आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
बेहद दिलचस्प कहन का तरीका बेजोड़ अभिव्यक्ति मध्य प्रदेश की अमृता प्रीतम जी आपको आपकी कविता और कहन की शैली दोनों के लिए बधाई |शरद जी शुभकामनाएँ |०९४१५८९८९१३
जयकृष्ण राय तुषार जी, ‘मध्य प्रदेश की अमृता प्रीतम जी’ कह कर आपने मुझे संकोच में डाल दिया....इस अपनत्व और उत्साहवर्द्धन के लिए आभारी हूं। आपको हार्दिक धन्यवाद!
Aap ne jo bhav chand panktiyon me kah diye, ham shayad wah poori kitab likh kar bhi nahi prakat kar paate.Bahut hi accha laga mujhe...khoobsurat ehasaas....mujhe ek purani film ki kuch panktian yad aa gayi..."HAMNE DEKHI HAI IN AANKHON KI MAHAKTI KHUSHBU,HATH SE CHHOO KE ISE RISHTE KA ILZAM NA DO....SIRF EHSAAS HAIN YE DOOR SE MAHSOOS KARO,KHWAB KO KHWAB HI RAHNE DO KOYI NAAM NA DO."
Mere angadhe udgaron ko sarahne ke liye shatshah dhanyavaad.
जी... बहुत मुश्किल है, आज के दौर में किसी की उंगली छूकर उसे पूरा का पूरा पढ़ लेना, उससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल है किसी की उंगली छूकर उसे पूरा का पूरा पढ़ते हुये देख, उसको समझ पाना? छूने-पढऩे का इतना बेहतरीन शब्दांकन करने के लिये आपको धन्यवाद।
बड़े कमाल के गणितज्ञ हैं वे जो ऊँगली छूनेमात्र से ही पूरा का पूरा समझ लेते हैं उनको . लेकिन डॉ. साहिब आपने कैसे जाना ? उनमें से किसने कहा आपको ? क्या आपको पूरा यकीन है ?यह मन बड़ा छलावा भी करता है .कभी कभी नहीं अक्सर धोखा हो जाता है समझने का. कमबख्त रोमांस है ही ऐसी बला. आपने मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आकर कर्तार्थ किया है मुझे .शब्दों का दान कुछ और मिलता तो और भी अच्छा लगता .बहुत बहुत धन्यवाद .
राकेश कुमार जी, आपके विचारों के लिए आभारी हूं.... आपको हार्दिक धन्यवाद ! इसी तरह सम्वाद बनाए रखें। आपका ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' निश्चितरूप से रुचिकर है।
धन्यवाद आपका . अभी मैं सीखने की प्रक्रिया से गुजर रहा हूं . आप जैसे परिपक्त लेखकों के बारे में राय देने में कुछ समय और चाहिए मुझे . आपकी टिप्पणियाँ मिली . नई ऊर्जा का सृजन महसूस करता हूं . आभार स्वीकारें .
bahut hi khoobsoorat ehsaas. sach main aisa hota hai kisi ka sparsh apko ta-umr yaad rehta hai uske hone ka ehsaas karvata rehta hai. jaise vo aap main aur aap us main jazb ho chuke ho.
विजय मौद्गिल जी, मेरे ब्लॉग पर आने....मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...आपका स्वागत है। आपके विचारों के लिए आभारी हूं.... इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
नमस्ते Sushri Sharad, Bhartendu Mishra ने लिखा शरद जी प्रेम ऐसा ही होता है। कितनी गहरी अनुभूति से छुआ होगा उसने उसकी अंगुलियो को यह सत्य शब्दो से परे है,और फिर पूरा का पूरा पढ लिया जाना तो कमाल है।व्यन्जना की यह शक्ति ..बधाई।
ham aaj pahli baar apke blog per aaye... apki har rachna padi... apne bhut hi kam shabdo me bhut gahre bhaavo ko pratut kiya hai... jo bhut muskil hota hai... per apne kiya... bhut hi accha likhti hai aap... thank u very much ki apne hame itna accha padne ko diya hai...
