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24 September, 2020

मेरी पलक से । ग़ज़ल । डाॅ शरद सिंह

 

Ab Sochati Hun .. Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh

मेरी पलक से ... ग़ज़ल

- डाॅ शरद सिंह


मेरी पलक से ख़्वाब का काजल चुरा लिया।

रातों को  जागने की सज़ा  यूं सुना दिया।


वो शख़्स इस क़दर है ख़फ़ा, क्या बताऊं मैं

लिक्खी हुई  ग़ज़ल पे  सियाही गिरा दिया।


तनहाइयों की  राह में  चलती  ये ज़िन्दगी

इक हमसफ़र की चाह ने मीलों चला दिया।


मेरे खि़लाफ़ दर्ज़  मुक़द्दमा है  इन दिनों

अब सोचती हूं, आईना क्यूं कर दिखा दिया।

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12 June, 2019

आपराधिक हो चला वातावरण ...(ग़ज़ल) - डॉ शरद सिंह

Aapradhik Ho Chala Vatavaran ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
उन सभी बच्चियों को याद करते हुए जो आज जीवित होतीं अगर समाज में दरिंदे न होते...

आपराधिक हो चला वातावरण
हो चला संदिग्ध सबका आचरण
जब सुरक्षित ही नहीं हैं बच्चियां
उठ गया इंसानियत का आवरण

- डॉ शरद सिंह