Sharad Singh
मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
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14 February, 2017
न जाने क्यूं लगाए आस बैठा है ...
Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh
न जाने क्यूं लगाए आस बैठा है ये पागल दिल
वो आए गर तो हो जाए इसे भी फिर सुकूं हासिल
- डॉ शरद सिंह
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SharadSingh
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