31 January, 2022
रोज़ ढूंढती हूं | कविता | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
28 January, 2022
ज़िन्दा रहने के लिए | कविता | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
26 January, 2022
गणतंत्र हमारा | गणतंत्र दिवस | काव्य | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
23 January, 2022
जाड़े वाली रात | ग़ज़ल | डॉ शरद सिंह | नवभारत
20 January, 2022
अब कठिन हो चला है | कविता | डॉ शरद सिंह
15 January, 2022
ग़ज़ल | जाड़े वाली रात | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
Jade Waali Raat, Ghazal, Dr (Ms) Sharad Singh |
ग़ज़ल
जाड़े वाली रात
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
सूनी-सूनी डगर हमेशा, जाड़े वाली रात
बर्फ़ जमाती नहर हमेशा, जाड़े वाली रात
चंदा ढूंढे कंबल-पल्ली, तारे ढूंढे शॉल
हीटर तापे शहर हमेशा,जाड़े वाली रात
पन्नीवाली झुग्गी कांपे, कांप रहा फुटपाथ
बरपाती है क़हर हमेशा जाड़े वाली रात
जिसके सिर पर छत न होवे और न कोई शेड
लगती उसको ज़हर हमेशा, जाड़े वाली रात
छोटी बहरों वाली ग़ज़लों जैसे छोटे दिन
लगती लम्बी बहर हमेशा,जाड़े वाली रात
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05 January, 2022
टोहता है गिद्ध | कविता | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | 6 जनवरी अर्थात् युद्ध अनाथों का विश्व दिवस पर | World Day Of War Orphans
02 January, 2022
नए साल में | ग़ज़ल | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
"नवभारत" के रविवारीय परिशिष्ट में आज "नए साल में" शीर्षक ग़ज़ल प्रकाशित हुई है। आप भी पढ़िए...
नवभारत के लिए....
नए साल में
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
नए साल में हर नई बात हो।
ख़ुशियों की हरदम ही बरसात हो।
हो इंसानियत की तरफ़दारियां
सभी के दिलों में ये जज़्बात हो।
मुश्क़िल जो आई गए साल में
नए साल में उसकी भी मात हो।
सभी स्वस्थ रह कर जिएं ज़िन्दगी
दुखों का न कोई भी अब घात हो।
‘शरद’ की दुआ है अमन, चैन की
चमकता हुआ दिन भी हो, रात हो।
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हार्दिक धन्यवाद #नवभारत 🙏
02.01.2022
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