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14 August, 2012

इस बारिश में ....


10 comments:


  1. ऐसा प्रतीत होता है बारिस को देखकर ......

    भीगी बारिस में एक परी, किसका यूँ रस्ता ताक रही
    कहती बूंदे ये बरस बरस, तू व्यर्थ ही रस्ता ताक रही?

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  2. बेहद ख़ूबसूरत और उम्दा

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  3. इन्तज़ार का अपना ही मज़ा है......वो भी बारिश में.

    अनु

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  4. बोलते चित्र, सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. वाह ... बहुत बढिया।

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  6. अष्ट मुख्य नायिकाओं में आपने 'विरहउत्कंठिता' नायिका का चित्र उकेरा है,
    यदि प्रिय की प्रतीक्षा पर अधिक प्रकाश है तो यह नायिका 'प्रोषितपतिका/ प्रोषितभृत्रिका' कही जायेगी।

    "वो भी रस्ता देख रहा था
    इस बारिश में..
    क्योंकि तुम थीं यहीं खड़ी
    इस बारिश में.
    इसीलिए वो समझ गया है
    इस बारिश में.
    हिम्मत तुम ना कर पाओगी
    इस बारिश में
    खिंचा चला आया वो देखो
    इस बारिश में."

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  7. खूबसूरत चित्र के साथ खूबसूरत अभिव्यक्ति बधाई आपको

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  8. --बदरा पानी बरसा हे कहाँ रहे हैं ...एक भाव ये भी ..

    घिरि घिरि आये बदरा,
    जल नहिं लाये बदरा,
    काहे लाये न संदेस बदरा |
    सखि! मोहि न सुहाए बदरा |

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