10 March, 2023

कविता | सलवटों वाले दिन | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

सलवटों वाले दिन 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मसल कर फेंके गए 
काग़ज़ की तरह 
तुड़े-मुड़े 
सलवटों वाले दिन 
नहीं होते 
किसी भी तरह सीधे 
कर लो चाहे 
जितने जतन।
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