रंग और कैनवास
- डॉ शरद सिंह
(1)
खाली कैनवास को
आसान है
रंगों से भरना
मगर
आसान नहीं
रंगों में
खाली कैनवास को रखना
(2)
रंग
कैनवास पर
कब्ज़ा कर
मुस्कुराते, इठलाते
मिलते हैं
संवाद करते
और कैनवास
रह जाता है पढ़ता
ब्रश-स्ट्रोक की लेखनी।
(3)
आख्यान है कैनवास पर
लियोनार्डो द विंची की
'द लास्ट सपर'
तो, विद्रोह की दुंदुभी
पिकासो की ‘गुएर्निका’
क्रांति गढ़ती
काज़िमिर मालेविच की
'ब्लैक स्क्वायर'
जो सीख लो
रंगों को पढ़ना
तो पढ़ सकोगे
कैनवास पर रचा
रक्तरंजित
मानव इतिहास।
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(इतालवी चित्रकार लिओनार्दो दा विंची द्वारा बनाई गई। यह पेंटिंग यीशु का उनके 12 शिष्यों के बीच अंतिम भोजन की घटना को दर्शाता है।
पिकासो ने अपनी पेंटिंग ‘गुएर्निका’ में दूसरे विश्वयुद्ध की भयावहता को दर्शाया जिसके कारण उन्हें देश निकाला दे दिया गया था।
काज़िमिर सेवरिनोविच मालेविच - एक उत्कृष्ट रूसी कलाकार जिसने अपनी पेंटिंग 'ब्लैक स्क्वायर' के जरिए "एक सफेद पृष्ठभूमि पर काले वर्चस्व वाले वर्ग" को ललकारने क्रांतिकारी विचार व्यक्त किया।)
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जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-०६-२०२१) को 'नेह'(चर्चा अंक- ४१००) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार अनीता सैनी जी 🙏
Deleteहृदयस्पर्शी सृजन शरद जी ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना भारद्वाज जी 🙏
Deleteहृदयस्पर्शी सृजन शरद जी,सादर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी
Deleteगहन भाव लिए हुए विचारणीय रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी
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