दिल का चेर्नोबिल
- डॉ शरद सिंह
खुलना लॉकडाउन का
निकलना घरों से
लोगों का
तोड़ देगा चुप्पी
सड़कों, गलियों और चौराहों की।
भय की चादर ओढ़े
धूप रेंगती रहेगी
चेहरे आधे ढंके रहेंगे
आज़ादी होगी और नहीं भी
खुल जाए दुनिया
कितनी भी
नहीं होगा सब कुछ पहले जैसा
एक दुनिया बाहर की
एक दुनिया भीतर की
बाहर की दुनिया
भोपाल गैस त्रासदी के
दंश को सहलाती आगे बढ़ जाए
मगर सूना घर
और एकाकी दिल का चेर्नोबिल
शिकार रहेगा उस विकिरण का
जो मिला है
व्यवस्था की ख़ामियों से
उसे
जीवन भर तड़पने के लिए।
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एक दुनिया बाहर की
ReplyDeleteएक दुनिया भीतर की
बाहर की दुनिया
भोपाल गैस त्रासदी के
दंश को सहलाती आगे बढ़ जाए
मगर सूना घर
और एकाकी दिल का चेर्नोबिल
शिकार रहेगा उस विकिरण का
जो मिला है
व्यवस्था की ख़ामियों से
उसे
जीवन भर तड़पने के लिए।...बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन आदरणीय दी।
हार्दिक धन्यवाद अनीता सैनी जी 🙏
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