सलवटों वाले दिन
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
मसल कर फेंके गए
काग़ज़ की तरह
तुड़े-मुड़े
सलवटों वाले दिन
नहीं होते
किसी भी तरह सीधे
कर लो चाहे
जितने जतन।
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