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया आज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
इतने कम शब्दों में कितनी बड़ी बात कह दि आपने .. दिल से बधाई स्वीकार करे..
आभार विजय ----------- कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
असंभव!
ReplyDeleteबहुत ही सुंदरता से आपने बस कुछ शब्दों में न जाने कितनी अनकही बात कह गयी...बहुत सुंदर।
ReplyDelete"साहित्य प्रेमी संघ".....(साहित्य प्रेमियों का एक संयुक्त ब्लाग)...आप आये और योगदान करे.....
दिनेशराय द्विवेदी जी,
ReplyDeleteआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए....हार्दिक धन्यवाद!
गज़ब की भावाव्यक्ति…………प्रेम की पराकाष्ठा।
ReplyDeleteEr. सत्यम शिवम जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !
"साहित्य प्रेमी संघ".....(साहित्य प्रेमियों का एक संयुक्त ब्लाग) सचमुच दिलचस्प हैं...मैं उसका अनुसरण कर रही हूं।
वन्दना जी,
ReplyDeleteविचारों से अवगत कराने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
romanchak
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
पूरी कहानी उस स्पर्श में लिखी थी ! प्रेम की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteबेहद दिलचस्प कहन का तरीका बेजोड़ अभिव्यक्ति मध्य प्रदेश की अमृता प्रीतम जी आपको आपकी कविता और कहन की शैली दोनों के लिए बधाई |शरद जी शुभकामनाएँ |०९४१५८९८९१३
ReplyDeleteरश्मि प्रभा जी,
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
वन्दना जी,
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद चर्चा मंच में शामिल करने के लिए...
इस अपनत्व और उत्साहवर्द्धन के लिए आभारी हूं।
रजनीश तिवारी जी,
ReplyDeleteविचारों से अवगत कराने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
जयकृष्ण राय तुषार जी,
ReplyDelete‘मध्य प्रदेश की अमृता प्रीतम जी’ कह कर आपने मुझे संकोच में डाल दिया....इस अपनत्व और उत्साहवर्द्धन के लिए आभारी हूं। आपको हार्दिक धन्यवाद!
बेहतरीन स्पर्श।
ReplyDeleteek sparsh ne sab kuch keh diya '''''''''''
ReplyDeletebehtareen prastuti
पढ़ कर बस एक ही शब्द मुँह से निकला ....वाह ..
ReplyDeleteप्रवीण पाण्डेय जी,
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
रोशी जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद...
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
हार्दिक आभार......
संगीता स्वरुप जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteप्रेमाभिव्यक्ति का सुन्दरतम् अन्दाज...
ReplyDeleteकवियत्री की कल्पना , प्रेम परिपूर्ण भावनाओ की तरंग सी उठा गयी ह्रदय में .
ReplyDeleteसंजय भास्कर जी,
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
आशीष जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया....
हार्दिक आभार।
सुशील बाकलीवाल जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं.....
हार्दिक धन्यवाद।
वाह ....बहुत ही खूबसूरत भाव लिये बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteरूमानी टच.
ReplyDeleteप्रेम की गहन अनुभूति
ReplyDeleteBahut khoob
ReplyDeleteSurinder Ratti
Mumbai
वाह! बहुत ही कम शब्दों में इतनी खुबसूरत अभिव्यक्ति! यही तो कविता है!
ReplyDeleteसदा जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !
कुंवर कुसुमेश जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया....बहुत बहुत आभार !
रचना दीक्षित जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद !
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
SURINDER RATTI ji,
ReplyDeleteThank you for visiting my blog!
I feel honored by your comment.....
नीलेश माथुर जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने....मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...
आपका स्वागत है।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
अप्रतिम!
ReplyDeleteकैलाश सी. शर्मा जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद !
