04 June, 2021

दिल का चेर्नोबिल | कविता | डॉ शरद सिंह

दिल का चेर्नोबिल
         - डॉ शरद सिंह

खुलना लॉकडाउन का
निकलना घरों से
लोगों का
तोड़ देगा चुप्पी
सड़कों, गलियों और चौराहों की।

भय की चादर ओढ़े
धूप रेंगती रहेगी
चेहरे आधे ढंके रहेंगे
आज़ादी होगी और नहीं भी

खुल जाए दुनिया
कितनी भी
नहीं होगा सब कुछ पहले जैसा

एक दुनिया बाहर की
एक दुनिया भीतर की
बाहर की दुनिया
भोपाल गैस त्रासदी के 
दंश को सहलाती आगे बढ़ जाए
मगर सूना घर 
और एकाकी दिल का चेर्नोबिल
शिकार रहेगा उस विकिरण का
जो मिला है 
व्यवस्था की ख़ामियों से 
उसे
जीवन भर तड़पने के लिए।
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2 comments:

  1. एक दुनिया बाहर की
    एक दुनिया भीतर की
    बाहर की दुनिया
    भोपाल गैस त्रासदी के
    दंश को सहलाती आगे बढ़ जाए
    मगर सूना घर
    और एकाकी दिल का चेर्नोबिल
    शिकार रहेगा उस विकिरण का
    जो मिला है
    व्यवस्था की ख़ामियों से
    उसे
    जीवन भर तड़पने के लिए।...बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन आदरणीय दी।

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता सैनी जी 🙏

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