29 January, 2023

कविता | साहित्य का जलीकट्टू | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कविता
साहित्य का जलीकट्टू
         - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

गद्देदार किंगसाईज़ सोफे पर
पसर कर
लगा कर बुद्धिजीविता का मुखौटा
मदिरा के स्वाद से फूटते शब्द
जब करते हैं साहित्य-चर्चा
दलित, ग़रीब और
लुटी-पिटी औरतों पर
तो लगता है जैसे
मंहगे कैनवास और कीमती रंगों से
बनाई गई 
भिखारी की पेंटिंग की
बोली लगाई जा रही हो लाखों में
गोया वह साहित्योत्सव नहीं
नीलामीघर हो संवेदनाओं का।

बेशक़ वहां नहीं होती
कोई 'कॉमन वैल्यू"
होती है सिर्फ़ "पर्सनल वैल्यू"
नीलामी के आम नियमों से परे
क्योंकि वह मजमा आम का नहीं
होता है ख़ास-उल-ख़ास का।

रेसकोर्स के घोड़ों
नीलाम होते खिलाड़ियों
और
साहित्य के कथित सेवियों में
अगर कोई अंतर
समझ में आए
तो मुझे ज़रूर बताएं

मेरी बुद्धि का राजहंस
हो गया है टट्टू
साहित्योत्सव भी इनदिनों 
लगता है जलीकट्टू* ।
---------------
(*जलीकट्टू पारंपरिक तमिल खेल।  जली का मतलब है सिक्के और कट्टू का मतलब बैग।  सिक्कों से भरा हुआ बैग बैल के सींगों पर बंधा होता है और बैलों को उकसा कर भीड़ में दौड़ाया जाता है। जो व्यक्ति बैल को क़ाबू में कर लेता है वह विजेता माना जाता है और विजेता को वह बैग मिल जाता है।)

#poetry #poetrylovers  #poetryloving  #mypoetry  #डॉसुश्रीशरदसिंह  #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh  #DrMissSharadSingh  #poetrycommunity #काव्य #कविता #साहित्य  #साहित्योत्सव  #जलीकट्टू  #नीलामी  #बुद्धिजीवी #शब्द

23 January, 2023

ग़ज़ल | याद आती है | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

ग़ज़ल 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

जब कभी,  यादें पुरानी    याद आती हैं।
ख़ुश्क आंखें भी अचानक भीग जाती हैं।

अब हथेली की लकीरों में नहीं कुछ भी
अब लकीरें भीगतीं,  न  कसमसाती हैं।

धड़कनें तकती नहीं  हैं  रास्ता उसका
शाम ढलते ही न अब शम्मा जलाती हैं।

किस दिशा में जा रहे हैं और क्यूंकर हम
ये हवायें भी  नहीं  कुछ  भी  बताती हैं।

है बहुत तन्हा, बहुत तन्हा 'शरद' का दिल
और  ये  तनहाइयां  रह - रह  रुलाती हैं।
        -----------------------

#यादें #ख़ुश्क #आंखें #याद #अचानक
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

21 January, 2023

दोहा | दूरी दसियों मील | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक दोहा...
तेरे   मेरे    बीच    की, दूरी दसियों मील।
फिर भी किरणें हैं यहां, जले वहां कंदील।।

#तेरे #मेरे #दूरी #मील #किरणें #कंदील
#दोहा #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #PoetryOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

दोहा | रांझे की तक़दीर | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

एक दोहा...
थिगड़े  वाली  चूनरी, ओढ़े  बैठी  हीर।
फटे दुशाले में बंधी,  रांझे की तक़दीर।।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#थिगड़े #चूनरी #हीर #दुशाला #रांझा #तक़दीर #दोहा #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #PoetryOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