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
अमितेश जैन जी,
ReplyDeleteआपका स्वागत है। मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...
बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteकम शब्द.पूरी की पूरी बात.
सलाम.
कमाल की क्षणिका और गहन भावाभिव्यक्ति ! बधाई एवं शुभकामनायें !
ReplyDeleteSagebob,
ReplyDeleteHearty Thanks.
I feel honored by your comment.....
साधना वैद्य जी,
ReplyDeleteआपका स्वागत है। मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...
आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया....
हार्दिक धन्यवाद !
मनमोहक प्रस्तुति - क्षणिका में गहन अर्थ समाहित हैं.
ReplyDeleteराकेश कौशिक जी,
ReplyDeleteआपको हार्दिक धन्यवाद !
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
हाथ की लकीरों पर उंगली फिरा कर पढ़ ली गई जिंदगी की पूरी किताब.
ReplyDeleteAap ne jo bhav chand panktiyon me kah diye, ham shayad wah poori kitab likh kar bhi nahi prakat kar paate.Bahut hi accha laga mujhe...khoobsurat ehasaas....mujhe ek purani film ki kuch panktian yad aa gayi..."HAMNE DEKHI HAI IN AANKHON KI MAHAKTI KHUSHBU,HATH SE CHHOO KE ISE RISHTE KA ILZAM NA DO....SIRF EHSAAS HAIN YE DOOR SE MAHSOOS KARO,KHWAB KO KHWAB HI RAHNE DO KOYI NAAM NA DO."
ReplyDeleteMere angadhe udgaron ko sarahne ke liye shatshah dhanyavaad.
आपकी कविता का स्पर्श बड़ा ही संवेदनशील है। आभार।
ReplyDeleteराहुल सिंह जी,
ReplyDeleteआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
आपका सदा स्वागत है।
विजय रंजन जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
सम्वाद क़ायम रखें।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
परशुराम राय जी,
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद!
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
सारा सच....,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है!
आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
इसे पढकर एक शे’र याद आ गया,
ReplyDeleteतमाम उम्र हथेलियों में सनसनाता है जब
हाथ किसी का हाथ में आकर छूट जाता है।
मनोज कुमार जी,
ReplyDeleteआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
आपका सदा स्वागत है।
विजय रंजन जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
आपका सदा स्वागत है!
बहुत जबरदस्त!!
ReplyDeleteexcellent...
ReplyDeleteस्पर्श बहुत कुछ कह देता है, अपने ढंग से. काश सभी के पास इतनी संवेदना होती! बहुत सुन्दर रचना है आपकी . अक्षय बधाइयाँ
ReplyDeleteसमीर लाल जी,
ReplyDeleteआपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
Amit-nivedita ji,
ReplyDeleteHearty Thanks.
I feel honored by your comment.....
अबनीश सिंह चौहान जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
ਡਾ. ਸ਼ਾਰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ,
ReplyDeleteਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਲੱਗਾ ਆਪ ਨੁੰ ਪੜ੍ਹ ਕੇ....ਹਰ ਲਫਜ਼ ਧੁਰ ਦਿਲ 'ਚ ਉਤਰਦਾ ਹੈ....ਕਵਿਤਾ ਦਾ ਅੱਖਰ-ਅੱਖਰ ਬੋਲਦਾ ਹੈ...
ਵਾਹ ! ਵਾਹ !
ਜਦੋਂ ਦਿਲੋਂ ਸਿਰਫ ਵਾਹ - ਵਾਹ ਨਿਕਲ਼ੇ ਤਾਂ ਸਮਝੋ ਓਹ ਇੱਕ ਉੱਚ ਕੋਟੀ ਦੀ ਰਚਨਾ ਹੈ।
ਡਾ. ਹਰਦੀਪ ਕੌਰ ਸੰਧੂ ਜੀ,
ReplyDeleteਹੌਸਲਾ ਅਫਜਾਈ ਲਈ ਧੰਨਵਾਦ....
