अष्ट मुख्य नायिकाओं में आपने 'विरहउत्कंठिता' नायिका का चित्र उकेरा है, यदि प्रिय की प्रतीक्षा पर अधिक प्रकाश है तो यह नायिका 'प्रोषितपतिका/ प्रोषितभृत्रिका' कही जायेगी।
"वो भी रस्ता देख रहा था इस बारिश में.. क्योंकि तुम थीं यहीं खड़ी इस बारिश में. इसीलिए वो समझ गया है इस बारिश में. हिम्मत तुम ना कर पाओगी इस बारिश में खिंचा चला आया वो देखो इस बारिश में."
ReplyDeleteऐसा प्रतीत होता है बारिस को देखकर ......
भीगी बारिस में एक परी, किसका यूँ रस्ता ताक रही
कहती बूंदे ये बरस बरस, तू व्यर्थ ही रस्ता ताक रही?
बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeletebadhiyaa!!!!
ReplyDeleteइन्तज़ार का अपना ही मज़ा है......वो भी बारिश में.
ReplyDeleteअनु
बोलते चित्र, सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह ... बहुत बढिया।
ReplyDeleteअष्ट मुख्य नायिकाओं में आपने 'विरहउत्कंठिता' नायिका का चित्र उकेरा है,
ReplyDeleteयदि प्रिय की प्रतीक्षा पर अधिक प्रकाश है तो यह नायिका 'प्रोषितपतिका/ प्रोषितभृत्रिका' कही जायेगी।
"वो भी रस्ता देख रहा था
इस बारिश में..
क्योंकि तुम थीं यहीं खड़ी
इस बारिश में.
इसीलिए वो समझ गया है
इस बारिश में.
हिम्मत तुम ना कर पाओगी
इस बारिश में
खिंचा चला आया वो देखो
इस बारिश में."
खूबसूरत चित्र के साथ खूबसूरत अभिव्यक्ति बधाई आपको
ReplyDelete--बदरा पानी बरसा हे कहाँ रहे हैं ...एक भाव ये भी ..
ReplyDeleteघिरि घिरि आये बदरा,
जल नहिं लाये बदरा,
काहे लाये न संदेस बदरा |
सखि! मोहि न सुहाए बदरा |