_By_Shar ad_Singh
#शब्द #ध्वनियां #अंतर्मन #कोलाहल #गूंज #प्रेम #अनहद_नाद #अनुभूतियों #लावा #धमनियों #रक्त
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शब्द खो देते हैं
जब अपनी ध्वनियां
ठीक वहीं से
शुरु होता है
अंतर्मन का कोलाहल
और गूंज उठता है
प्रेम का अनहद नाद
बहने लगता है
अनुभूतियों का लावा
धमनियों में
रक्त की तरह।
- डॉ शरद सिंह
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