ਸਾਡੇ ਬਲੋਗ ਵਿਚੋਂ ਦੇਖ ਕੇ ਚੰਗਾ ਲਾਗਿਯਾ....
ਦਿਲੀ ਸ਼ੁਕ੍ਰਿਯਾ!
नित्यानन्द जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी।
आदरणीय शरद जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
जी... बहुत मुश्किल है, आज के दौर में किसी की उंगली छूकर उसे पूरा का पूरा पढ़ लेना, उससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल है किसी की उंगली छूकर उसे पूरा का पूरा पढ़ते हुये देख, उसको समझ पाना? छूने-पढऩे का इतना बेहतरीन शब्दांकन करने के लिये आपको धन्यवाद।
रविकुमार सिंह
बबुल जी,
ReplyDeleteआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
bahut badiya prastuti ..hamne bhi padh liya... thanx
ReplyDeletepyar ko padhne ka yah andaaj man ko bahut bhaya...
ReplyDeletebahut sundar abhivykati...
बड़े कमाल के गणितज्ञ हैं वे जो ऊँगली छूनेमात्र से ही पूरा का पूरा समझ लेते हैं उनको . लेकिन डॉ. साहिब आपने कैसे जाना ?
ReplyDeleteउनमें से किसने कहा आपको ? क्या आपको पूरा यकीन है ?यह मन बड़ा छलावा भी करता है .कभी कभी नहीं अक्सर धोखा हो जाता है समझने का. कमबख्त रोमांस है ही ऐसी बला.
आपने मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा'पर आकर कर्तार्थ किया है मुझे .शब्दों का दान कुछ और मिलता तो और भी अच्छा लगता .बहुत बहुत धन्यवाद .
कविता रावत जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुसरण कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
राकेश कुमार जी,
ReplyDeleteआपके विचारों के लिए आभारी हूं....
आपको हार्दिक धन्यवाद !
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आपका ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' निश्चितरूप से रुचिकर है।
Dolly Ji,
ReplyDeleteHearty Thanks your comment...
You are always welcome to my blog.
धन्यवाद आपका . अभी मैं सीखने की प्रक्रिया से गुजर रहा हूं . आप जैसे परिपक्त लेखकों के बारे में राय देने में कुछ समय और चाहिए मुझे . आपकी टिप्पणियाँ मिली . नई ऊर्जा का सृजन महसूस करता हूं .
ReplyDeleteआभार स्वीकारें .
धन्यवाद नित्यानन्द जी!
ReplyDeleteसंवाद हमेशा नई ऊर्जा देता है...
छू के निकल गयी हवा मुझसे और उसके शाहर का हाल मिल गया
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...
सुनील कुमार जी,
ReplyDeleteआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
छोटी सी कविता...पर प्रेम के हर कोमल भाव को अपने में समेटे हुई..........लाजवाब प्रस्तुति.....बधाई।
ReplyDeleteआपने रचनाकार पर आकर मेरी कविता को पढ़ा और अपने विचारों से अवगत कराया। बहुत-बहुत आभार। आपकी प्रतिक्रियाओं की हमेशा प्रतिक्षा रहेगी।
क्या खूब अहसास रहा होगा...
ReplyDeleteबहुत खूब...
मालिनी गौतम जी,
ReplyDeleteअपने ब्लॉग पर आपको देख कर प्रसन्नता हुई...
विचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत आभार।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें...
पूजा जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया...
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
कवि ने
ReplyDeleteख्वाब में
एक मूर्ति गढ़ लिया
उसने उसकी
उँगलियोँ को छुआ
और पूरा पढ़ लिया।
...आनंद आ गया यहाँ आकर।
क्या बात है ... कुछ शब्दों में जीवन क मर्म लिख दिया .... बहुत खूब ..
