मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
बहुत खूब ...
हार्दिक आभार....
beautiful lines...........anu
हार्दिक धन्यवाद .....
सुन्दर पंक्तियाँ सुन्दर चित्र ।बधाई डाक्टर साहिबा ।।क्षमा सहित -देखें सुन्दर चित्र तो, लगता बड़ा विचित्र ।ताक रहा अपलक झलक, मनसा किन्तु पवित्र ।मनसा किन्तु पवित्र, झलकती कैंडिल लाइट ।किरणें स्वर्ण बिखेर, करे हैं फ्यूचर ब्राइट ।दूर बसे सौ मील, मीत कर्मों के लेखे ।ऋतु आये जो शरद, साल हो जाए देखे ।। टिप्पणी मात्र है -
तुझ में मुझ में कितनी दूरी.फिर भी मिलती श्वासें पूरी.तुम बिन मिलकर मिल जाती हो.तुम हो किस-किसकी मजबूरी.
बहुत बहुत धन्यवाद.....
मन के भावों का चित्र मय सुंदर संम्प्रेषण,,,,MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
बहुत-बहुत आभार......
bahut sundar ....shubhkamnayen
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार....
बहुत सुंदर !!
हार्दिक आभार।
atisundar panktiyan.
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
SUNDAR ATI SUNDAR
अत्यंत आभार....
वाह....वाह...वाह...
बहुत-बहुत धन्यवाद....
बहुत ही सुन्दर, वाह..
प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
बहुत खूब...सुन्दर प्रस्तुति.
बहुत-बहुत धन्यवाद...
आपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
आपका स्नेह मेरे दोहे को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
बहुत खूब...सादर।
बहुत खूब ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार....
Deletebeautiful lines...........
ReplyDeleteanu
हार्दिक धन्यवाद .....
Deleteसुन्दर पंक्तियाँ सुन्दर चित्र ।
ReplyDeleteबधाई डाक्टर साहिबा ।।
क्षमा सहित -
देखें सुन्दर चित्र तो, लगता बड़ा विचित्र ।
ताक रहा अपलक झलक, मनसा किन्तु पवित्र ।
मनसा किन्तु पवित्र, झलकती कैंडिल लाइट ।
किरणें स्वर्ण बिखेर, करे हैं फ्यूचर ब्राइट ।
दूर बसे सौ मील, मीत कर्मों के लेखे ।
ऋतु आये जो शरद, साल हो जाए देखे ।।
टिप्पणी मात्र है -
हार्दिक आभार....
Deleteतुझ में मुझ में कितनी दूरी.
ReplyDeleteफिर भी मिलती श्वासें पूरी.
तुम बिन मिलकर मिल जाती हो.
तुम हो किस-किसकी मजबूरी.
बहुत बहुत धन्यवाद.....
Deleteमन के भावों का चित्र मय सुंदर संम्प्रेषण,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
बहुत-बहुत आभार......
Deletebahut sundar ....shubhkamnayen
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार....
Deleteबहुत सुंदर !!
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteatisundar panktiyan.
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
DeleteSUNDAR ATI SUNDAR
ReplyDeleteअत्यंत आभार....
Deleteवाह....वाह...वाह...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद....
Deleteअत्यंत आभार....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर, वाह..
ReplyDeleteप्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद...
Deleteबहुत खूब...सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद...
Deleteआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं...
ReplyDeleteआपका स्नेह मेरे दोहे को मिला..यह मेरा सौभाग्य है.
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteसादर।