पृष्ठ

31 January, 2022

रोज़ ढूंढती हूं | कविता | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

रोज़ ढूंढती हूं
       - डॉ शरद सिंह
कुछ काम 
करने हैं पूरे
कुछ उतारना है
बंधनों का ऋण
और
हो जाना है मुक्त
स्वयं से, 
जीवन से
ज़हान से

रहना 
किसके लिए?
बचना 
किसके लिए?
टूट चुका है धरातल
अपनत्व का,
शेष है-
स्वार्थ, ईर्ष्या, द्वेष
ताना, उलाहना
व्यंग्य, कटाक्ष
लोलुपता,

वे सब
जो मेरे चेहरे पर
बांचते हैं ख़ुशी
उन्हें नहीं पता
कि
अपनी हथेली में 
ढूंढती हूं रोज़
वह लकीर
जिस पर लिखा हो
चिर ठहराव
मेरी सांसों का।
    -------
#शरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह #DrMissSharadSingh #poetry #poetrylovers #poetrycommunity
#डॉशरदसिंह #SharadSingh #Poetry #poetrylovers #HindiPoetry #हिंदीकविता 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh 

28 January, 2022

ज़िन्दा रहने के लिए | कविता | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह

ज़िन्दा रहने के लिए
     - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

न्याय और अन्याय के बीच
जूझते, लड़ते, 
थकते, हांफते
टूटते, गिरते
सरकती है उम्र
प्रचार और बाज़ार तंत्र के
काले तवे पर 
समाचारों की
सिंकती हुई रोटियां
देखते हुए।

पीड़ितों को
न्याय दिलाने से
है ज़्यादा ज़रूरी 
एक अभिनेत्री का
"ब्रा" पर बयान,
बवाल, सवाल, उछाल
अब विवादों पर ही तो
रचता है-
नेम, फेम, गेम।

यहां हैं सभी
अच्छे खिलाड़ी 
सिवा सभ्य, सादे,
निरीह लोगों के,
सच!
ये दुनिया
नहीं है वैसी
जैसी है दिखती
झूठ बिकता है
नीलामी की
ऊंची बोलियों में
और सच का
तो कोई मोल ही नहीं

तो
अब होनी चाहिए
ऑनलाइन क्लासेस
झूठ, फ़रेब, धोखा
छल, कपट की,
यह सब सीख कर
कुछ नहीं तो
हो सकेगी दो रोटी की
कमाई
ज़िन्दा रहने के लिए,
सरकारी आकड़ों से परे
खोखले नियम और 
न्याय के बिना,
संवेदना और 
मानवता विहीन
इस छिछली दुनिया में।
      ------------
#शरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह #DrMissSharadSingh #poetry #poetrylovers #poetrycommunity
#डॉशरदसिंह #SharadSingh #Poetry #poetrylovers #HindiPoetry #हिंदीकविता 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh 

26 January, 2022

गणतंत्र हमारा | गणतंत्र दिवस | काव्य | डॉ (सुश्री) शरद सिंह


गणतंत्र हमारा
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह

आज़ादी   का  भान  कराता  है गणतंत्र हमारा।
दुनिया भर  में  मान  बढ़ाता  है गणतंत्र हमारा।

खुल कर बोलें, खुल कर लिक्खें, खुल कर जी लें हम
सबको ये अधिकार  दिलाता  है गणतंत्र हमारा।

संविधान    के   द्वारा   जिसका   सृजन   किया है हमने
प्रजातंत्र   की  साख  बचाता है  गणतंत्र हमारा।

धर्म, जाति  से  ऊपर   उठ   कर  चिंतन करने वाला
इक  सुंदर  संसार   बनाता  है  गणतंत्र हमारा।

पूरब,   पश्चिम,    उत्तर,    दक्षिण -  पूरी दुनिया भर को
"शरद" सभी को सदा लुभाता है गणतंत्र हमारा।
         ----------------------

23 January, 2022

जाड़े वाली रात | ग़ज़ल | डॉ शरद सिंह | नवभारत

 "नवभारत" के रविवारीय परिशिष्ट में आज 23.01.2022 को  ग़ज़ल प्रकाशित हुई है "जाड़े वाली रात" । आप भी पढ़िए...
हार्दिक धन्यवाद #नवभारत 🙏
-----------------------------------------
ग़ज़ल
जाड़े वाली रात
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

सर्दी की है लहर हमेशा, जाड़े वाली रात
बरपाती है क़हर  हमेशा, जाड़े वाली रात

चंदा  ढूंढे  कंबल-पल्ली,  तारे  ढूंढें  शॉल
हीटर तापे शहर हमेशा,  जाड़े वाली रात

पन्नीवाली झुग्गी कांपे, कंपता है फुटपाथ
बर्फ़ सरीखी नहर हमेशा, जाड़े वाली रात

जिसके सिर पर छत न होवे और न कोई शेड
लगती उसको ज़हर हमेशा, जाड़े वाली रात

कर्फ्यू जैसी सूनी सड़कें, कहती हैं ये हरदम
एक ठिए पर  ठहर हमेशा,जाड़े वाली रात

धुंध, कुहासा, कोहरा ओढ़े सूरज सोया रहता
धीरे    लाती   सहर    हमेशा,जाड़े वाली रात

ढेरों करवट गिनते रहते नींद अगर जो टूटे 
होते  लम्बे  पहर  हमेशा,  जाड़े वाली रात

छोटी बहरों वाली ग़ज़लों जैसे छोटे दिन
लगती लम्बी बहर हमेशा,जाड़े वाली रात
-------------------
#शरदसिंह #डॉशरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह
#SharadSingh #shayari #ghazal #GhazalLovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #hindipoetry  #शायरी   #ग़ज़ल #जाड़ा  #रात

20 January, 2022

अब कठिन हो चला है | कविता | डॉ शरद सिंह

अब कठिन हो चला है
         - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह

एक तारा 
टिमटिमाता है
दूसरा टूटता है
और तीसरा -
सबसे बड़ा हो कर भी
दिखता है फ़ीका
क्योंकि वह है बहुत दूर
अंतरिक्ष की अतल गहराइयों में
दृष्टि की क्षमता के
अंतिम छोर पर

ठीक ऐसे ही
बनता है एक विक्षोभ
हृदय के भीतर
सांसों की गति से
करवट लेते मौसमों के बीच

कड़ाके की ठंड में
जब चांद बन गया हो सूरज
बर्फ जमती-सी
महसूस होने लगी हो
एकाकीपन के ध्रुव में
यादों की लपट
पिघलाने लगती है
भावनाओं के ग्लेशियर को
बढ़ने लगता है तब
आंखों का जलस्तर

देह में गहराती शीत
मन को झुलसाती भावनाएं
आंखों में आती बाढ़
सच,
अब कठिन हो चला है
एक साथ
सारे मौसमों को जीना।
        ------------
#शरदसिंह #डॉशरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह
#SharadSingh #Poetry #poetrylovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #HindiPoetry #हिंदीकविता #कविता #हिन्दीसाहित्य #brokenheart #loneliness😔 #pain #sinking #sorrow

15 January, 2022

ग़ज़ल | जाड़े वाली रात | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

Jade Waali Raat, Ghazal, Dr (Ms) Sharad Singh


ग़ज़ल

जाड़े वाली रात

- डॉ (सुश्री) शरद सिंह


सूनी-सूनी डगर हमेशा, जाड़े वाली रात

बर्फ़ जमाती नहर हमेशा, जाड़े वाली रात


चंदा ढूंढे कंबल-पल्ली, तारे ढूंढे शॉल

हीटर तापे शहर हमेशा,जाड़े वाली रात


पन्नीवाली झुग्गी कांपे, कांप रहा फुटपाथ

बरपाती है क़हर हमेशा जाड़े वाली रात


जिसके सिर पर छत न होवे और न कोई शेड

लगती उसको ज़हर हमेशा, जाड़े वाली रात


छोटी बहरों वाली ग़ज़लों जैसे छोटे दिन

लगती लम्बी बहर हमेशा,जाड़े वाली रात

               -------------------

#ग़ज़ल #जाड़े_वाली_रात #डॉसुश्रीशरदसिंह

 