18 January, 2023

शायरी | ग़ज़ल | सीख लिया | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
दिल बहलाना सीख लिया।
ज़ख़्म छिपाना सीख लिया।
मुस्कानों का पहन मुखौटा
हंसना,  गाना  सीख लिया।
अपने  ही  ख़्वाबों  से  मैंने
अब  कतराना सीख लिया।
लावारिस  बच्चे  जब देखे
ख़ैर  मनाना  सीख  लिया।
'शरद' सहारा है यादों का
यही  बहाना  सीख  लिया।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#दिल #बहलाना #सीख #ज़ख़्म #छिपाना #मुस्कानों #मुखौटा #हंसना  #गाना #ख़्वाबों #कतराना #लावारिस  #बच्चे #ख़ैर #सहारा #यादों #बहाना
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

14 January, 2023

शायरी | दिल हुआ पतंग | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | मकरसंक्रांति

मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाओं सहित #अर्ज़है -

सपनों की  डोर  और  मंझा उम्मीदों, 
चाहत का आसमान,दिल हुआ पंतग।
कुछ तो बदलाव है, मौसम की चाल में
दिखती  हर  चेहरे  पर  ढेर सी उमंग।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#सपनों #डोर #मंझा #उम्मीदों
#चाहत #आसमान #दिल #पंतग।
#बदलाव #मौसम #दांव #चेहरे #उमंग।
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #shayariofdrmisssharadsingh 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

11 January, 2023

शायरी | वो क्या समझेगा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
शायरी
वो क्या समझेगा दिल को, जज़्बातों को
जिसने दौलत, शोहरत को *तरजीह दिया
जीने  का   तो   हुनर   वही   बतलायेगा
जिसने शाम-ओ-सहर हमेशा ज़हर पिया
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
(*तरजीह = प्राथमिकता)

#दौलत #शोहरत #तरजीह #हुनर #ज़हर #शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #shayariofdrmisssharadsingh 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

03 January, 2023

कविता | नहीं मालूम था | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कविता 
नहीं मालूम था
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मुझे नहीं मालूम था
कि धूप 
मेरे हाथ से 
फिसल कर 
शीत में 
बदल जाएगी, 
नहीं तो 
मैं सूरज को 
मुट्ठी में 
भींच कर रखती।
---------------
#poetry #poetrylovers  #poetryloving  #mypoetry  #डॉसुश्रीशरदसिंह  #काव्य #कविता #धूप  #हाथ  #सूरज  #शीत #मुट्ठी #फिसल  #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh  #DrMissSharadSingh  #poetrycommunity

02 January, 2023

कविता | जीने के लिए - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

कविता 
जीने के लिए
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मालूम है
वह
नहीं मिलेगा
कभी,
लेकिन क्या
सिर्फ़ इतने पर
आकाश के तारे को 
देखना छोड़ देते हैं
लोग?
नहीं न !
कुछ भ्रम ज़रूरी हैं जीने के लिए !!
--------------
#poetry #poetrylovers  #poetryloving  #mypoetry  #डॉसुश्रीशरदसिंह #काव्य #कविता #प्रेम #भ्रम #आकाश #तारे #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh  #DrMissSharadSingh  #poetrycommunity 

01 January, 2023

नये साल में | ग़ज़ल | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

नये साल में
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

पिछले साल करी जो ग़लती उसको ना दोहराएं।
नये साल को अच्छाई से, अच्छा साल बनाएं। 

जो नहीं मिला, सो नहीं मिला, ना सोचें उसको
जो मिला हमें, उसको हम, पूरे दिल से ही अपनाएं।

है एक सुनहरा कल स्वागत में खड़ा हुआ
अपनी मेहनत से आगे बढ़, हम हाथ मिलाएं।

खुद पर हम विश्वास करें औ अच्छे-अच्छे काम करें
मदद करें औरों की, और, औरों को साथ बढ़ाएं।

मुश्क़िल कैसी भी आए, पर, हार नहीं मानेंगे
नये साल में आगे बढ़ कर यह संकल्प उठाएं
             ------------------