ReplyDeletebahut hi khoobsoorat ehsaas. sach main aisa hota hai kisi ka sparsh apko ta-umr yaad rehta hai uske hone ka ehsaas karvata rehta hai. jaise vo aap main aur aap us main jazb ho chuke ho.
ReplyDeletebahut sundar
accha laga apko parhna
shukriya
देवेन्द्र पाण्डेय जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया...हार्दिक धन्यवाद।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें...
दिगम्बर नासवा जी,
ReplyDeleteआपके विचार सुखद लगे.... बहुत-बहुत आभार।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें...
विजय मौद्गिल जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने....मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...आपका स्वागत है।
आपके विचारों के लिए आभारी हूं....
इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
aapke blog par aana bahut santoshprad raha...bahut hi achchhe darje ka lekhan aur prastiti.
ReplyDeleteअभिन्न जी,
ReplyDeleteविचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत आभार।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें...
अध्भुत......शुभकामनाएं
ReplyDeleteराजेश चड्ढ़ा जी,
ReplyDeleteविचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत आभार।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें...
बेमिसाल अभिव्यक्ति. जवाब नही इस संप्रेषणता का.
ReplyDeleteरामराम
Bhartendu Mishra ने Facebook पर टिप्पणी की|
ReplyDeleteनमस्ते Sushri Sharad,
Bhartendu Mishra ने लिखा शरद जी प्रेम ऐसा ही होता है। कितनी गहरी अनुभूति से छुआ होगा उसने उसकी अंगुलियो को यह सत्य शब्दो से परे है,और फिर पूरा का पूरा पढ लिया जाना तो कमाल है।व्यन्जना की यह शक्ति ..बधाई।
भारतेन्दु मिश्र जी,
ReplyDeleteअपने फेसबुक पर आपकी टिप्पणी पा कर प्रसन्नता हुई...
विचारों से अवगत कराने के लिए बहुत-बहुत आभार।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें...
ताऊ रामपुरिया जी,
ReplyDeleteआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया...
हार्दिक धन्यवाद।
इसी तरह सम्वाद बनाए रखें...
bhaav kanikaayen hain ye gaagar me saagar si ...
ReplyDeleteveerubhai .
वीरूभाई जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
ham aaj pahli baar apke blog per aaye... apki har rachna padi... apne bhut hi kam shabdo me bhut gahre bhaavo ko pratut kiya hai... jo bhut muskil hota hai... per apne kiya... bhut hi accha likhti hai aap... thank u very much ki apne hame itna accha padne ko diya hai...
ReplyDeleteसुषमा आहुति जी,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी कविता पसन्द आई....
आभारी हूं।
इसी तरह संवाद बनाए रखें....
कोमल अहसासों से परिपूर्ण सुन्दर रचना|
ReplyDeleteneelkamal.com
नीलकमल जी,
ReplyDeleteआपने मेरी कविता को पसन्द किया आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
मुझे क्षमा करे की मैं आपके ब्लॉग पे नहीं आ सका क्यों की मैं कुछ आपने कामों मैं इतना वयस्थ था की आपको मैं आपना वक्त नहीं दे पाया
ReplyDeleteआज फिर मैंने आपके लेख और आपके कलम की स्याही को देखा और पढ़ा अति उत्तम और अति सुन्दर जिसे बया करना मेरे शब्दों के सागर में शब्द ही नहीं है
पर लगता है आप भी मेरी तरह मेरे ब्लॉग पे नहीं आये जिस की मुझे अति निराशा हुई है
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
इतने कम शब्दों में कितनी बड़ी बात कह दि आपने .. दिल से बधाई स्वीकार करे..
ReplyDeleteआभार
विजय
-----------
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
लाजवाब
ReplyDeleteपढने के लिए शब्दों और कथन की क्या जरूरत
बस जो बात ग्रंथों में नहीं कही जा सकती थी ...एक स्पर्श में कह दी आपने.....
ReplyDelete