05 January, 2022

टोहता है गिद्ध | कविता | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | 6 जनवरी अर्थात् युद्ध अनाथों का विश्व दिवस पर | World Day Of War Orphans

06 जनवरी अर्थात् युद्ध अनाथों का विश्व दिवस पर...
कविता
टोहता है गिद्ध
         - डाॅ. (सुश्री) शरद सिंह

लिप्सा से जन्मा युद्ध
नहीं दे सकता
रोटी, पानी और घर। 

एक उजाड़ संसार का देवता है युद्ध
ध्वस्त गांवों, कस्बों, शहरों
में अट्टहास करता
रक्त के फव्वारों में नहाता
मांओं की लोरियों को रौंदता
बच्चों की किलकारियों को डंसता
अल्हड़ लड़कियों की उन्मुक्त खिलखिलाहट को
चीत्कारों में बदलता
लोककथाओं के राक्षसों से भी
अधिक भयानक

युद्ध 
एक गिद्ध है
जो टोहता है विभिषिका को
लाशों को
और बच रहे उन अनाथों को
जो कहलाते हैं शरणार्थी।

इसी धरती के वासी
इसी धरती पर बेघर

युद्ध नहीं चाहती मां
युद्ध नहीं चाहता पिता
युद्ध नहीं चाहते नाना-नानी
युद्ध नहीं चाहते दादा-दादी
युद्ध नहीं चाहते बच्चे

फिर कौन चाहता है युद्ध?
वे जिन्हें नहीं होना पड़ता अनाथ
न बनना पड़ता है शरणार्थी
और न  नहाना पड़ता है रक्त से

एक अदद निवाले, 
एक सांस या 
एक स्वप्न के लिए।

युद्ध एक आकांक्षा है 
कपट राजनीतिज्ञों के लिए
युद्ध एक उन्माद है
शक्तिसम्पन्नता के लिए

जबकि
युद्ध एक स्याह अध्याय है
इंसानियत के लिए
युद्ध दुःस्वप्न है
अनाथ शरणार्थियों के लिए।
     -------------------

#शरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह #DrMissSharadSingh #poetry #poetrylovers #poetrycommunity
#डॉशरदसिंह #SharadSingh #Poetry #poetrylovers #HindiPoetry #हिंदीकविता 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

02 January, 2022

नए साल में | ग़ज़ल | डॉ (सुश्री) शरद सिंह


"नवभारत" के रविवारीय परिशिष्ट में आज "नए साल में" शीर्षक ग़ज़ल प्रकाशित हुई है। आप भी पढ़िए...
नवभारत के लिए....

नए  साल  में
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

नए    साल   में    हर   नई   बात हो।
ख़ुशियों  की   हरदम ही  बरसात हो।

हो  इंसानियत    की    तरफ़दारियां
सभी  के  दिलों  में   ये  जज़्बात हो।

मुश्क़िल  जो   आई    गए  साल में
नए साल में   उसकी   भी  मात हो।

सभी  स्वस्थ  रह  कर जिएं ज़िन्दगी
दुखों का  न  कोई  भी अब घात हो।

‘शरद’ की  दुआ  है  अमन, चैन की
चमकता  हुआ दिन  भी हो, रात हो।
               ------------------

हार्दिक धन्यवाद #नवभारत 🙏
02.01.2022
#कविता #शरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह #DrMissSharadSingh #poetry #poetrylovers #poetrycommunity
#डॉशरदसिंह #SharadSingh #Poetry #poetrylovers #HindiPoetry #हिंदीकविता
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

01 January, 2022

नववर्ष 2022 की शुभकामनाएं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह


मित्रो, नया वर्ष आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाए 🌷 - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

Wishing you and all of your loved ones health and happiness in the new year. - Dr (Ms) Sharad Singh

#happynewyear2022 
#HappyNewYear 
#welcome2022 
#स्वागत_नववर्ष 
#नयासालमुबारक़